Success Story: इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड क्या है? इन सवालों का जवाब देकर वासु बने UPSC 2020 टॉपर

गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (Gujarat National Law University) से ग्रेजुएट वासु जैन (Vasu Jain) को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) परीक्षा में 67वीं रैंक मिली है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2021 12:52 PM IST

करियर डेस्क. UPSC के इंटरव्यू में कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं।  ज्यादातर सवाल कैंडिडेट्स को उलझा देते हैं। लेकिन जो कैंडिडेट्स इन सवालों के सही जवाब देता है उसे ही UPSC में सफलता मिलती है।  गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (Gujarat National Law University) से ग्रेजुएट वासु जैन (Vasu Jain) को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) परीक्षा में 67वीं रैंक मिली है। फरवरी में ही उनका सीआरपीएफ (CRPF) में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर भी चयन हो गया था। उन्होंने कहा कि इंटरव्यू एक और परीक्षा की तरह है। इंटरव्यू के दिन शांत ही था क्योंकि इंटरव्यू एक और परीक्षा की तरह है। बस यह था कि पिछली बार के मुकाबले अच्छा जाना चाहिए। पिछली बार चिंता और उत्सुकता थी। इस बार इंटरव्यू में शांत था। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने वासु से बातचीत की। आइए जानते हैं उनसे कैसे सवाल पूछे गए थे। 

सवाल- किसान आंदोलन पर आपको क्या लगता है कि कौन सही है और कौन गलत है?
जवाब-
इस मामले पर जैन धर्म का सिद्धांत अनेकांतवाद सटीक बैठता है। किसानों के नजरिए से देखूं तो किसान सही हैं और सरकार के नजरिए से देखूं तो सरकार सही है। ऐसा नहीं है कि कोई सही है या गलत है। दोनों अपने अपने नजरिए से देख रहे हैं, जब दूसरे के नजरिए से हम देखना शुरू कर देंगे तो हमें समझ में आएगा कि बाधा क्यों है। यहां कोई सही गलत नहीं है। बस यहां एक बाधा बन गयी है क्योंकि सब अपने अपने नजरिए से चीजों को देख रहे हैं।

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सवाल- दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस जेआर मिधा के कोट "दोनों पक्ष सच्चाई जानते हैं, यह जज है जो ट्रायल पर है" का क्या मतलब है?
जवाब-
जाहिर सी बात है कि दोनों पार्टियों को पता होता है कि सच क्या है। ऐसा हमेशा नहीं होता है कि हमेशा ऐसा ही हो। कभी कभी दोनों पार्टियों को सच का पता नहीं होता है और जज को भी सच ढूंढना होता है। जैसे- विशेष तौर पर संविधान की व्याख्या से जुड़े जो केस होते हैं, वहां पर दोनों पार्टियों को लगता है कि हम सही हैं क्योंकि उन्होंने उसकी व्याख्या उस तरीके से की है। जहां पर इंटरप्रेटेशंस का स्कोप होता है। वहां पर तीनों को लगता है कि हम सही हैं तो वहां पर एक जज को ज्यूडिशियल माइंड अप्लाई करके सही व्याख्या करके उत्तर देना होता है।

सवाल- नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) और ट्रेडिशनल कॉलेज के कल्चर में क्या डिफरेंस है?
जवाब-
एनएलयू में पांच साल का कोर्स होता है जबकि ट्रेडिशनल कॉलेज में तीन साल। एनएलयू एक नया कंसेप्ट है, जो 1986 से शुरू हुआ। बेंगलुरू में पहला एनएलयू स्थापित हुआ। वहां प्राथमिक तौर पर फोकस कॉरपोरेट लॉ पर रहता है। ट्रेडिशनल कॉलेज आपको वकील बनाएंगे। कोर्ट में जाकर आप लड़ो।

सवाल- इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) क्या है, उसमें क्या-क्या दिक्कतें आ रही हैं?
जवाब-
आईबीसी का 2016 में अमेंडमेंट हुआ। यह कंपनी और अन्य संगठनों के लिए बाध्यकारी कानून या सूचनात्मक प्रक्रिया है। इसमें टाइमिंग फॉलो नहीं हो पा रही है। हाई पेंडेंसी केसेज हैं। जितना एमाउंट मिलना चाहिए। उतना मिल नहीं पा रहा है क्योंकि उतनी मार्केट कैप्चर नहीं हो पा रही है। आईबीसी और अन्य कानूनों के बीच टकराव है।

इंटरव्यू एक और परीक्षा की तरह
इंटरव्यू के दिन शांत ही था क्योंकि इंटरव्यू एक और परीक्षा की तरह है। बस यह था कि पिछली बार के मुकाबले अच्छा जाना चाहिए। पिछली बार चिंता और उत्सुकता थी। इस बार इंटरव्यू में शांत था। प्रैक्टिस अच्छे से हो गयी थी। उनका इंटरव्यू 30 से 35 मिनट तक चला था। वासु जैन कहते हैं कि इस तरह की चीजों पर विश्वास मत करो। जैसे हमें पता है कि एक बुक पढ़नी है। उस एक हजार पेज की बुक को कई लोग कहते हैं कि हम उसे दो हफ्ते में खत्म कर देंगे। पर हमें वह बुक मजे के लिए नहीं पढ़ना है। हमें याद करना है। दो हफ्ते में पढ़ लोगे तो कितना कम याद रहेगा। इन पर विश्वास मत करो। ध्यान रखो कि हमें बुक खत्म नहीं करनी है बल्कि याद करनी है।

इस तरह की प्रक्रिया पर विश्वास मत करें
यूपीएससी पहले अटेम्पट में क्रैक नहीं हो रहा है तो छोड़ो। इस प्रक्रिया में विश्वास मत करो। असफल होने के बाद खुद का विश्लेषण करो कि आपको क्या लग रहा है कि आप क्या कर पाओगे। आपका पहला अटेम्पट कैसा रहा। उस आधार पर निर्णय लो। सिर्फ यह नहीं कि पहला अटेम्पट हुआ तो ठीक नहीं हुआ तो नहीं हुआ। वासु कहते हैं कि वह भी यही सोचकर आए थे कि पहला अटेम्पट ही दूंगा। यदि नहीं हुआ तो जॉब पर चला जाऊंगा। जब उन्होंने पहला अटेम्पट दिया तो लगा कि पहला प्रयास किया पर प्रीलिम्स नहीं निकला पर खुद को लगा कि बढ़िया प्रयास किया। अगली बार यूपीएससी क्रैक कर लूंगा। दोबारा फिर अटेम्पट दिया इंटरव्यू तक गया तो लगा कि इतने पास पहुंच गए हैं, अब बस थोड़े प्रयास में हो जाएगा। बस थोड़ी और मेहनत कर लें, तो थोड़ा टाइम लेकर आओ। 

मेहनत की है तो रिजल्ट मिलेगा
उनका कहना है कि सबकी स्ट्रेटजी अलग-अलग होती है। खुद पर विश्वास करो कि यदि आपने मेहनत किया तो रिजल्ट मिलेगा। उनका इसी वर्ष सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर सलेक्शन हो गया था। वासु कहते हैं कि यदि कुछ त्याग करना पड़े, चाहे वह मोबाइल का हो या दोस्तों का हो, वह त्याग करना पड़ेगा। आप अपनी डेली, वीकली या मंथली योजना बनाइए, योजना सबसे जरूरी है। ऐसी योजना बनाइए कि उसके बीच में बफर जोन भी हो। उस प्लान को बदलिए मत और सैक्रिफाइस के लिए तैयार रहो। कंसिस्टेंसी से जितनी चीजें करेंगे तो अच्छा रहेगा, उससे विश्वास बढ़ेगा कि मैंने कुछ किया है। उनका कहना है कि हमें अपना टाइम टेबल कुछ इस तरह बनाना चाहिए कि हमारा ब्रेक कुछ ज्यादा बड़ा हो। हर घंटे बाद 5 से 10 मिनट तक का ब्रेक लेता था। हफ्ते में संडे को टारगेट न रखिए। मतलब कि संडे को जो पढ़ना हो पढेंगे, आराम करेंगे, तो उस दिन मस्ती भी होती थी। ऐसा नहीं कि कुछ चीजों से अछूते रह गए।

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