Success Story: खुद बनाई अपनी Strategy, नतीजा- 2020 में UPSC टॉपर बने शुभम कुमार, पढ़ें सक्सेज जर्नी

Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने शुभम कुमार से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।  

Asianet News Hindi | Published : Nov 26, 2021 8:24 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:20 PM IST

करियर डेस्क.  संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा के इंटरव्यू के पहले ही शुभम कुमार ने तय कर लिया था कि उन्हें किस तरह बोर्ड का सामना करना है। उन्हें अपनी ताकत का अंदाजा था और उसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी रणनीति बनायी और सफल रहें। उनका कहना है कि यूपीएससी की लर्निंग जर्नी बहुत कुछ सिखाती है। हताशा-निराशा इस जर्नी का एक हिस्सा है। सबको इस फेज से होकर गुजरना ही पड़ता है। खुद को मोटिवेट रखें। हिम्मत न हारें। अच्छी योजना के साथ लगातार प्रयास करते रहें तो सफलता निश्चित मिलेगी। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने शुभम कुमार से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।  

इंटरव्यू में काम आयी ये स्ट्रेटजी
इंटरव्यू के दौरान कांफिडेंस और ईमानदारी काम आती है। प्रश्नों के जवाब देने के दौरान घबराना नहीं चाहिए। यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार का कहना है कि इंटरव्यू के पहले उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह कांफिडेंस के साथ इंटरव्यू बोर्ड को फेस करेंगे और बोर्ड के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब यदि नहीं आते होंगे तो वह बोल देंगे कि इस प्रश्न का उत्तर नहीं आता है तो उन्हें औसत मार्क्स मिल जाएंगे। उन चीजों को उन्होंने इंटरव्यू के दौरान फॉलो किया। वह बोर्ड के समक्ष कांफिडेंट रहें और मुस्कुराते रहें। यूपीएससी परीक्षा 2019 में शुभम का मेंस में परफार्मेंस अच्छा रहा। इसलिए वह आशा कर रहे थे कि वर्ष 2020 परीक्षा में भी उनका मेंस का परिणाम अच्छा रहेगा। उनका इंटरव्यू 25 से 30 मिनट तक चला था।

तीसरे प्रयास में नंबर-1
शुभम कुमार ने अपने तीसरे प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में देश में पहली रैंक प्राप्त की है। वह कटिहार जिले के कदवा प्रखंड के तहत कुम्हरी गांव के रहने वाले हैं। इसके पहले उन्हें वर्ष 2019 में भी सफलता मिली थी। तब उनकी 290 रैंक आयी थी और उनका चयन इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विस में हुआ था। लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं थे। यूपीएससी 2020 परीक्षा में यह उनका तीसरा प्रयास था। वर्ष 2018 में भी उन्होंने यूपीएससी परीक्षा दी थी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी।

जॉब के अन्य अवसर छोड़कर शुरू की तैयारी
शुभम की पढ़ाई अलग-अलग जगहों से हुई। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गांव से ही शुरू हुई थी। लेकिन उस समय गांव में शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने विद्या विहार रेजिडेंशियल स्कूल पूर्णिया से दसवीं तक की पढ़ाई की और चिन्मया विद्यालय बोकारो से 12वीं पास किया। तभी वह सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहते थे लेकिन मध्यमवर्गीय परिवार में जल्द सेटल होने की भावना होती है तो उन्होंने इंजीनियरिंग करना बेहतर समझा और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में उनके अच्छे मार्क्स आएं। उनका चयन आईआईटी मुंबई में हुआ। उन्होंने वर्ष 2018 में आईआईटी मुंबई से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। कॉलेज के दिनों में उन्होंने इंटर्नशिप की। उनके पास जॉब के अन्य अवसर थे लेकिन उन्होंने उसकी जगह सिविल सर्विस को ही चुना।

यूपीएससी की जर्नी से मिली बेहतर समझ
शुभम कुमार कहते हैं कि यूपीएससी की जर्नी में संघर्ष रहा लेकिन यह लर्निंग जर्नी साबित हुई। इस दौरान वह बहुत सारी चीजों से गुजरें। तीन से साढ़े तीन साल की तैयारी ने उन्हें बहुत सिखाया। इस दौरान उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ। अलग-अलग परिस्थितियों से गुजकर भी उन्होंने बहुत कुछ सीखा। उनका कहना है कि जब आप बहुत कठिन फेज में होते हैं तो यह पता चलता है कि आपके लिए कौन अच्छा सोचता है और कौन बुरा सोचता है। उन्होंने इस जर्नी को अच्छा समय दिया। उनकी यह जर्नी बहुत लंबी भी नहीं रही। इसके पहले उन्हें समाज, राज्य और देश के बारे में उतनी जानकारी नहीं थी, जो अब है। तैयारी से उनका नॉलेज बेस बढ़ा। पहले उनका फोकस आईआईटी व टेक्नोलॉजी पर होता था पर अब उन्हें बेहतर समझ यूपीएससी की जर्नी से ही मिली।

स्थितियों की प्रकृति के मुताबिक की ढलने की कोशिश
शुभम का कहना है कि उनके जीवन में पढ़ाई और तैयारी के दौरान कोई खास स्ट्रगल नहीं रहा। उनके पिता उनकी सभी जरूरतों को पूरा करते थे। लेकिन जीवन के हर फेज में कोई न कोई समस्या रहती है। जैसे नई जगह पर फोकस करने में दिक्कत होती है। कहीं भाषा से जुड़े कुछ मसले हो जाते हैं। हर स्टेज पर उनकी कोशिश होती है कि वह उन स्थितियों की प्रकृति के मुताबिक ढल जाएं।

सभी को इस फेज से होता है गुजरना
शुभम कुमार का कहना है कि हताशा व निराशा यूपीएससी की जर्नी का एक पार्ट होता है। यह जर्नी काफी लंबी होती है। जाहिर है कि ऐसे में हताशा-निराशा आएगी। उस समय वह अपने घर वालों व दोस्तों से बात करते थे। खुद को इस विचार के जरिए मोटिवेट रखते थे कि इस बार सफलता नहीं मिली पर अगली बार निकाल लूंगा। वह बहुत सारे टापर्स को सुनते थे। आर्टिकल्स पढ़ते थे तो उनको यह विश्वास हो गया था कि सभी को इस फेज से गुजरना होता है।

परिवारजनों व दोस्तों को सफलता का श्रेय
शुभम अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवारजनों को देते हुए कहते हैं कि वहां से लगातार सपोर्ट मिला। कॉलेज के सीनियर छात्र से गाइडेंस मिला और उन्होंने उसे फॉलो किया। शुभम अपनी सफलता में अपने दोस्तों का भी अहम योगदान मानते हैं। जब वह दिल्ली में तैयारी कर रहे थे। तब उनके रूममेट कुमार निशांत विवेक थे। जिनका चयन वर्ष 2019 की यूपीएससी परीक्षा में हुआ था। वह बिहार काडर के आईएएस हैं। शुभम को उनसे भी सपोर्ट मिला। दिल्ली में उनके कॉलेज के कुछ फ्रेंड का एक क्लोज ग्रुप था। उनके साथ रहकर भी शुभम ने तैयारी की। उन्हें अपने दोस्तों से से भी सीखने को मिला। शुभम के पिता देवानंद उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में मैनेजर हैं, मां पूर्णिमा देवी गृहिणी हैं। उनकी बड़ी बहन सुरभि साइंटिस्ट हैं।


प्रयासों में कमी न छोड़ें
शुभम कुमार का कहना है कि यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो प्रापर प्लानिंग से तैयारी करें। कंपिटीशन के अलावा यदि जीवन में कुछ और अचीव करना चाहते हैं तो उस तरफ किए जा रहे अपने प्रयासों में कोई कमी न छोड़े। अपने प्रयासों में क्षमता का सौ प्रतिशत योगदान दें। कंसिस्टेंसी और हार्डवर्क करें तो अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे। प्रतियोगी परीक्षा या यूपीएससी परीक्षा में सफल होने के लिए अच्छी स्ट्रेटजी होनी चाहिए। सोर्सेज सीमित होने चाहिए। एस्पिरेंटस ज्यादा से ज्यादा लिखने का अभ्यास करें। सकारात्मक लोगों से जुड़े रहें। बार-बार आत्मविश्लेषण करें ताकि आपको पता चल सके कि आप किस स्थिति मे हैं। बहुत समय वेस्ट न करें। टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। 

पिता से मिली प्रेरणा
शुभम कुमार को सिविल सर्विस में जाने की प्रेरणा शुरूआती दिनों में अपने गांव से ही मिली। वह अपने पिता देवानंद सिंह के कार्यों को देखकर प्रेरित हुए और फिर कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने महसूस किया कि जब वह दूसरों के लिए काम करते हैं तो सैटिस्फैक्शन मिलता है। इससे यूपीएससी की तरफ उनका रूझान बढ़ा। शुभम कहते हैं कि उनके पिता के पास जो लोग आते थे, वह उनकी मदद करते थे। इस दौरान उन्हें पता चला कि यदि वह प्रशासनिक अफसर बनेंगे तो एक पोजिशन पर रहेंगे और काफी लोगों की मदद कर सकेंगे। उनका कहना है कि जब वह कॉलेज में थे तो उन्होंने अलग-अलग क्षेत्र में काम किया। हॉस्टल में रहने के दौरान उन्होंने अपने आप को जाना कि जब वह दूसरों के लिए काम कर रहे होते हैं तो उन्हें संतुष्टि मिलती है। वह लोगों के लिए ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहते हैं। विशेषकर हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर को बेहतर बनाने के लिए वह काम करेंगे। उनकी लोगों को रोजगार से जोड़ने में भी रूचि है। लोगों की मदद करना उन्होंने बचपन से देखा है।

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