श्रीमद्भागवत गीता का यह एक श्लोक बना प्रेरणा, पांचवें प्रयास में डिप्टी कलेक्टर से IAS बन गया यूपी का लाल

आदित्य सिंह बचपन से औसत छात्र थे लेकिन स्कूल में अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेते थे। शुरूआती दिनों में वह सोचते थे कि सविल सर्विस में अच्छी पृष्ठभूमि से अच्छे बच्चे आते हैं। शुरू में उनमें झिझक थी कि ऐसे बच्चों से प्रतिस्पर्धा करनी है। इसकी वजह से कई बार उन्हें लगता था कि उनका चयन यूपीएससी में होना मुश्किल है। 

करियर डेस्क.  ऐसी मान्यता है कि श्रीमद्भागवत गीता में जीवन का सार है लेकिन श्रीमद्भागवत गीता के एक श्लोक ने मुजफ्फरनगर के तितावी गांव के रहने वाले आदित्य सिंह (Aditya Singh) के लिए प्रेरणास्रोत बन गए। उन्हें गीता के एक श्लोक से ऐसी प्रेरणा मिली की उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा क्लियर कर ली।  पहले दो प्रयास में उनका प्रीलिम्स भी नहीं निकला, तब उन्होंने जॉब छोड़कर पूरी तरह परीक्षा की तैयारी करने का फैसला लिया। तीसरे प्रयास में वह इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन कुछ नंबरों की कमी की वजह से उनका चयन नहीं हो सका। चौथे प्रयास में सफलता मिली तब उन्हें इंडियन इंफार्मेशन सर्विस कैटगरी मिला पर उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। उसी वर्ष यूपीपीसीएस (UPPSC) की परीक्षा में उनका सिलेक्शन हुआ। उनकी 29वीं रैंक आई और उप जिलाधिकारी पोस्ट मिली इस समय में वो औरैया में डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट पर तैनात हैं। अब उन्होंने UPSC 2020 परीक्षा में 92वीं रैंक हासिल की उन्हें आईएएस या आईपीएस कैटगरी मिलने की उम्मीद है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi UPSC 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने आदित्य से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी कैसी रही।

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पांचवे प्रयास में मिली सफलता
आदित्य की प्रारंभिक शिक्षा गांव से हुई। मुजफ्फरनगर के एमजी पब्लिक स्कूल से इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने जेएसएस एकेडमी, नोएडा से बीटेक किया और फिर आईबीएम बेंगलुरू में 1.5 साल तक नौकरी की। यूपीएससी की वर्ष 2016 और 2017 की परीक्षा उन्होंने जॉब करते हुए ही दी। लेकिन जब उनमें सफलता हासिल नहीं हुयी तो उन्होंने नौकरी छोड़कर तैयारी करने का निर्णय लिया। यूपीएससी 2020 की परीक्षा में उनका पांचवा प्रयास था।

फैमिली का था पूरा सपोर्ट
ग्रामीण पृष्ठभूमि में पले बढ़े आदित्य ने बचपन से समाज में डीएम और एसपी के रूप में प्रशासनिक अफसरों की सकारात्मक भूमिका देखी। चाहे आमजन को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराना हो या दिन प्रतिदिन की जिंदगी में आमजन की दिक्क्तों के समाधान की बात। समाज में यदि किसी को कोई भी परेशानी होती है तो वह प्रशासनिक अफसरों की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखता है। कॉलेज के दिनों से ही उन्होंने अपने जिले में काम कर रहे प्रशासनिक अफसरों के काम काज को देखा तो उन्हें लगा कि मुझे भी ऐसा करना चाहिए। उनके साथ परिवार का पूरा सपोर्ट था। उससे उनका उत्साह ज्यादा बढ़ा लेकिन वह ग्रेजुएशन करने नोएडा गए और सिविल सर्विसेज के तैयारी की तरफ कदम बढा दिए।

 

गीता का एक श्लोक बना जीवन के लिए प्रेरणा
आदित्य सिंह बचपन से औसत छात्र थे लेकिन स्कूल में अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेते थे। शुरूआती दिनों में वह सोचते थे कि सविल सर्विस में अच्छी पृष्ठभूमि से अच्छे बच्चे आते हैं। शुरू में उनमें झिझक थी कि ऐसे बच्चों से प्रतिस्पर्धा करनी है। इसकी वजह से कई बार उन्हें लगता था कि उनका चयन यूपीएससी में होना मुश्किल है। कई बार उनके मन में खुद को लेकर यह शंका उत्पन्न होती थी। लेकिन उन्हें श्रीमद्भागवत गीता से प्रेरणा मिलती थी कि कर्म करना अपने हाथ में है परिणाम पर अपना वश नहीं है। इस तरह जैसे जैसे वह आगे बढें, उनकी झिझक खत्म हो गयी। क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते, क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप (हे पार्थ क्लीव (कायर) मत बनो। यह तुम्हारे लिये अशोभनीय है, हे ! परंतप हृदय की क्षुद्र दुर्बलता को त्यागकर खड़े हो जाओ) गीता का यह श्लोक उनके लिए प्रेरणा बन गया।

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मेडिटेशन और डायरी राइटिंग ने उबारा
उन्होंने कहा कि जब वह नौकरी के साथ तैयारी करते थे, वह दौर उनके लिए चुनौतियों से भरा हुआ था। एक तरफ जॉब से जुड़े काम पर ध्यान देना जरूरी था। दूसरी ओर तैयारी पर भी ध्यान देना था। ऐसे दौर में निराशा स्वाभाविक है लेकिन उससे उबरने में उनकी दो आदतों ने बड़ी मदद की। पहले तो वह नियमित मेडिटेशन करते थे। दूसरे उन्हें डायरी लिखने की आदत थी। उनका कहना है कि जब आप खुद के साथ थोड़ा समय बिताते हैं, तब आप खुद के साथ ईमानदार रहते हैं कि आप अपना काम कर रहे हैं। अपनी कमियों को लगातार सुधारेंगे। यह चीज जीवन भर आपकी मदद करती है।

परिवार का हर स्थिति में रहा साथ
अपनी सफलता का श्रेय ईश्वर के साथ दादा ब्रहम सिंह, दादी स्व. शांति देवी, पिता जितेन्द्र कुमार, मां पवित्रा सिंह बड़ी बहनों नेहा सिंह और राशि सिंह को देते हैं। उनका कहना है कि उनका परिवार उनके साथ हर स्थिति में साथ था। टीचर्स के मार्गदर्शन का भी उनकी सफलता में बड़ा योगदान है।


धरोहरों को संरक्षित करने के लिए निभाएं अपनी ड्यूटी
आदित्य का कहना है कि स्वामी विवेकानन्द कहा करते थे कि सबसे बड़ी ताकत या शक्ति यूथ के अंदर है। जो किसी भी चीज की दिशा बदल सकती है। वह हमेशा कहते भी थे “आप कुछ भी, सब कुछ कर सकते हैं क्योंकि आपके पास सब कुछ करने की क्षमता है।" मौजूदा समय में हमारे देश में युवाओं की जनसंख्या ज्यादा है। पहले आप एक लक्ष्य निर्धारित करें। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" ठान लें और दृढ निश्चय के साथ आगे बढें। हमारे महापुरूषों ने हमारे लिए इतनी सारी धरोहरें छोड़ी हैं। उसको संरक्षित करने के लिए अपने तन मन धन से अपनी फंडामेंटल ड्यूटी निभायें।

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किसी को भी आंख बंद कर फॉलो मत करिए
आदित्य कहते हैं कि आप जो भी परीक्षा दे रहे हैं, पहले उसकी जरूरतों को समझिए। यदि आप सविल सर्विस के लिए परीक्षा में बैठते हैं तो आप स्पष्ट रहिए। आपके पास इस सवाल का जवाब होना चाहिए कि आप सिविल सर्विस की परीक्षा में क्यों बैठ रहे हैं? यह जवाब आपको हताशा और निराशा के समय हिम्मत देगा। सोर्सेज का पता होना चाहिए। बहुत सारे सोर्सेज के पीछे भागने लगते हैं तो दिक्कत होती है। किसी भी टॉपर या कोचिंग को आंख बंद करके फॉलो मत करिए। सबकी अलग अलग अप्रोच होती है। किसी के लिए जो चीज काम करती है जरूरी नहीं कि वह आपके लिए भी काम करे। हर किसी की ताकत और कमजोरी अलग अलग होती है। प्री के लिए जरूरी है कि आप पिछले 20 साल के लिए प्रेपर जरूर साल्व करें। मेंस के लिए जरूरी है कि आप प्रश्न और उत्तर लिखने की प्रैक्सिट करें। इंटरव्यू के लिए जरूरी है कि आप बातचीत की प्रैक्टिस करें। खुद पर आत्मविश्वास रखें।

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