UPPCS में दूसरी रैंक हासिल करने वाली शिवाक्षी दीक्षित ने UPSC 2020 में हासिल किया 64 रैंक, अब बनेंगी IAS

शिवाक्षी का कहना है कि असफल होने के डर की वजह से निराशा आती है। इसे दूर करने का तरीका यही है कि अच्छे से योजना बनाकर पढ़ाई की जाए। अगर कभी बोर हों या पढ़ने का मन नहीं कर रहा हो तो उस समय खुद पर बहुत ज्यादा पढ़ाई का दबाव नहीं बनाती थी।

करियर डेस्क. पहले अटेम्पट में UPSC एग्जाम नहीं निकाल पाने वाली शिवाक्षी दीक्षित (shivakshi dikshit) ने अपने दूसरे अटेम्पट में UPSC क्वालिफाई कर लिया है। शिवाक्षी ने वर्ष 2020 की यूपीपीसीएस (UPPCS) परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की थी। ट्रेनिंग शुरू होती इससे पहले ही उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) एग्जाम में सफलता हासिल कर ली। शिवाक्षी के पिता कृष्ण कांत दीक्षित ग्रामीण बैंक में मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं। उनकी माता वीना दीक्षित टीचर हैं। आईएएस बनने का पूरा श्रेय वह अपने माता पिता और भाई बहनों को देती हैं। वो लखनऊ के इंदिरा नगर की रहने वाली हैं और बचपन से ही सिविल सर्विसेज में जाने का सपना था। उन्होंने कहा कि अगर मैं UPSC का एग्जाम क्लियर नहीं कर पाती तो मैंने कॉमर्स से ग्रेजुएशन की है तो शायद मैं एमबीए करती और मैनेजमेंट की तरफ जाती। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi UPSC 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने शिवाक्षी दीक्षित  से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी जर्नी कैसी रही।

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असफल होने की डर से आती थी निराशा
शिवाक्षी का कहना है कि असफल होने के डर की वजह से निराशा आती है। इसे दूर करने का तरीका यही है कि अच्छे से योजना बनाकर पढ़ाई की जाए। अगर कभी बोर हों या पढ़ने का मन नहीं कर रहा हो तो उस समय खुद पर बहुत ज्यादा पढ़ाई का दबाव नहीं बनाती थी। ब्रेक लेकर आप आराम से पढ़ सकते हैं। आपको अपनी हॉबीज पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि आज जब वह कर रहे होते हैं, जिसमें आपकी रूचि है तो उससे आपके अंदर रचनात्मकता आती है। बोरियत दूर होती है। आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। इस जर्नी में आपकी हॉबीज आपकी बहुत सहायता करती हैं और जीवन पर्यंत काम आती हैं।


 यूपीएससी क्रैक करना कठिन नहीं
शिवाक्षी वर्ष 2017 में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन करने के बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गयीं। उनका कहना है कि पढ़ाई अच्छे से योजना बनाकर करनी होती है। इस परीक्षा का फॉर्मेट बदलता रहता है। एक बार परीक्षा देकर समझ में आता है कि वास्तव में इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए क्या आवश्यकताए हैं या फिर आप प्रीवियस इयर के प्रश्न पत्रों को पढ़कर भी यह समझ सकते हैं। यदि यह चीज एक बार आपके समझ में आ गयी तो फिर आप उसी के अनुसार अपनी रणनीति बनाते हैं। तब यूपीएससी क्रैक करना कठिन नहीं होता है। उनको परीक्षा को समझने में दो अटेम्पट लग गए। उन्होंने परीक्षा की जरूरतों को समझने के बाद उसी के मुताबिक अपनी रणनीति बनायी और रिसोर्सेज का चयन किया। हर व्यक्ति के लिए उसकी रणनीति अलग हो सकती है, क्योंकि हर व्यक्ति की ताकत और कमजोरी अलग-अलग होती है। अपनी ताकत और कमजोरी को ध्यान में रखते हुए हर अभ्यर्थी को अपनी रणनीति बनानी चाहिए।

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बचपन से था सपना
लखनऊ के इंदिरा नगर की रहने वाली शिवाक्षी का बचपन से ही सिविल सर्विसेज में जाने का सपना था। उन्हें यह करियर बहुत अच्छा लगता था। इसमें समाज में बहुत ही व्यावहारिक तौर पर काम करने का अवसर मिलता है, जो बहुत ही प्रेरणादायक होता है। इसकी यही खूबी शिवाक्षी को जंची और उन्होंने सिविल सर्विस में जाने की राह चुनी। इस बारे में उन्होंने अपने परिवारवालों से भी चर्चा की तो उन्होंने भी शिवाक्षी का सपोर्ट किया।

मां-पिता ने किया सपोर्ट
शिवाक्षी के पिता कृष्ण कांत दीक्षित ग्रामीण बैंक में मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं। उनकी माता वीना दीक्षित टीचर हैं। आईएएस बनने का पूरा श्रेय वह अपने माता पिता और भाई बहनों को देती हैं। उनकी बहन शताच्छी दीक्षित जॉब कर रही हैं, जबकि उनके भाई शाश्वत दीक्षित अभी पढ़ाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि टीचर्स का भी उनकी सफलता में अहम योगदान है।

इंटरव्यू में होता है तनाव
शिवाक्षी का कहना है कि इंटरव्यू में यह तो पता नहीं होता कि कैसे प्रश्न पूछ लिए जाएं, हालांकि हर अभ्यर्थी तैयारी करके जाते ही हैं। बस थोड़ा तनाव यही होता है। इसके लिए आपको खुद को रिलैक्स रखना चाहिए। आपसे आपकी प्रोफाइल से जुड़े सवाल ही पूछे जाते हैं। इसमें बहुत घबराने की जरूरत नहीं होती है। इंटरव्यू बोर्ड के मेम्बर आपसे वार्तालाप करते हैं। आपको कम्फर्ट फील कराते हैं। इंटरव्यू में उनसे उनकी प्रोफाइल से रिलेटेड चीजें ही पूछी गयीं। उनका कहना है कि बोर्ड मेंबर से बहुत ही अच्छा इंटरएक्शन था। वह सीनियर लोग थे, बहुत ही प्रासंगिक सवाल पूछे गए थे। इंटरव्यू 30 मिनट चला था। अभ्यर्थियों को पहले अपने प्रोफाइल के बारे में तैयारी करनी चाहिए। शिवाक्षी से ज्यादातर कामर्स बैकग्राउंड या लखनऊ से जुड़े सवाल पूछे गए। उनका कहना है कि यदि आपको किसी सवाल का जवाब नहीं आता है तो आप मना कर सकते हैं। बोर्ड मेम्बर इसका बुरा नहीं मानते हैं और दूसरा सवाल पूछते हैं।

 

जो सब कर रहे हैं, वही करने की कोशिश मत करिए
शिवाक्षी कहती हैं कि सामान्य तौर पर हर्ड मेंटालिटी होती है कि जो सब कर रहे हैं, वहीं हम भी करेंगे पर वह करने की कोशिश मत करिए। जिस काम को करने में आपकी रूचि हो। अब चाहे वह कितने लोग भी कर रहे हों, कम या ज्यादा, उसको करिए। क्योंकि आपको उसी करियर के साथ रहना पड़ेगा। डिस्ट्रैक्शन को कम करिए। सोशल मीडिया से एकदम से दूर तो नहीं रहा जा सकता लेकिन आप अपनी कुछ सीमाएं तय कर सकते हैं। जैसे हम कुछ घंटे पढ़ने के बाद आधे घंटे या 15 मिनट के लिए सोशल मीडिया देख सकते हैं। इस तरह से खुद पर नियंत्रण रखकर आप डिजिटल मीडिया से हो रहे डिस्ट्रैक्शन से खुद को दूर कर सकेंगे। अपना टाइम टेबल बनाइए और उसे फॉलो करिए। अपने रूटीन में स्थायी निरंतरता बहुत जरूरी है।

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करियर को बहुत सीरियसली लें,  इससे न करें समझौता
शिवाक्षी का युवाओं से कहना है कि वह अपने करियर को बहुत ही गंभीरता से लें। बहुत सारे डिस्ट्रैक्शन होते हैं। विशेषकर डिजिटल युग में इनकी कोई कमी नहीं है। पर किसी वजह से आप अपने करियर के साथ कोई समझौता नहीं करें। अपने करियर का चुनाव बहुत सोच समझकर करें। ऐसा बिल्कुल नहीं करें कि सब लोग कहते हैं कि सिविल सर्विस बहुत अच्छी है। इसलिए आप सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गएं। आप जो भी करियर चुनें, पहले यह देख लें कि आपकी उसमें रूचि है या नहीं। वह काम क्या है? सबसे ज्यादा आपकी उस काम में रूचि होनी चाहिए। अगर आपको सिविल सर्विस का काम पता है और उसमें रूचि है तो आप इस करियर का चुनाव करें। फिर अच्छी तरह योजना बनाकर पढ़ाई करें तो असंभव कुछ भी नहीं है। कई बार हमें दो साल लग जाते हैं। परीक्षा थोड़ी कठिन है, समझने में समय लगता है। लेकिन खुद को डिमोटिवेट न होने दें। अगर सिविल सर्विस में चयन नहीं होता है तो भी बहुत सारे विकल्प हैं। बेस्ट परफार्मेंस करने की कोशिश करनी चाहिए।

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