केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगाकर घरेलू मोर्चे पर आम लोगों को राहत देने की कोशिश की है। घरेलू जरूरतें को देखते हुए केंद्र ने चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। ताकि देश के बाजारों में चीनी की कमी न हो और कीमतें भी नियंत्रण में रहें.
नई दिल्लीः भारत द्वारा चीनी निर्यात पर रोक (Sugar Export) लगाने के बाद दुनियाभर से प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, लेकिन सरकार का दो टूक कहना है कि उन्होंने घरेलू बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। अब से कुछ महीनों बाद त्योहारी सीजन शुरू होगा, जिसमें चीनी की खपत बढ़ेगी. ऐसे में यदि चीनी की उपलब्धता में कमी आई तो दाम बढ़ जाएंगे, जिससे त्योहारों का मजा फीका हो जाएगा। इसलिए सरकार ने यह फैसला किया है, जिससे करोड़ों भारतीयों को फायदा होगा.
क्या है प्रतिबंध
विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सभी प्रकार की चीनी जिसमें रॉ, रिफाइन और व्हाइट शुगर शामिल है, के निर्यात को 1 जून 2022 से प्रतिबंधित किया जाता है. केंद्र सरकार ने बयान में कहा कि हमने 1 जून से चीनी निर्यात को नियंत्रित करने का फैसला किया है. चीनी निर्यात को 100 लाख टन तक सीमित कर दिया गया है। ताकि घरेलू बाजार में इसकी कमी न होने पाए.
क्या है इसकी वजह
माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से पूरी दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है. आवश्यक वस्तुओं का ट्रांसपोर्ट नहीं हो पा रहा है। 2020-21 में देश से चीनी निर्यात का लक्ष्य 60 एलएमटी था लेकिन सप्लाई 70 एलएमटी हुई। आगे घरेलू बाजार में कमी न हो इसलिए निर्यात रोका जा रहा है। चालू वित्त वर्ष में 100 एमएलटी निर्यात होना है, जिसमें से 82 एमएलटी माल उठाया जा चुका है।
क्या है देश में स्थिति
भारत सरकार के सूत्रों की मानें तो केंद्र देश में 12 महीनों तक चीनी की उपलब्धता के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में भारत में चीनी का थोक मूल्य 3150 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक है। जिसकी वजह से खुदरा बाजार में कीमतें 36-44 रुपये प्रति किलो तक बनी हुई हैं. भारत की औसत मासिक खपत 23 एमएलटी है और देश के पास पर्याप्त घरेलू स्टॉक करीब 62 एमएलटी मौजूद है।
चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी
माना जा रहा है कि देश में चीनी का उत्पादन पिछले सीजन की तुलना में 17 फीसदी ज्यादा होगा। भारत न सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा चीनी निर्यातक है, बल्कि 278 एमएमटी की खपत के साथ दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। देश में प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति करीब 20 किलो चीनी की खपत होती है। देश के तीन राज्यों यूपी, महाराष्ट्र और कर्नाटक में करीब 80 फीसदी चीनी का उत्पादन किया जाता है।
एथेनॉल ईंधन में चीनी
भारत वैकल्पिक ईंधन के स्रोतों पर भी काम कर रहा है। देश में पेट्रोल की कमी पूरी करने के लिए अतिरिक्त गन्ने को मिलाकर एथेनॉल बनाया जा रहा है। शुगर सीजन 2018-19 में 3.37 लाख टन, 2019-20 में 9.26 लाख टन और
2020-21 में 22 लाख टन चीनी को एथेनॉल में बदला गया। सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक करीब 60 लाख टन चीनी को एथेनॉल में बदला जाए।