नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी चंद्रघंटा की आराधना, ये है पूजा विधि, मंत्र, उपाय और 9 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त

Published : Oct 09, 2021, 08:52 AM IST
नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी चंद्रघंटा की आराधना, ये है पूजा विधि, मंत्र, उपाय और 9 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त

सार

नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) स्वरूप की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 9 अक्टूबर, शनिवार को है। मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।

उज्जैन. देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है और दस हाथ हैं। इनके चार हाथों में कमल फूल, धनुष, जप माला और तीर है। पांचवा हाथ अभय मुद्रा में रहता है। वहीं, चार हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है।पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है। मान्यता है कि भक्तों के लिए माता का यह स्वरूप बेहद कल्याणकारी है।

9 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 7.30 से 9 बजे तक- शुभ
दोपहर 12 से 1.30 बजे तक- चर
दोपहर 1.30 से 3 बजे तक- लाभ
दोपहर 3 से 4.30 बजे तक- अमृत  

पूजा विधि
- इस दिन मां चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की पूजा करते समय चौकी पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। फिर गंगाजल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
इसके बाद चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी का घड़ा रख दें। इस पर नारियल रख दें। फिर पूजा का संकल्प लें।
- फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा समेत सभी देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
- पूजा के दौरान आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें।

मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

आज का उपाय
इस दिन माता को दूध या दूध से बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए। साथ ही भोग लगाने के बाद उसको दान भी करना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक शांति के साथ-साथ परम सुख की प्राप्ति होती है।

मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।
चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।।
कांची पुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।

नवरात्रि के बारे में ये भी पढ़ें

नवरात्रि में योग-साधना कर जाग्रत करें शरीर के सप्तचक्र, हर मुश्किल हो जाएगी आसान

नवरात्रि में तंत्र-मंत्र और ज्योतिष के ये उपाय करने से दूर हो सकती है आपकी हर परेशानी

इस मंदिर में दिन में 3 बार अलग-अलग रूपों में होती है देवी की पूजा, 51 शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर

ढाई हजार साल पुराना है राजस्थान का ये देवी मंदिर, इससे जुड़ी हैं कई पौराणिक कथाएं

इस वजह से 9 नहीं 8 दिनों की होगी नवरात्रि, जानिए किस दिन कौन-सा शुभ योग बनेगा

मां शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक ये हैं मां दुर्गा के 9 रूप, नवरात्रि में किस दिन कौन-से रूप की पूजा करें?

नवरात्रि 7 अक्टूबर से: इस बार डोली पर सवार होकर आएगी देवी, इस वाहन को माना गया है अशुभ

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 18 दिसंबर 2025: मासिक शिवरात्रि आज, जानें राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय
Aaj Ka Panchang 17 दिसंबर 2025: आज करें बुध प्रदोष व्रत, चंद्रमा बदलेगा राशि, जानें अभिजीत मुहूर्त का समय