कोरोना महामारी के कारण वर्तमान शैक्षणिक सत्र में बी.टी.सी. का सत्र शून्य घोषित कर दिया गया। इसलिए बी.टी.सी. कोर्स में स्कॉलरशिप और फीस वापसी नहीं होगी, जबकि बी.एड. में छात्र-छात्रों को पहले साल के 51,250 रुपए और दूसरे साल के 30,000 रुपए बतौर रिफंड किए जाएंगे।
करियर डेस्क. अगर आप उत्तर प्रदेश में बीएड (BEd.) यानि बैचलर ऑफ एजुकेशन की तैयारी कर रहे हैं या परीक्षा देने वाले हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। उत्तर प्रदेश में बी.एड. करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों की फीस माफ कर दी जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसे छात्रों को स्कॉलरशिप देने का आदेश दिया है। इसी के साथ छात्र-छात्राओं की फीस रिफंड होने का भी रास्ता साफ हो गया है।
कमेटी सौंपेगी जांच रिपोर्ट
सरकार द्वारा बी.एड.और बी.टी.सी. की सरकारी स्कॉलरशिप व फीस रिफंड मामले में इन पाठ्यक्रमों को संचालित करने वाली शिक्षण संस्थाओं की जांच के आदेश दिये थे। जिलों के मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित की गई कमेटी समाज कल्याण निदेशालय और शासन को 26 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
जांच रिपोर्ट में जो शिक्षण संस्थाएं बी.एड., बी.टी.सी. व अन्य पाठ्यक्रमों छात्रवृत्ति तथा फीस भरपाई के फर्जीवाड़े में लिप्त पायी जाएंगी उन्हें छोड़कर बाकी अन्य सभी शिक्षण संस्थाओं के बी.एड.के पाठ्यक्रमों के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की राशि उनके बैंक खातों में भेजने की करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
मिलेगी 9 हजार रुपये स्कॉलरशिप
कोरोना महामारी के कारण वर्तमान शैक्षणिक सत्र में बी.टी.सी. का सत्र शून्य घोषित कर दिया गया। इसलिए बी.टी.सी. कोर्स में स्कॉलरशिप और फीस वापसी नहीं होगी, जबकि बी.एड. में छात्र-छात्रों को पहले साल के 51,250 रुपए और दूसरे साल के 30,000 रुपए बतौर रिफंड किए जाएंगे। साथ ही हर साल लगभग 9 हजार रुपए की स्कॉलरशिप भी मिलेगी।
पिछले साल गठित कई गई थी जांच कमेटी
साल 2020 अक्तूबर में अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय जांच कमेटी गठित की गई थी, लेकिन इसे 16 फरवरी को निरस्त करके जिलों के मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में नई जांच कमेटी गठित की गई थी।
इसमें जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी और सम्बंधित उप जिलाधिकारी को सदस्य बनाया गया है। इस जांच कमेटी को अपनी आठ बिन्दुओं पर जांच रिपोर्ट आगामी 10 मार्च को शासन को सौंपने के निर्देश दिये गये थे, लेकिन इस समय सीमा को घटाकर 26 फरवरी तक कर दिया गया है।