Hajj 2022: हज यात्रा के दौरान पहना जाता है ये “खास” कपड़ा, जानिए क्या कहते हैं इसे? निभाई जाती हैं ये रस्में भी

मुस्लिमों की पवित्र हज यात्रा (Hajj 2022) आज (7 जुलाई, गुरुवार) से शुरू हो चुकी है। इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार, हर मुस्लिम व्यक्ति को जीवन में एक बार हज यात्रा जरूर करनी चाहिए। ये इस्लाम के 5 जरूरी फर्ज यानी कामों में से एक है।

Manish Meharele | Published : Jul 7, 2022 9:21 AM IST

उज्जैन. हज यात्रा (Hajj 2022) इस्लामी कैलेंडर के धुल हिज्जा (Dhul Hijja) महीने से शुरू होती है, जो इस्लामी वर्ष का 12वां महीना होता है। धुल हिज्जा महीने की 8वीं तारीख से हज यात्रा शुरू होती है और 10वीं तारीख को ईद अल-अज़हा का पर्व मनाया जाता है, जिसे बकरीद भी कहा जाता है। हज यात्रा के लिए पूरी दुनिया के मुस्लिम काबा जाते हैं जो कि सऊदी अरब के मक्का में स्थित पवित्र स्थान है। काबा का अर्थ है खुदा का घर। हज यात्रा के दौरान अनेक नियमों का पालन करना होता है। इनमें से कुछ नियम बहुत ही सख्त होते हैं। आगे जानिए हज यात्रा से जुड़ी खास बातें… 

ये है मुस्लिमों का सबसे बड़ा तीर्थ
दुनिया का हर मुसलमान जीवन में एक बार हज करने की इच्छा जरूर रखता है क्योंकि ये इस्लामा से 5 जरूरी फर्जों में से एक है। मुस्लिमों का सबसे बड़ा धर्म स्थल काबा है, सऊदी अरब के मक्का में है। काबा एक बहुत बड़ी मस्जिद में स्थित एक छोटी सी इमारत है। ये इमारत संगमरमर पत्थर से बनी है। कहा जाता है कि जब इब्राहिम काबा का निर्माण कर रहे थे तब जिब्राइल, जिसे देवदूत माना जाता है ने उनको यह पत्थर दिया। इसलिए इस स्थान को बहुत पवित्र माना गया है।

हज शुरू करने से पहले पहाना जाता है ये खास कपड़ा 
हज यात्रा विभिन्न चरणों में पूरी होती है। सबसे पहले हज यात्रियों को मक्का पहुंचने से पहले मीकात नाम की सीमा से गुजरना होता है। इसके लिए पहले एहराम नाम का विशेष वस्त्र पहनना होता है। एहराम बिना सीले चादर के दो टुकड़े होते हैं। जिसे शरीर से ऊपरी व निचले हिस्से पर लपेटा जाता है। यह वस्त्र पहनने के बाद किसी प्राणी या पेड़-पौधे के प्रति हिंसा नहीं की जाती, बाल नहीं काटे जाते आदि नियमों का पालन आवश्यक हो जाता है।

इसके बाद होती है तवाफ की रस्म
मीकात की सीमा में प्रवेश करने के बाद अगले चरण में तवाफ की रस्म पूरी की जाती है, जिसमें हजयात्री काबा के पवित्र स्थान के चारों ओर अपनी शक्ति के अनुसार चक्कर लगाते हैं। सात चक्कर लगाने को एक तवाफ कहते हैं। तवाफ के बाद सईअ अर्थात् सफा-मरवाह नाम के दो रेगिस्तानी पहाड़ों पर दौड़ने की रस्म पूरी की जाती है। यहीं पर हज यात्री आबे-जम-जम नाम के पवित्र जल को पीते हैं। 

शैतान को मारा जाता है पत्थर
हज यात्रा के दौरान शैतान को पत्थर मारने की रस्म भी पूरी की जाती है। इसके बिना हज यात्रा अधूरी मानी जाती है। हज यात्री मीना और मजदलफा में ठहरकर वापस लौटते समय अपने साथ लाए गए पत्थरों को शैतान के स्थान पर फेंकते हैं। इस तरह हज यात्रा पूरी की जाती है। हज यात्रा के दौरान रमीजमारात में तीन बड़े खंबों पर पत्थर मारे जाते हैं। ये तीन खंबे ही शैतान माने जाते हैं।


डिस्क्लेमर:  यह  जानकारी जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रहा है। कंटेंट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।

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