साधुओं का श्रृंगार हैं जटाएं, इस तरह करते हैं खास देखभाल, गुरु की मृत्यु होने पर ही करवाते हैं मुंडन

प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में साधु-संत लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मेले में साधुओं की लंबी-लंबी जटाएं देखकर लोगों को आश्चर्य हो रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 30, 2020 5:32 AM IST

उज्जैन. प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में साधु-संत लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मेले में साधुओं की लंबी-लंबी जटाएं देखकर लोगों को आश्चर्य हो रहा है। इतने लंबे बालों को देखकर लोगों के मन में ये सवाल जरूर उठता होगा कि साधु-संत अपने बालों की देखभाल कैसे करते होंगे, कैसे इन्हें संवारते-सजाते होंगे। आज हम आपको साधु-संतों के लंबे बालों से जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं-

मुल्तानी मिट्टी से धोते हैं बाल
आवाहन अखाड़े के बाबा मंगलानंद सरस्वती पिछले 22 सालों से अपनी जटाओं की देखभाल खास तरीके से करते आ रहे हैं। वे समय-समय पर मुल्तानी मिट्टी व धूनी की भस्म अपने बालों में लगाते हैं। मुल्तानी मिट्टी से बाल मुलायम बने रहते हैं व उलझते नहीं हैं।

रीठा का करते हैं उपयोग
संत मंगलगिरी कोठारी के अनुसार, वे अपने बालों की देखभाल के लिए 8 दिन में एक बार रीठा का उपयोग करते हैं। इसके बाद साबुन से सिर धोते हैं। रीठा का उपयोग करने से बाल चिकने व चमकदार बने रहते हैं।

जटल संन्यासी रखते हैं लंबे बाल
आवाहन अखाड़े के संत सत्यगिरीजी महाराज ने बताया कि जो साधु-संत जटाएं रखते हैं, उन्हें दशनामी जटल संन्यासी कहते हैं। जटाएं एक तरह से साधुओं का आभूषण है। कुछ साधु फूलों से, कुछ रुद्राक्षों से तो कुछ अन्य मोतियों की मालाओं से जटाओं का श्रंगार करते हैं। बहुत देख-भाल करने पर ही बाल इतने लंबे व घने रहते हैं

इस स्थिति में करवाना पड़ता है मुंडन
आवाहन अखाड़े के श्रीमहंत इंद्रगिरीजी महाराज के अनुसार, वैसे तो जटल संन्यासियों को अपनी जटाओं से बहुत प्रेम होता है और वे विशेष रूप से इनकी देखभाल करते हैं, लेकिन गुरु की मृत्यु होने पर शिष्य को काशी जाकर अपना मुंडन करवाना पड़ता है। सिर्फ इसी स्थिति में जटल संन्यासी अपनी जटाएं कटवाते हैं।

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