एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस ने अपने बयान में कहा कि 700 और उससे अधिक के सिबिल स्कोर वाले बोरोअर्स के लिए, दर वृद्धि केवल 20 बीपीएस तक सीमित है। सिबिल स्कोर (700 से कम) वाले ग्राहकों के लिए अधिकतम वृद्धि 25 आधार अंक (बीपीएस) है। कंपनी के बयान के अनुसार, एनटीसी (क्रेडिट के लिए नया) ग्राहकों के लिए बढ़ोतरी 40 बीपीएस है।
बिजनेस डेस्क। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मॉर्गेज फाइनेंसर एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस (एलआईसी एचएफएल) ने शुक्रवार को चुनिंदा बोरोअर्स के लिए होम लोन पर ब्याज दर को 20 आधार अंकों का इजाफा कर दिया है जिसके बाद होम लोन की ब्याज दरें 6.9 फीसदी कर दी है। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस ने अपने बयान में कहा कि 700 और उससे अधिक के सिबिल स्कोर वाले बोरोअर्स के लिए, दर वृद्धि केवल 20 बीपीएस तक सीमित है। सिबिल स्कोर (700 से कम) वाले ग्राहकों के लिए अधिकतम वृद्धि 25 आधार अंक (बीपीएस) है। कंपनी के बयान के अनुसार, एनटीसी (क्रेडिट के लिए नया) ग्राहकों के लिए बढ़ोतरी 40 बीपीएस है।
गौरतलब है कि संशोधित दरें शुक्रवार से लागू हैं। आपको बता दें कि हाल ही में आरबीआई ने नीतिगत रेपो दरों में 40 आधार अंकों का इजाफा किया है। जिसके बाद देश के सभी बड़े-छोटे सरकारी एवं प्राइवेट बैंकों ने होम लोन की दरों में इजाफा करना शुरू कर दिया है। जानकारों की मानें तो आने वाली एमपीसी की बैठक में सख्त रुख बनाए रख सकती है। मतलब है कि साफ कि आने वाले महीनों में होम लोन की दरों में इजाफा देखने को मिल सकता है।
सिबिल स्कोर क्या है?
सिबिल स्कोर ग्राहक के क्रेडिट हिस्ट्री का 3-अंकों का न्यूमैरिक समरी है। यह 300 से 900 के बीच होता है। स्कोर 900 के जितना करीब होता है, क्रेडिट रेटिंग उतनी ही बेहतर होती है। पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दरों में 0.40 फीसदी का इजाफा किया है जिसके बाद रेपो दरें 4.40 फीसदी हो गई हैं, जिसके बाद लेंडिंग रेट में इजाफा करना शुरू कर दिया है।
एलआईसी एचएफएल के प्रबंध निदेशक और सीईओ का बयान
इस बीच, एलआईसी एचएफएल के प्रबंध निदेशक और सीईओ वाई विश्वनाथ गौड़ ने कहा कि आरबीआई ने लंबे समय के बाद नीतिगत दरों में वृद्धि की है और इसका प्रभाव सभी लेंडर्स पर देखने को मिल रहा है। हमने लागत में वृद्धि के बावजूद अपने होम लोन की दरों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखा है। यह डेवलपमेंट एचडीएफसी बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और करूर वैश्य बैंक सहित कई बैंकों द्वारा धन की सीमांत लागत और रेपो दर के आधार पर अपनी उधार दरों को संशोधित करने के बाद आया है।