Explainer: भारत ने चीन को किया चारों खाने चित, जानें क्यों हर तरफ बज रहा हमारा डंका

कुछ साल पहले तक एशिया में चीन का डंका बजता था, लेकिन अब भारत ने उसे चारों खाने चित कर दिया है। चीन की अर्थव्यवस्था जहां, बदहाली के दौर से गुजर रही है वहीं भारत दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है।

Made in india Products beat China: कुछ साल पहले तक एशिया में चीन का डंका बजता था, लेकिन अब भारत ने उसे चारों खाने चित कर दिया है। चीन की अर्थव्यवस्था जहां, बदहाली के दौर से गुजर रही है वहीं भारत दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि चीन से अमेरिकी इंपोर्ट में भारी गिरावट आई है, जबकि भारत से इंपोर्ट में कई गुना का इजाफा हुआ है।

अमेरिका चीन के बजाय भारत से मंगा रहा सामान

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बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की स्टडी में सामने आया है कि 2018 से 2022 के बीच चीन से अमेरिका द्वारा आयात किए जाने वाले सामान में 10 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं, भारत से अमेरिका द्वारा आयात किए जाने वाले सामानों में 44 प्रतिशत की तेजी देखी गई है। इसके अलावा मैक्सिको से 18% और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (Asian) से 65% की बढ़ोतरी हुई है।

आखिर क्यों ढलान पर है चीनी अर्थव्यवस्था?

दरअसल, 2019 में चीन से शुरू हुई कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। कोविड-19 के दौरान ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुई और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने चीन की जगह दूसरे देशों से सामान मंगवाने को प्राथमिकता दी। अमेरिका ने चीन की जगह भारत को तरजीह दी और यही वजह है कि पिछले 4 सालों में भारत से अमेरिका द्वारा आयात किए जाने वाले सामानों में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

चीन को पछाड़ एशिया में ग्लोबल मैन्युफैक्चरर हब बना भारत

2018 से 2022 के बीच चीन से अमेरिकी यांत्रिक मशीनरी के आयात में 28 प्रतिशत की कमी आई, जबकि इसके विपरीत मेक्सिको से 21%, आसियान से 61% और भारत से 70% की वृद्धि हुई। पिछले 5 सालों में अमेरिका को निर्यात की जाने वाली चीजों में उल्लेखनीय वृद्धि को देखते हुए भारत ने खुद को ग्लोबल मैन्युफैक्चरर के रूप में खुद को स्थापित किया है। वहीं, इसके उलट इसी अवधि के दौरान चीन द्वारा अमेरिका को निर्यात की जाने वाली चीजों में 10% की गिरावट आई है।

अमेरिकी स्टोर्स में Made in India प्रोडक्ट्स

भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सामानों में वृद्धि की एक वजह ये भी है कि अमेरिकी खुद भारतीय प्रोडक्ट्स को पसंद कर रहे हैं। अमेरिका का सबसे बड़ा रिटेलर वॉलमार्ट (Walmart) भारत से अपनी सोर्सिंग बढ़ा रहा है। इसके चलते अमेरिका में वॉलमार्ट के स्टोर Made in india टैग के साथ प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं। वॉलमार्ट भारत से उन चीजों को ज्यादा से ज्यादा मंगाना चाहता है, जिसमें भारतीयों के पास एक्सपर्टीज है। इसमें फूड, कंज्यूर ड्यूरेबल्स, हेल्थ एंड वेलनेस, कपड़े, जूते, होम टेक्स्टाइल और खिलौने शामिल हैं।

Walmart के लिए दुनिया का सबसे बड़ा सोर्सिंग हब है भारत

वॉलमार्ट में सोर्सिंग के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एंड्रिया अलब्राइट के मुताबिक, हम 2027 तक भारत से सालाना 10 बिलियन डॉलर के सामान की सोर्सिंग के अपने लक्ष्य को हासिल करने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। वॉलमार्ट के मुताबिक, भारत पहले से ही लगभग 3 अरब डॉलर के सालाना निर्यात के साथ दुनिया के सबसे बड़े रिटेल सेलर वॉलमार्ट के लिए टॉप सोर्सिंग मार्केट्स में से एक है।

बेंगलुरू में वॉलमार्ट का सोर्सिंग ऑफिस

भारत में बने कपड़े, होमवेयर, आभूषण और दूसरे पॉपुलर प्रोडक्ट्स अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, सेंट्रल अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सहित दुनियाभर के 14 बाजारों में ग्राहकों तक वॉलमार्ट के बेंगलुरु ऑफिस से पहुंचाए जा रहे हैं। वॉलमार्ट का ये ग्लोबल सोर्सिंग ऑफिस 2002 में खोला गया था।

Made in India प्रोडक्ट्स की क्यों है इतनी डिमांड?

बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की स्टडी के मुताबिक, भारत में इन प्रोडक्ट्स को बनाने की लागत बेहद कम है। अमेरिका पहुंचने वाले मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स की औसत लागत, जिसमें प्रोडक्टिविटी, लॉजिस्टिक, टैरिफ एंड एनर्जी और फैक्ट्री सैलरी शामिल है, अमेरिका में बने सामान की तुलना में 15 प्रतिशत तक कम है। इसके विपरीत, चीन से अमेरिका आने वाले सामान की औसत लागत अमेरिकी लागत से सिर्फ 4 प्रतिशत ही कम है। ऐसे में अमेरिका अब चीन की जगह भारत के सामान को खरीदने में रुचि दिखा रहा है।

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