Radha Ashtami: बरसाना की पहाड़ी पर स्थित है राधा रानी का प्राचीन मंदिर, इससे जुड़ी हैं कई रोचक बातें

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी (Radha Ashtami 2021) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 14 सितंबर, मंगलवार को है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रेयसी राधा रानी की पूजा की जाती है। वैसे तो हमारे देश में राधा देवी के अनेक मंदिर हैं, मगर इन सभी में उत्तर प्रदेश के बरसाना में स्थित राधा रानी का मंदिर सर्वप्रमुख है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 14, 2021 4:11 AM IST / Updated: Sep 14 2021, 10:51 AM IST

उज्जैन. इस बार 14 सितंबर, मंगलवार को राधा अष्टमी है। उत्तर प्रदेश के बरसाना में स्थित राधा रानी मंदिर पूरी तरह से देवी राधा को समर्पित है। यह स्थान कृष्ण के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। राधा रानी मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 250 मीटर है। वास्तव में इस मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक है और इससे जुड़ी कई धार्मिक कथाएं भी प्रचलित हैं। इस मंदिर को बरसाने की लाड़ली का मंदिर और राधा रानी का महल भी कहा जाता है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

मंदिर का इतिहास, संरचना और खास बातें…

- मान्यता है कि राधा रानी मंदिर मूल रूप से लगभग 5000 साल पहले राजा वज्रनाभ ( श्रीकृष्ण के वशंज) द्वारा स्थापित किया गया था। बाद में ये मंदिर खंडहर में बदल गया था। तब प्रतीक नारायण भट्ट द्वारा फिर से इसे खोजा गया और 1675 ईस्वी में राजा वीर सिंह द्वारा एक मंदिर बनाया गया था।
- बाद में, मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण नारायण भट्ट ने राजा टोडरमल की मदद से किया था। मंदिर के निर्माण के लिए लाल और सफेद पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जो राधा और श्री कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं। राधा रानी के पिता का नाम वृषभानु और माता का नाम कीर्ति था।
- राधा रानी का जन्म जन्माष्टमी (Radha Ashtami 2021) के 15 दिन बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसलिए बरसाना के लोगों के लिए यह जगह और दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन राधा रानी के मंदिर को फूलों से सजाया जाता है। राधा रानी को छप्पन प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं।
- इस मंदिर में 200 से अधिक सीढ़ियां हैं जो जमीन से मुख्य मंदिर की ओर जाती हैं। इस मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के तल पर वृषभानु महाराज का महल है, जहां वृषभानु महाराज, कीर्तिदा (राधा की माँ), श्रीदामा (राधा की सहोदर) और श्री राधिका की मूर्तियां हैं। इस महल के पास ही ब्रह्मा जी का मंदिर भी स्थित है।
- इसके अलावा, पास में ही अष्टसखी मंदिर है जहां राधा और उनकी प्रमुख सखियों की पूजा की जाती है। चूंकि मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है इसलिए मंदिर के परिसर से पूरे बरसाना को देखा जा सकता है।

कैसे पहुंचें?
निकटतम रेलवे स्टेशन- मथुरा रेलवे स्टेशन, जो राधा रानी मंदिर से लगभग 50.7 किमी दूर है।
निकटतम हवाई अड्डा- इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो राधा रानी मंदिर से लगभग 150 किमी दूर है।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय हवाई अड्डा आगरा, जो राधा रानी मंदिर से लगभग 110 किमी दूर है।

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