Shradh Paksha: श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से मिलती है पितृ ऋण से मुक्ति, जानिए महत्व

Published : Sep 19, 2021, 09:53 AM ISTUpdated : Sep 19, 2021, 11:03 AM IST
Shradh Paksha: श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से मिलती है पितृ ऋण से मुक्ति, जानिए महत्व

सार

पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) इस बार 20 सितंबर से शुरू होगा। श्राद्ध पक्ष का समापन अश्विन मास की अमावस्या 6 अक्टूबर को होगा। श्राद्ध पक्ष को कनागत भी कहते हैं, जो 16 दिन तक चलते हैं। लेकिन इस बार श्राद्धपक्ष 17 दिन का होगा।

उज्जैन.  श्राद्ध पक्ष (20 सितंबर से 6 अक्टूबर) में इस बार तृतीया तिथि बढ़ने से ये 17 दिन के होंगे। शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष का बढ़ना अच्छा नहीं मना जाता है। पंडितों के मुताबिक श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। इस दौरान पिंडदान, तर्पण कर्म और ब्राह्मण को भोजन कराने से पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

पितृ पक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद भी पुरखों की याद में श्राद्ध किया जाता है। पुरखों की मौत की तिथि के अनुसार श्राद्ध की तिथि भी निर्धारित की जाती है। मान्यता है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के दौरान पितृ धरती पर आते हैं। उनके वंशज श्राद्ध में अन्न जल का दान करते हैं और कौवों को खिलाते हैं।

पितृ ऋण से मुक्ति दिलाते हैं श्राद्ध
सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य को देव ऋण, ऋषि ऋण एवं पितृ ऋण तीन ऋणों से मुक्त होना अनिवार्य है। इसके लिए स्वाध्याय द्वारा ऋषि ऋण से, यज्ञों द्वारा देवऋण से और श्राद्ध व तर्पण द्वारा पितृ ऋण से मुक्ति पाने का रास्ता बताया गया है। इन तीनों ऋणों से मुक्ति पाए बिना व्यक्ति का पूर्ण कल्याण होना असंभव है। ऐसे में पितरों के निमित्त श्रद्धापूर्वक किया जाने वाला कर्म श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान और ब्रह्मभोज इसके मुख्य अंग हैं।

श्राद्ध (Shraddha Paksha 2021) की दो विधि
शास्त्रों में श्राद्ध करने की दो प्रक्रिया बताई गई हैं- एक पिंडदान और दूसरा ब्राह्मण भोजन। ब्राह्मण के मुख से देवता हव्य को और पितर कव्य को खाते हैं। श्राद्ध करते समय ध्यान रखें कि घर पर तर्पण के लिए आए ब्राह्मण के पैर धोने चाहिए। पत्नी को दाईं तरफ और पति बाईं तरफ होना चाहिए। ब्राह्मण भोजन के साथ पंच बलि कर्म का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष में सभी पितृ पृथ्वीलोक में रहने वाले सगे संबंधियों के यहां बिना आह्वान पहुंचते हैं। यहां प्रसाद से तृप्त होकर शुभाशीर्वाद प्रदान करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध (Shraddha Paksha 2021) में पितृ संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्राद्ध पक्ष के बारे में ये भी पढ़ें 

Shradh Paksha: 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक रहेगा श्राद्ध पक्ष, 2 दिन पंचमी तिथि होने से 17 दिन का रहेगा


 

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 6 दिसंबर 2025: बुध बदलेगा राशि, कब से कब तक रहेगा अभिजीत मुहूर्त? जानें डिटेल
घर में हो तुलसी का पौधा तो न करें ये 5 गलतियां, वरना पछताएंगे