सार
कहा जाता है कि बड़ी बहन माता के समान और बड़ा भाई पिता के समान होता है। भाई-बहन के पवित्र प्रेम को दर्शाने के लिए हिंदू धर्म में कई त्योहार मनाए जाते हैं जैसे रक्षा बंधन और भाई दूज आदि। भाई दूज (Bhai Dooj 2021) पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आखिरी दिन का त्योहार होता है।
उज्जैन. भाई दूज (Bhai Dooj 2021) कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। बहन इस दिन अपने भाइयों को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है। इस बार यह पर्व 6 नवंबर, रविवार को है।
शुभ मुहूर्त
सुबह 10.46 से दोपहर 01.34 तक
दोपहर 01.10 से 03.21 तक
भाई दूज की पूजा विधि
- सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन कर प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें।
- इसके बाद बहन भाई को भोजन कराए। भोजन के बाद भाई की तिलक लगाएं। इसके बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट दें। ऐसा विश्वास है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
यमुना और यमराज की पूजा का खास महत्व...
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर सत्कार करके भोजन कराया था। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
- तब यमराज ने प्रसन्न होकर उसे यह वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा है।
- उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बड़ा माहात्म्य माना जाता है।
- इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
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