Maths में एवरेज और Geography में कमजोर स्टूडेंट थे महात्मा गांधी, जानें कहां-कहां से की पढ़ाई

आज महात्मा गांधी सबसे बड़े मैनेजमेंट गुरु माने जाते हैं। उनकी बातें आज भी प्रेरणा देती हैं और सफलता का मार्ग बनाती हैं। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि गांधी जी बचपन से ही एक एवरेज छात्र रहे। वे भूगोल कमजोर, मैथ्य ठीक-ठाक और इंग्लिश में काफी अच्छे थे।
 

करियर डेस्क : आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Gandhi Jayanti 2022) की 153वीं जयंती मनाई जा रही है। उनका पूरा जीवन ही लोगों के लिए प्रेरणा हैं। दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले बापू पढ़ाई-लिखाई में एवरेज स्टूडेंट थे। वे गणित में ठीक-ठीक और भूगोल में काफी कमजोर थे। हालांकि उन्होंने लॉ किया और देश की आजादी में अहम योगदान निभाया। भारत से लेकर इंग्लैंड तक उन्होंने डिग्री हासिल की। गांधी जी ने जीवन जीने के कई तौर-तरीके सिखाए और आज विश्वभर की कई बड़ी हस्तियों के आइडल हैं। मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती पर आइए जानते हैं उनके स्टूडेंट लाइफ की कुछ अहम बातें..

मिट्टी में लिखना सीखा, यहां से 10वीं की पढ़ाई
मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) की शुरुआती पढ़ाई गुजरात के पोरबंदर से ही हुई। वह पढ़ाई में बहुत तेज नहीं थे। गांधी जी एक औसत छात्र रहे। मिट्टी में उन्होंने अक्षरों को लिखना सीखा था और खेलकूद में कोई दिलचस्पी नहीं थी। गांधी जी के पिता करमचंद गांधी राजकोट रियासत में दीवान की नौकरी करते थे। जब मोहनदास की उम्र 9 साल की थी, तब वे राजकोट चले गए। 11 साल की उम्र में राजकोट के अल्फ्रेड हाईस्कूल में एडमिशन लिया। खेलकूद में ज्यादा मन नहीं लगता था, इस वजह से उन्हें एक साल रिपीट भी करना पड़ा। 13 साल में कस्तूरबा बाई से उनका विवाह हुआ और फिर पिता की तबीयत बिगड़ गई। इन वजहों से उनकी पढ़ाई में काफी बाधाएं आईं।

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मैथ्य में एवरेज, भूगोल में कमजोर थे गांधी जी
मीडिया रिपोर्ट्स  के मुताबिक, मोहनदास जब स्कूल में पढ़ते थे, तब मैथ्य में वे एवरेज स्टूडेंट थे, भूगोल उनका हमेशा ही कमजोर रहा लेकिन इंग्लिश उनकी जबरदस्त थी। उनकी हैंडराइटिंग भी काफी खराब थी। जब महात्मा गांधी काफी फेमस हुए तब अल्फ्रेड हाईस्कूल का नाम उन्हीं के नाम पर रख दिया गया। मई 2017 में  इस स्कूल को संग्रहालय बना दिया गया औऱ स्कूल में पढ़ाई बंद हो गई।

भावनगर से ग्रेजुएशन, लंदन से लॉ
मोहनदास ने 10वीं तक की पढ़ाई राजकोट में ही की और फिर ग्रेजुएशन के लिए भावनगर के सामलदास आर्ट्स कॉलेज में एडमिशन लिया। उस वक्त यहां का यह एकमात्र ऐसा कॉलेज था, जो यह डिग्री देता था लेकिन गांधी जी ने बीच में ही कॉलेज ड्रॉप आउट कर दिया और पोरबंदर वापस आ गए। कुछ दिन यहां रहने के बाद उन्होंने एक बार फिर इसी कॉलेज में अलग सब्जेक्ट से एडमिशन लिया. साल 1888 में लॉ की डिग्री के लिए ब्रिटेन गए और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में दाखिला लिया। 1891 में उनकी लॉ की डिग्री पूरी हुई और 1893 में दक्षिण अफ्रीका चले गए। जहां उन्होंने गुजराती बिजनेसमैन शेख अब्दुल्ला के वकील के तौर पर करियर की शुरुआत की। वहीं,  से उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेश के अत्याचारों के खिलाफ जंग शुरू की जो भारत में भी जारी रही।

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