करामाती चूहों ने रेलवे को लगाया चूना, बिना टिकट यात्रा करने को मजबूर हुए लोग, जानें क्या है मामला..

चूहों ने टिकट बुकिंग से जुड़े कंप्यूटरों के तारों को कई जगहों पर कुतर दिया है। इस कारण सिस्टम से टिकट नहीं बन पाया। टिकट नहीं बन पाने के कारण यात्री बेटिकट यात्रा को मजबूर हो गए। लवे स्टेशन पर टिकट बुकिंग बंद है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 18, 2021 1:26 PM IST

औरंगाबाद : बिहार (bihar) में चूहों के कारनामें एक बार फिर से चर्चा में हैं। इस बार उनका निशाना इंडियन रेलवे (Indian Railway) बना है। जिसको ये चूहे राजस्व का चूना लगा रहे हैं। मामला औरंगाबाद (Aurangabad) जिले का है। जहां के फेसर रेलवे स्टेशन पर चूहों ने टिकट बुकिंग से जुड़े कंप्यूटरों के तारों को कई जगहों पर कुतर दिया है। इस कारण सिस्टम से टिकट नहीं बन पाया। टिकट नहीं बन पाने के कारण यात्री बेटिकट यात्रा को मजबूर हो गए। टिकट न मिलने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा। सोमवार सुबह से ही रेलवे स्टेशन पर टिकट बुकिंग बंद है, क्योंकि सिस्टम ऑन ही नहीं हो रहा है। यात्री ट्रेनों के समय पर स्टेशन तो पहुंच रहे हैं लेकिन जब टिकट लेने काउंटर तक पहुंच रहे हैं तो उन्हें पता चल रहा है कि टिकट नहीं मिल रहा है।

प्रबंधन की कमी
यात्री इसे स्टेशन प्रबंधन की घोर लापरवाही बता रहे हैं। उनकी मांग है कि टिकट के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। यात्रियों ने प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सिस्टम का रख-रखाव सही तरीके से नहीं किया जाता वरना ऐसी नौबत ही नहीं आती। टिकट न मिलने से यात्रा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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क्या कहना है प्रबंधन का
वहीं स्टेशन प्रबंधक अरुण कुमार का कहना है कि इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है। जल्द ही सिस्टम को ठीक कर लिया जाएगा। टिकट के लिए अल्पकालिक व्यवस्था भी कर दी गई है। अनुग्रह नारायण रेलवे स्टेशन पर करीब 10 मिनट के लिए इन ट्रेनों का ठहराव होगा। इस दौरान वहां से ये यात्री अपने टिकट सकेंगे। यहीं यात्रियों को टिकट मुहैया कराया जाएगा, जिससे कि यात्रियों को आगे की यात्रा करने में दिक्कत ना हो सके।

इन ट्रेनों का होता है ठहराव
फेसर स्टेशन रेलवे स्टेशन पर भभुआ- पटना इंटरसिटी, आसनसोल- वाराणसी पैसेंजर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय गया पैसेंजर, धनबाद-डेहरी पैसेंजर समेत कई अहम ट्रेनों का ठहराव होता है। साथ ही इन ट्रेनों से रोजाना सैकड़ों लोग काम करने अन्य जगहों के लिए आते-जाते हैं।

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