सार

Hindu Tradition: जब भी घर-परिवार में किसी की मृत्यु हो ती है, तो परिवार का बड़ा सदस्य शव का दाह संस्कार करता है। दाह संस्कार करने वाले व्यक्ति के लिए धर्म ग्रंथों में अनेक नियम बताए गए हैं।

 

Hindu rituals after death:  मृत्यु एक अटल सत्य है, जिसे कोई झूठला नहीं सकता। घर-परिवार में जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो हिंदू धर्म के अनुसार, उसका दाह संस्कार किया जाता है और यानी मृतक के शव को जला दिया जाता है। शव को जलाने का कार्य परिवार का ही कोई सदस्य कहता है। अन्त्यकर्म एवं श्राद्ध प्रकाश ग्रंथ के अनुसार, शव का दाह संस्कार करने वाले व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। इनमें से कुछ नियम 1 दिन के लिए होते हैं तो कुछ 12 दिन के लिए। आगे जानिए इन नियमों के बारे में…

1. अन्त्यकर्म एवं श्राद्ध प्रकाश ग्रंथ के अनुसार, जिस दिन शव दाह करें, उस दिन घर में में भोजन नहीं पकाना चाहिए। बाहर से खरीदकर या किसी निकट संबंधी से लेकर ही भोजन करना चाहिए।

2. शवदाह करने वाले व्यक्ति को 12 दिनों तक बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। जमीन पर चटाई बिछाकर सोना चाहिए और ब्रह्मचर्य का नियमों का पालन करना चाहिए।

3. शव दाह करने वाले को प्रथम दिन किसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही किसी दूसरे को अपने शरीर को स्पर्श करने देना चाहिए।

4. संभव हो तो शव दाह के प्रथम दिन तक उपवास करना चाहिए या सिफ फलाहार करना चाहिए। इसके बाद 12 दिनों तक एक समय भोजन कर सकते हैं वो भी बिना नमक का।

5. संभव हो तो धातु के बर्तन में भोजन न करें, मिट्टी के पात्र या पत्तल में भोजन करना चाहिए।

6. 12 दिनों तक प्रतिदिन भोजन शुरू करने से पहले प्रेत (जिसकी मृत्यु हुई हो) के लिए घर से बाहर भोजन रखें, इसके बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए।

7. शव दाह करने वाले को 12 दिनों तक किसी भी तरह की सुख-सुविधाओं का उपयोग नहीं करना चाहिए और शोक की अवस्था में रहना चाहिए।


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