कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के दौरान आठवें दिन गोपाष्टमी (Gopashtami 2021) का त्यौहार मनाया जाता है। यह गायों की पूजा और प्रार्थना करने के लिए समर्पित एक त्यौहार है। इस दिन लोग गायों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रदर्शित करते हैं जिन्हें जीवन देने वाला माना जाता है। इस बार ये पर्व 12 नवंबर, शुक्रवार को है।
उज्जैन. मान्यता के अनुसार, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण किया था। आठवें दिन इंद्र अहंकाररहित होकर श्रीकृष्ण की शरण में आए तथा क्षमायाचना की। तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी (Gopashtami 2021) का उत्सव मनाया जा रहा है। ये पर्व गौधन से जुड़ा है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और बिना गौ धन के कृषि के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। इसलिए गौ धन से जुड़ा ये पर्व बहुत विशेष माना जाता है।
ऐसे मनाएं ये उत्सव
- गोपाष्टमी की सुबह उठकर गायों को स्नान कराएं। गंध-पुष्पादि से गायों की पूजा करें तथा ग्वालों को उपहार आदि देकर उनकी भी पूजा करें।
- गायों को सजाएं, भोजन कराएं तथा उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जाएं। शाम को जब गाएं चलकर वापस आए तो उनका पंचोपचार पूजन करके कुछ खाने को दें।
- इस प्रकार पूजन करने के बाद गायों के चरणों की मिट्टी को मस्तक पर लगाएं। ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।
गोपाष्टमी का महत्व
गायों को हिंदू धर्म और संस्कृति की आत्मा माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि कई देवी-देवता गाय में निवास करते हैं और इसलिए गाय हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है। गाय को आध्यात्मिक और दिव्य गुणों का स्वामी माना जाता है और यह देवी पृथ्वी का एक और रूप है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर गाय की पूजा करने वाले व्यक्तियों को एक खुशहाल जीवन और अच्छे भाग्य का आशीर्वाद मिलता है। यह भक्तों को उनकी इच्छाओं को पूरा करने में भी मदद करता है।
इसलिए गाय को माना जाता है पवित्र...
- श्रीमद्भागवत के अनुसार, जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया तो उसमें कामधेनु निकली। पवित्र होने की वजह से इसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया। माना जाता है कि कामधेनु से ही अन्य गायों की उत्पत्ति हुई।
- धर्म ग्रंथों में ये भी बताया गया है गाय में सभी देवता निवास करते हैं। गाय की पूजा करने से सभी देवताओं का पूजन अपने आप हो जाता है।
- श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण भी गायों की सेवा करते थे। श्रीकृष्ण रोज सुबह गायों की पूजा करते थे और ब्राह्मणों को गौदान करते थे।
- महाभारत के अनुसार, गाय के गोबर और मूत्र में देवी लक्ष्मी का निवास है। इसलिए इन दोनों चीजों का उपयोग शुभ काम में किया जाता है।
- वैज्ञानिकों ने भी माना है कि गौमूत्र में बहुत से उपयोगी तत्व पाए जाते हैं, जिनसे अनेक बीमारियों का उपचार संभव है।
- गाय का दूध, घी आदि चीजें भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। विशेष अवसरों पर ब्राह्मणों को गाय दान करने करने की परंपरा आज भी है।
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