मुख्यमंत्री को भारतीय संविधान के अनुसार कई तरह की शक्तियां दी गई हैं। वह किसी भी राज्य का आधिकारिक नहीं बल्कि वास्तविक प्रमुख होता है। राज्यपाल किसी राज्य का आधिकारिक यानी औपचारिक प्रमुख होता है।
करियर डेस्क : महाराष्ट्र में सियासी संकट (Maharashtra Political Crisis) के बीच उद्धव ठाकरे सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं। कभी उद्धव के राइट हैंड माने जाने वाले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) शिवसेना के दो तिहाई विधायकों को लेकर अलग गुट बनाए हुए हैं तो चर्चाएं भी तेज हैं कि अगर सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की कुर्सी जाती है, यानी सरकार गिरती है तो कौन बनेगा सूबे का अगला मुख्यमंत्री? हालांकि उद्धव ठाकरे का दावा है कि वह अपनी सरकार बचा लेंगे और राज्य के सियासी संकट को खत्म कर देंगे। ऐसे में अगर एक मुख्यमंत्री की पावर की बात की जाए तो संविधान में उसे इतनी शक्तियां दी गई हैं कि वह किसी भी राज्य में सबसे पावरफुल होता है। आइए जानते हैं कि कितना ताकतवर होता है किसी राज्य का मुख्यमंत्री...
राज्य में सबसे ताकतवर कौन
भारतीय संविधान के अनुसार, राज्य में मंत्रियों की परिषद का निर्वाचित प्रमुख मुख्यमंत्री यानी चीफ मिनिस्टर होता है। हालांकि वह आधिकारिक तौर पर राज्य का प्रमुख नहीं होता लेकिन फिर भी उसी में सभी तरह की कार्यकारी शक्तियां निहित होती हैं। राज्य का आधिकारी प्रमुख राज्यपाल होता है। प्रदेश सरकार के हर दिन के कामकाज को मुख्यमंत्री ही देखता है। संविधान के मुताबिक शासन चलाने में मुख्यमंत्री की सहायता मंत्री परिषद करता है। इसमें कैबिनेट मंत्री, उपमंत्री और अन्य शामिल होते हैं। ये सभी मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
कितना पावरफुल होता है मुख्यमंत्री
जिस तरह की शक्तियां केंद्र में भारत के प्रधानमंत्री के पास होती है, राज्य में वहीं पावर एक मुख्यमंत्री रखता है। मुख्यमंत्री राज्य सरकार की कार्यकारी शक्तियों का अधिकार रखता है। उनके पास मंत्रि परिषद बनाने, राज्य के कामकाज के भीतर विशेष मंत्रालयों के लिए अपनी पार्टी के सदस्यों को चुनने की शक्ति होती है। किसी भी मंत्री को कोई भी विभाग मुख्यमंत्री ही आवंटित करता है। अगर उसे किसी का काम पसंद नहीं आता तो उसे मंत्री पद से हटा भी सकता है।
राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है मुख्यमंत्री
किसी राज्य का मुख्यमंत्री उस राज्य की सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है। राज्यपाल और मंत्री परिषद के बीच की कड़ी होता है। राज्य के वित्तीय मामलों में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बजट, बुनियादी आधारभूत संरचना और राज्य की विकासात्मक प्राथमिकताएं, वित्तीय योजना और राज्य का आर्थिक विकास जैसे फैसलों में उसकी सहभागिता होती है।
मुख्यमंत्री को कौन-कौन सी सुविधाएं मिलती हैं
किसी राज्य के मुख्यमंत्री को जो सुविधाएं मिलती हैं, उनमें आवास की सुविधा, मुफ्त बिजली और फोन, यात्रा की सुविधाओं समेत कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं। हर राज्य में मुख्यमंत्री की सुविधाएं के एवज में जो राशि दी जाती है, वह किसी दूसरे राज्य से अलग होती है। मुख्यमंत्री को मेडिकल सुविधाएं भी दी जाती हैं। सरकार की तरफ से चलाए जा रहे सभी अस्पतालों और सरकार द्वारा घोषित अन्य रेफरल अस्पतालों में मुख्यमंत्री मुफ्त में इलाज करवा सकते हैं।
मुख्यमंत्री की सैलरी कितनी होती है
किसी राज्य के मुख्यमंत्री का वेतन देश के प्रधानमंत्री की तरह ही होता है। उसे पीएम की तरह ही कई तरह के भत्ते मिलते हैं। जिसमें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, कर मुक्त भत्ता और दैनिक भत्ता होता है। इसके अलावा भी कई तरह के अलाउंस उसे दिए जाते हैं। संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार, देश में संबंधित राज्य विधायिकाओं द्वारा मुख्यमंत्री का वेतन तय किया जाता है। इस कारण अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों का वेतन अलग-अलग होता है। जैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री को 3.9 लाख रुपए वेतन और एक विधायक का वेतन भी मिलता है। भत्ते और सुविधाएं अलग से। वहीं यूपी के सीएम को 3.65 लाख रुपए और साथ में एक विधायक की सैलरी जोड़कर दी जाती है। भत्ते और सुविधाएं अग से। वहीं महाराष्ट्र की बात की जाए तो यहां के मुख्यमंत्री की सैलरी 3.4 लाख और साथ में एक विधायक का वेतन मिलता है। इसके अलावा तमाम तरह के भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं।
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