
बिजनेस डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 10वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को 6.5% पर ही बरकरार रखा है। मतलब लोन की EMI न महंगी होगी और ना ही सस्ती। आखिरी बार फरवरी 2023 में ब्याज दरें बढ़ाई गई थीं। 7 अक्टूबर से शुरू हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग का आज 9 अक्टूबर को आखिरी दिन था। इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने दी।
4 साल में कितनी बदली ब्याज दरें
कोरोनाकाल में आरबीआई ने 27 मार्च 2020 से लेकर 9 अक्टूबर 2020 तक ब्याज दरें दो बार में 0.40% घटा दी थी। इसके बाद 10 में से 5 मीटिंग में ब्याज दरों में इजाफा किया गया। अगस्त 2022 में एक बार फिर 0.50% की कटौती की गई।
ब्याज दरों में कब होगा बदलाव
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि रिजर्व बैंक ने 8 फरवरी, 2024 के बाद से ब्याज दरें नहीं बदली हैं। अभी भी ब्याज दर 6.50% पर ही बरकरार है। ऐसे में उम्मीद है कि मार्च 2025 तक इसमें 0.50% की कटौती की जाए। मार्केट एनालिस्ट का मानना है कि आरबीआई समेत दूसरे ग्लोबल सेंट्रल बैंक्स सॉफ्टर मॉनेटरी स्टांस अपनाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
ब्याज दरों के कम-ज्यादा होने से क्या होता है
केंद्रीय बैंक के पास ब्याज दरों को कम ज्यादा करने का एक टूल पॉलिसी रेट यानी रेपो रेट होता है। जिससे वह महंगाई को कंट्रोल करता है। जब महंगाई ज्यादा बढ़ जाती है तो केंद्रीय बैंक इस रेट को बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो कम कर देता है। इससे बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज यानी लोन महंगा हो जजाता है। बैंक भी कस्टमर्स को महंगा लोन देते हैं। जिससे अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो कम हो जाता है। इससे डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।
ब्याज दरें क्यों बढ़ाई जाती हैं
जब अर्थव्यवस्था ठीक न चल रही है तो उसे बेहतर बनाने यानी रिकवरी के लिए आरबीआई मनी फ्लो बढ़ाती है। इसके लिए रिजर्व बैंक पॉलिसी यानी रेपो रेट में कटौती कर देती है। इससे बैंकों को मिलने वाला कर्ज भी सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ता लोन मिलने लगता है। इसकी वजह से मनी फ्लो बढ़ता है।
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