होलाष्टक में क्यों नहीं किये जाते शुभ कार्य? जानिए इस परंपरा के पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण

होली से पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। दरअसल होलाष्टक की ये परंपरा प्रकृति और मौसम के बदलाव से जुड़ी हुई है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 22, 2021 3:58 AM IST

उज्जैन. होलाष्टक के 8 दिनों में ग्रहों की चाल और ऋतुओं में बदलाव होने से मानसिक और शारीरिक संतुलन गड़बड़ने की आशंका बनी रहती है, इसी कारण इन दिनों में शुभ और मांगलिक काम करने की मनाही है। जानिए इस परंपरा के पीछे छिपे अन्य वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में…

- होली से पहले के आठ दिन ये संकेत देते हैं कि रूटीन लाइफ में बदलाव कर लेना चाहिए। इन दिनों में मौसम में बदलाव के साथ शरीर में हार्मोंस और एंजाइम्स में भी बदलाव होते हैं। मूड स्विंग होने लगता है।
- सेक्सुअल हार्मोंस के कारण शरीरिक और मानसिक बदलाव भी होने लगते हैं। मौसम के बदलने से हार्ट और लीवर पर भी बुरा असर पड़ता है।
- होलाष्टक के दौरान वातावरण में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। सर्दी से गर्मी की ओर जाते हुए इस मौसम में शरीर पर सूर्य की पराबैंगनी किरणें विप‍रीत असर डालती हैं।
- ये दिन संकेत देते हैं कि साइट्रिक एसिड वाले फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। इसके साथ ही गर्म पदार्थों का सेवन कम कर देना चाहिए।
- होलिका दहन पर जो अग्नि निकलती है वो शरीर के साथ साथ आसपास के बैक्टीरिया और निगेटिव एनर्जी को खत्म कर देती है। क्योंकि गाय के गोबर से बने कंडे, पीपल, पलाश, नीम और अन्य पेड़ों की लकड़ियों से होलिका दहन होने पर निकलने वाला धुंआ सेहत के लिए अच्छा होता है।

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