श्रीरामचरित मानस से जानिए हमें किन 9 लोगों की बात तुरंत मान लेनी चाहिए?

श्रीरामचरित मानस के अरण्य कांड में मारीज और रावण का प्रसंग है। इस प्रसंग में नौ लोग ऐसे बताए गए हैं, जिनकी बात तुरंत मान लेनी चाहिए, वरना हम परेशानियों में फंस सकते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Nov 2, 2020 7:20 PM IST

उज्जैन. श्रीरामचरित मानस के अरण्य कांड में मारीज और रावण का प्रसंग है। इस प्रसंग में नौ लोग ऐसे बताए गए हैं, जिनकी बात तुरंत मान लेनी चाहिए, वरना हम परेशानियों में फंस सकते हैं। रावण सीता का हरण करने के लिए से मारीच के पास पहुंचा। रावण ने मारीच से कहा कि तुम छल-कपट करने वाला मृग बनो, ताकि में सीता का हरण कर सकूं।

मारीच ने रावण को समझाया
मारीच से रावण को समझाने की कोशिश की कि वह श्रीराम से दुश्मनी न करें। वे स्वयं नारायण के अवतार हैं। मारीच की ये बातें सुनकर रावण क्रोधित हो गया, खुद के बल और शक्तियों का घमंड करने लगा। इसके बाद मारीच को समझ आ गया कि रावण को समझाना असंभव है और सीता हरण के लिए उसकी मदद करने में ही भलाई है। रावण के हाथों मरने से अच्छा है कि मैं श्रीराम के हाथों से मरूं।

रामचरित मानस में लिखा है कि
तब मारीच हृदयँ अनुमाना। नवहि बिरोधें नहिं कल्याना।।
सस्त्री मर्मी प्रभु सठ धनी। बैद बंदि कबि भानस गुनी।।

इस दोहे के अनुसार मारीच की सोच से बताया गया है कि हमें किन नौ लोगों की बातों को तुरंत मान लेना चाहिए। हमें शस्त्रधारी, हमारे राज जानने वाला, समर्थ स्वामी, मूर्ख, धनवान व्यक्ति, वैद्य, भाट, कवि और रसोइयां, इन लोगों की बातें तुरंत मान लेनी चाहिए। इनसे कभी विरोध नहीं करना चाहिए, अन्यथा हमारे प्राण संकट में फंस सकते हैं।
ऐसा सोचकर मारीच ने रावण की बात मान ली और वह स्वर्ण मृग का रूप धारण करके सीता के सामने पहुंच गया। जब सीता ने सुंदर हिरण देखा तो श्रीराम से उसे लाने के लिए कहा। श्रीराम हिरण को पकड़ने के लिए उसके पीछे चले गए और श्रीराम के धनुष से छुटे बाण से मारीच यानी स्वर्ण मृग मारा गया।

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