अयोध्या में प्रधानमंत्री ने श्रीराम को किया साष्टांग प्रणाम, जानिए इसका महत्व और लाइफ मैनेजमेंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन किया और भगवान श्रीराम की पूजा भी की। पूजा के दौरान श्री मोदी ने भगवान श्रीराम को साष्टांग प्रणाम किया।

Asianet News Hindi | Published : Aug 5, 2020 9:45 AM IST

उज्जैन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन किया और भगवान श्रीराम की पूजा भी की। पूजा के दौरान श्री मोदी ने भगवान श्रीराम को साष्टांग प्रणाम किया। हिंदू धर्म में साष्टांग प्रणाम का विशेष महत्व है। ये हिंदू धर्म की परंपराओं में से एक है। अभिवादन की परंपराओं के अंतर्गत दण्डवत प्रणाम की मुद्रा सर्वोत्कृष्ट श्रेणी की श्रद्धा मानी जाती है। संतजन, योगीजन इसे सहर्ष स्वीकार कर तत्काल वरदान देने की मानसिकता में आ जाते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, जानिए साष्टांग प्रणाम का तरीका, महत्व और लाइफ मैनेजमेंट…

साष्टांग प्रणाम का तरीका और महत्व
साष्टांग आसन में शरीर के आठ अंग ज़मीन का स्पर्श करते हैं अत: इसे ‘साष्टांग प्रणाम’ कहते हैं। इस आसन में ज़मीन का स्पर्श करने वाले अंग ठोढ़ी, छाती, दोनो हाथ, दोनों घुटने और पैर हैं। आसन के क्रम में इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पेट ज़मीन का स्पर्श नहीं करे। धार्मिक दृष्टिकोण के अलावा साष्टांग प्रणाम करने के स्वास्थ्य लाभ भी बहुत ज्यादा हैं। ऐसा करने से आपकी मांसपेशियां पूरी तरह खुल जाती हैं और उन्हें मजबूती भी मिलती है।

साष्टांग प्रणाम का लाइफ मैनेजमेंट
साष्टांग प्रणाम में सर्वतो भावेन आत्मसमर्पण की भावना है। इसमें भक्त अपने को नितांत असहाय जानकार अपने शरीर इन्द्रिय मन को भगवान के अर्पण कर देता है। जब शरीर को इसी अवस्था में मुंह के बल भूमि पर लिटा दिया जाए तो इसे 'साष्टांग प्रणाम' कहते हैं। साष्टांग प्रणाम अति भावुक स्थिति में किया जाता है। इस समय भावना यह रहती है कि हे भगवन। मैंने अपना सबकुछ तुमको समर्पित कर दिया है। आप ही मेरे पालनहार हो। सभी का कल्याण करो। 

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