विशेषज्ञों का मानना, नए टैक्स स्लैब से देश में बचत पर पड़ेगा विपरीत प्रभाव

सरकार की बिना छूट और कटौती वाली नई वैकल्पिक कर व्यवस्था से देश में बचत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा यह बात विशेषज्ञों ने कही है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में व्यक्तिगत आयकर दाताओं को छूट और कटौती के लाभ के साथ मौजूदा कर योजना में बने रहने या कर की कम दर के साथ नई सरलीकृत कर व्यवस्था अपनाने का विकल्प दिया है

Asianet News Hindi | Published : Feb 16, 2020 11:43 AM IST / Updated: Feb 16 2020, 05:15 PM IST

नई दिल्ली: सरकार की बिना छूट और कटौती वाली नई वैकल्पिक कर व्यवस्था से देश में बचत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह बात विशेषज्ञों ने कही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में व्यक्तिगत आयकर दाताओं को छूट और कटौती के लाभ के साथ मौजूदा कर योजना में बने रहने या कर की कम दर के साथ नई सरलीकृत कर व्यवस्था अपनाने का विकल्प दिया है। लेकिन नई कर व्यवस्था में कोई छूट और कटौती का लाभ नहीं मिलेगा।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफ) के प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में मांग में गिरावट के कारण अर्थव्यवस्था में नरमी को देखते हुए सरकार ने प्रत्यक्ष कर दरों (व्यक्तिगत और कंपनी कर दोनों में) में कटौती कर प्रोत्साहन देने की कोशिश की है।

मांग को गति देने में मामूली फर्क पड़ सकता है

उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘हालांकि इससे मांग को गति देने में मामूली फर्क पड़ सकता है लेकिन दूसरी तरफ इसका घरेलू बचत पर असर पड़ सकता है क्योंकि कर दरों में कटौती का लाभ तभी मिलेगा जब छूट और कटौती नहीं ली जाएगी। विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह साल से अधिक समय से देश की बचत दर में उल्लेखनीय रूप से कमी आ रही है।

वर्ष 2012 में बचत दर 36 प्रतिशत थी लेकिन वह अब घटकर 30 प्रतिशत पर आ गयी है। इस बारे में प्रख्यात अर्थशास्त्री योगेन्द्र अलघ ने कहा, ‘‘इस प्रस्ताव से निश्चित रूप से बचत प्रोत्साहन प्रभावित होगा।’’ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर रोहित आजाद ने कहा कि इस प्रस्ताव के कारण बचत दर कम हो सकती है लेकिन नरमी के दौरान यह कोई बुरी बात नहीं है।

80 प्रतिशत करदाता नई कर व्यवस्था अपना सकते हैं

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन खराब बात यह है कि इस प्रस्ताव के जरिये ऐसी धारणा सृजित की जा रही है कि शुद्ध रूप से मध्य और निम्न मध्यम वर्ग के लिये कर बोझ कम होगा। लेकिन इसकी संभावना नहीं है।’’वित्त मंत्रालय का मानना है कि कम-से-कम 80 प्रतिशत करदाता नई कर व्यवस्था अपना सकते हैं।

नए कर प्रस्ताव के तहत 2.5 लाख रुपये सालाना आय वाले को कोई कर नहीं देना है। वहीं 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय पर कर की दर पूर्व की तरह 5 प्रतिशत होगी। पांच से 7.5 लाख रुपये सालाना आय वालों के लिये कर की दर 10 प्रतिशत, 7.5 से 10 लाख रुपये की आय पर 15 प्रतिशत, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत तथा 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगेगा।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(प्रतीकात्मक फोटो)

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