महाराष्ट्र राज्य बोर्ड स्कूल कोर्स में शामिल करेगा मनाचे श्लोक और भगवद गीता, जानिए नये सिलेबस प्लान की डिटेल

महाराष्ट्र राज्य बोर्ड स्कूल कोर्स में मनाचे श्लोक और भगवद गीता के अध्ययन को शामिल करने की तैयार कर रहा है। मामले में पूरी डिटेल जानने के लिए आगे पढ़ें।

Anita Tanvi | Published : May 24, 2024 10:44 AM IST / Updated: May 24 2024, 04:15 PM IST

Maharashtra state board announced new syllabus plan: राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, महाराष्ट्र ने नई शिक्षा नीति (2020) की तर्ज पर नए सिलेबस प्लान की घोषणा की है। इसके अनुसार राज्य बोर्ड स्कूल कोर्स में जल्द ही भाषा अध्ययन के हिस्से के रूप में मनाचे श्लोक और भगवद गीता के 12वें अध्याय को शामिल करने की तैयारी में है। बोर्ड ने छात्रों में वैल्यूज डेवलप करने के लिए कोर्स में मनुस्मृति से श्लोक जोड़ने का निर्णय भी लिया है। यह नीति छात्रों को पारंपरिक विचारों और प्राचीन ज्ञान प्रणालियों से परिचित कराने पर जोर देती है। जिसके अनुसार छात्रों को 17वीं शताब्दी में संत रामदास द्वारा रचित भजनों की एक श्रृंखला मनाचे श्लोक और भगवद गीता का अध्ययन कराना निर्धारित किया है। 

9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्र भगवत गीता के 12वें अध्याय का करेंगे अध्ययन

9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्र भगवत गीता के 12वें अध्याय का अध्ययन करेंगे। जबकि तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के छात्र मनाचे श्लोक के 1 से 25 तक वहीं कक्षा 6 से 8वीं तक के छात्रों को 26 से 50 तक के श्लोक पढ़ाए जाएंगे। परिषद ने इन भजनों पर छात्रों का टेस्ट करने के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित करने की भी सिफारिश की है। इसके अलावा छात्रों को गीता के विभिन्न सिद्धांतों जैसे ध्यानयोग, आत्मज्ञानयोग, भक्तियोग और कर्मयोग के साथ-साथ भारतीय ऋषियों की जीवनशैली, गुरु-शिष्य परंपरा आदि पर शिक्षित किया जाएगा। नए सिलेबस प्लान में भाषा नीति और दुर्व्यवहार के मामले में छात्रों का एडमिशन रद्द करने के बारे में भी बताया गया है।

क्या है योजना का उद्देश्य

इस योजना का उद्देश्य प्राचीन भारत से वैज्ञानिक और गणितीय ज्ञान प्रणालियों को कोर्स में शामिल करना है।

दुर्व्यवहार के मामले में रद्द हो सकता है छात्र का एडमिशन

स्कूलों को दुर्व्यवहार के मामले में छात्र का एडमिशन रद्द करने की अनुमति दी गई है। एससीईआरटी की योजना में स्कूलों में संघर्ष समाधान और छात्रों के बीच अनुशासन से संबंधित विभिन्न प्रावधान शामिल किये गये हैं। इसमें किसी छात्र के दुर्व्यवहार करने पर उसे निलंबित करने और उसका एडमिशन रद्द करने जैसे कठोर कदम उठाने के बारे में भी बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि स्कूल ऐसे कदम उठाने से पहले ऐसे छात्रों और उनके अभिभावकों को परामर्श प्रदान करें और छात्रों के साथ दयालु व्यवहार करें। बता दें कि शिक्षा का अधिकार कानून के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के बच्चों को स्कूल से निकालने की अनुमति नहीं है।

गैर-मराठी मीडियम स्कूलों के लिए असमंजस की स्थिति

एससीईआरटी की योजना में गैर-मराठी मीडियम स्कूलों के लिए अपने छात्रों को मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य है। हालांकि इसमें स्पष्ट निर्देश प्रदान का अभाव है। मराठी के अलावा अन्य भाषाओं के चयन को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। यह अपेक्षा की जाती है कि त्रिभाषा सूत्र में पहली भाषा छात्र की स्थानीय, मातृभाषा हो। हालांकि महाराष्ट्र में अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, पंजाबी, सिंधी, तमिल और उर्दू जैसी शिक्षा की विभिन्न भाषाओं वाले कई स्कूल हैं। जिनके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है कि इन स्कूलों में पहली भाषा के रूप में मराठी या उनके माध्यम की भाषा  किसकी पढ़ाई होगी।

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