RBI ने बढ़ाया रेपो रेट: इन 5 तरीकों से आपकी जेब पर पड़ेगा असर, किसी को होगा फायदा किसी को नुकसान

रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में वृद्धि के चलते लोन लेने वालों को अधिक ब्याज देना पड़ेगा। दूसरी तरफ बैंक में पैसा जमाकर रखने वालों को ब्याज बढ़ने से लाभ हो सकता है। 

Asianet News Hindi | / Updated: Jun 09 2022, 06:01 AM IST

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में वृद्धि की है। रेपो रेट को 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.4 फीसदी कर दिया गया है। वहीं, सीआरआर को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.5 फीसदी किया गया है। इस वृद्धि से होम लोन और अन्य तरह के लोन लेने वालों को अधिक ब्याज देना पड़ेगा, जिससे उन्हें नुकसान होगा। दूसरी तरफ बैंक में पैसा जमाकर रखने वालों को ब्याज बढ़ने से लाभ हो सकता है। 

रेपो रेट और CRR में हुई वृद्धि का इन 5 तरीकों से आपकी जेब पर पड़ेगा असर

1- महंगा होगा कर्ज: रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर बैंकों से लिए गए होम लोन और अन्य सभी लोन के ब्याज दरों में वृद्धि के रूप में आम आदमी पर पड़ेगा। ज्यादातर बैंक पहले ही ब्याज दरें बढ़ा चुके हैं। अब आरबीआई द्वारा बढ़ोतरी की घोषणा के साथ ब्याज दरों में और वृद्धि की उम्मीद है।

2 बैंक में जमा पैसे पर मिलेगा अधिक ब्याज: रेपो रेट बढ़ने का फायदा बैंक में पैसा जमाकर रखने वालों को मिलेगा। इससे उन्हें अधिक ब्याज मिलेगा। बचत खातों, डाकघर बचत खातों, एफडी और अन्य अकाउंट्स में जमा पैसे पर ब्याज दरें बढ़ने की संभावना है।

3 बॉन्ड पर अधिक मिलेगा रिटर्न: रेपो रेट बढ़ने से बचत के साथ-साथ बॉन्ड पर रिटर्न भी बढ़ने की संभावना है। बुधवार को ही 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 25 बेसिस प्वाइंट बढ़ा।

4 आर्थिक सुधार में मंदी: रेपो रेट बढ़ने के चलते लोग लोन कम लेंगे और पैसे कम खर्च करेंगे। इसके चलते मांग घटेगी और 
आर्थिक सुधार में मंदी आएगी। कर्ज महंगा होने से आर्थिक सुधार धीमा पड़ेगा। अर्थव्यवस्था पहले ही कोरोना महामारी के चलते हुए नुकसान से उबर नहीं पाई है। निजी खपत अभी भी पूर्व-महामारी के स्तर से मजबूती से ऊपर नहीं आई है।

5 मुद्रास्फीति कम होगी: सीआरआर में वृद्धि करने का आरबीआई का लक्ष्य अर्थव्यवस्था से अतिरिक्त पैसे को बाहर निकालना है। मार्च और अप्रैल के मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने नीति निर्माताओं को चिंतित कर दिया है। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण अधिकांश वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है। अधिक मांग के चलते भी कीमत बढ़ती है। सीआरआर में वृद्धि से मुद्रास्फीति नीचे आएगी। आरबीआई का लक्ष्य कीमतों को नियंत्रित करने के लिए अर्थव्यवस्था से 87,000 करोड़ रुपए निकालना है।

यह भी पढ़ें- महंगाई पर कंट्रोल करने RBI ने 0.50% रेपो रेट बढ़ाया, होम-कार-एजुकेशन लोन सब होगा महंगा

क्या है रेपो रेट
रेपो दर वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक) पैसे की किसी भी कमी की स्थिति में कॉमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। रेपो रेट का उपयोग मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। मुद्रास्फीति की स्थिति में केंद्रीय बैंक रेपो दर में वृद्धि करते हैं। इसके चलते कॉमर्शियल बैंक केंद्रीय बैंक से उधार लेना कम कर देते हैं, जिससे आगे चलकर अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति घट जाती है। पैसे की कमी मुद्रास्फीति रोकने में मदद करती है।

यह भी पढ़ें- 10 प्वाइंट्स में जानें आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी में हुए बदलाव

Read more Articles on
Share this article
click me!