Uttarayan 2022: क्या है सूर्य के उत्तरायण होने का महत्व, इसे क्यों कहते हैं देवताओं का दिन?

हिंदू धर्म में सूर्यदेवता से जुड़े हुए कई व्रत-त्योहार मनाए जाने की परंपरा है। इन्ही त्योहारों में मकर संक्रांति भी है। मकर संक्रांति को उत्तरायण (Uttarayan 2022) भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इसी दिन से सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण दिशा में चलना आरंभ कर देते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 13, 2022 9:15 AM IST

उज्जैन. हिंदू धर्म में उत्तरायण पर्व का विशेष महत्व होता है। सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर पवित्र नदियों में स्नान, ध्यान और दान किया जाता है। मान्यता है इस दिन किया गया दान और गंगा स्नान से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। आगे जानिए सूर्य के उत्तरायण (Uttarayan 2022) का महत्व...

सूर्य का उत्तरायण और दक्षिणायन
सूर्य के सालभर में दो बदलावों को उत्तरायण और दक्षिणायन कहा जाता है। सूर्यदेव 6 महीने के लिए उत्तरायण रहते हैं और बाकी के 6 महीनों में दक्षिणायन। हिंदू पंचांग की काल गणना के आधार पर जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि की यात्रा करते हैं तब इस अंतराल को उत्तरायण कहा जाता है। इसके बाद जब सूर्य कर्क राशि धनु राशि की यात्रा पर निकलते हैं तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं। इस तरह से सूर्य एक वर्ष में 6-6 महीने के लिए उत्तरायण और दक्षिणायन रहते हैं। 

शास्त्रों में उत्तरायण का महत्व
- मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कहा जाता है कि सूर्य के इस बदलाव से व्यक्ति की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। इसके अलावा इस दिन से रात छोटी और दिन बड़ा होने लगता है। सूर्य के इस परिवर्तन यानी कि मकर संक्रांति के दिन को अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना भी कहते हैं।
- उत्तरायण के काल को देवताओं का दिन कहा जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने पर खरमास खत्म हो जाता है और शुभ कार्य दोबारा से आरंभ हो जाते हैं, इसीलिए इस दौरान नए कार्य, गृह प्रवेश , यज्ञ, व्रत - अनुष्ठान, विवाह, मुंडन जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है।
- गीता में बताया गया है कि उत्तरायण काल में शरीर का त्याग करने पर मोक्ष की प्राप्ति ही होती है जबकि दक्षिणायन में शरीर का त्याग करने पर दोबारा से जन्म लेना पड़ता है। सूर्य के उत्तरायण के इसी महत्व के कारण ही भीष्म पितामह ने अपना प्राण तब तक नहीं त्यागे, जब तक मकर संक्रांति अर्थात सूर्य की उत्तरायण स्थिति नहीं आ गई। 
- उत्तरायण काल को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि माना गया है। सूर्य के उत्तरायण होने पर पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का महत्व काफी बढ़ जाता है। उत्तरायण पर गंगा स्नान के बाद सूर्यदेव अर्घ्य अर्पित करना और सूर्यदेव से जुड़े मंत्रों का करना काफी शुभफलदायक होता है।
 

ये खबरें भी पढ़ें...

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति पर राशि अनुसार दान करें ये चीजें और रखें इन बातों का ध्यान, मिलेंगे शुभ फल

Makar Sankranti 2022: त्योहार एक नाम अनेक, जानिए देश में कहां, किस नाम से मनाते हैं मकर संक्रांति पर्व

Makar Sankranti 2022: बाघ पर सवार होकर आएगी संक्रांति, महिलाओं को मिलेंगे शुभ फल और बढ़ेगा देश का पराक्रम

Makar Sankranti 2022: 14 और 15 जनवरी को करें ये उपाय, मिलेंगे शुभ फल और दूर होंगी परेशानियां

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति पर इतने साल बाद बनेगा सूर्य-शनि का दुर्लभ योग, इन 3 राशियों को होगा फायदा

Makar Sankranti पर 3 ग्रह रहेंगे एक ही राशि में, शनि की राशि में बनेगा सूर्य और बुध का शुभ योग

Makar Sankranti को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद, जानिए कब मनाया जाएगा ये पर्व 14 या 15 जनवरी को?

Makar Sankranti 2022: 3 शुभ योगों में मनाया जाएगा मकर संक्रांति उत्सव, इस पर्व से शुरू होगा देवताओं का दिन

Share this article
click me!