सार
Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने राधिका से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।
करियर डेस्क. देश में सबसे कम साक्षरता दर (literacy rate) वाला जिला कौन सा है? अक्सर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में यह सवाल पूछा जाता है। वह जनपद मध्य प्रदेश का आलीराजपुर। जहां साक्षरता दर सिर्फ 36.10 फीसदी है। जब यहीं की रहने वाली राधिका गुप्ता (radhika gupta) ने यूपीएससी में 18वीं रैंक हासिल की तो आलीराजपुर एक बार फिर चर्चा में आ गया है। खास यह है कि इस जनपद से पहली बार कोई आईएएस बना है और यह इतिहास राधिका ने रचा है। अब वह पूरे जनपद के युवाओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने राधिका से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।
पहले अटेम्पट में मिला था आईआरपीएस
राधिका ने सरस्वती शिशु मंदिर से वर्ष 1999 से 2005 तक कक्षा एक से सातवीं तक की पढ़ाई की। फिर उनका एडमिशन आलीराजपुर के डानबास्को स्कूल में हुआ। उसके बाद उन्होंने इंदौर के जीएसआईटीएस कॉलेज से वर्ष 2017 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से स्नातक किया। फिर एक साल उन्होंने निजी कम्पनी में नौकरी की। इस दरम्यान उनका यूपीएससी परीक्षा देने का विचार संकल्प में बदला तो उन्होंने वर्ष 2018 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। वर्ष 2019 में उन्होंने अपना पहला अटेम्पट दिया। जिसमें उन्हें सफलता मिली थी। उन्हें आईआरपीएस (इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विसेज) काडर मिला। यूपीएससी 2020 की परीक्षा में यह उनका दूसरा अटेम्पट था।
यहां से हुई जर्नी की शुरुआत
राधिका कहती हैं कि यह बहुत अच्छी जर्नी रही। इस जर्नी में सीखने के बहुत अवसर मिलते हैं। उनका कहना है कि अपनी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान पिछले तीन वर्षों में उन्होंने जितना सीखा है। वह उसकी तुलना अपनी पूरी शिक्षा से कर सकती हैं। तैयारी के दौरान आपको जो सीखने को मिलता है, वह जीवन पर्यंत काम आती है। यदि आप ईमानदारी के साथ मेहनत कर रहे हैं तो सफल हो सकते हैं। वह कहती हैं कि वह जिस जगह से आती हैं। वह देश में साक्षरता में सबसे नीचे है। आलीराजपुर में साक्षरता दर 36 प्रतिशत है। यदि जिले में महिलाओं की साक्षरता दर देखी जाए तो वह और भी कम है। एक बेसिक दिक्कत हमेशा से थी कि यहां पर अवसर नहीं थे। बचपन के समय में अवसरों के बारे में जानकारी नहीं थी। पता नहीं था कि करना क्या है और हम क्या कर सकते हैं। किसी तरह से हिंदी मीडियम के स्कूल से इंग्लिश मीडियम के स्कूल में दाखिला हुआ तो वहां से जर्नी की शुरुआत हुई।
सिविल सर्विस में चयन नहीं हुआ तो क्या करूंगी, यह थी सबसे बड़ी चिंता
उनका कहना है कि यूपीएससी क्रैक करने से पहले उनके जीवन में कोई खास स्ट्रगल नहीं रहा। पर दो चुनौतियां थी। आपने देखा होगा कि गांव में महिलाओं को उतने अवसर नहीं दिए जाते हैं। पर मां ने हमेशा परिवार में मेरी पढ़ाई के लिए दबाव बनाया। उन्होंने यह तय कर लिया था कि राधिका को पढ़ाई करानी है। दूसरा चैलेंज यह था कि जाब छोड़कर पढ़ाई करनी थी। इस दौरान यह भी विचार आता था कि यदि सिविल सर्विस में नहीं हुआ तो पता नहीं जॉब मिलेगी या नहीं। यह चिंता रहती थी कि यदि परीक्षा में चयन नहीं हुआ तो वह क्या करेंगी। पर जब लोगों की चुनौतियां पढ़ती हूं, देखती हूं तो सोचती हूं कि लोगों के सामने मेरी चुनौतियां बहुत छोटी हैं।
हताशा और निराशा तैयारी का एक हिस्सा
राधिका कहती हैं कि हताशा और निराशा परीक्षा की तैयारी का एक हिस्सा है। यह हमेशा आपको मिलेगी। कुछ दिन बीतने पर आपको यह खराब महसूस होगा कि तैयारी हुई है या नहीं। टेस्ट में कम नम्बर आते हैं तो आपको निराशा होती है। पूरी तैयारी के दौरान यह चीज हमेशा लगातार होती रहती है। अपने आपको मोटिवेट रखने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि आप को यह याद रहे कि आप क्यों इस तैयारी में आए हैं? मेरा सबसे अच्छा तरीका यह था कि मैं जिस सोसाइटी, जिस जगह से आयी हूं तो मुझे पता था कि शिक्षा किसी की जिंदगी में कितना बदलाव ला सकता है। एजुकेशन ने मुझे यहां तक पहुंचाया है, तो मुझे हमेशा से मेरा मकसद याद था कि मुझे कुछ ऐसा करना है ताकि मैं इन सेक्टर में काम कर सकूं। एजुकेशन, हेल्थ, न्यूट्रीशन, महिलाओं और बच्चों के लिए काम कर सकूं। मेरा मोटिवेशन यहां पर है, तो जब आपको अपना उद्देश्य याद रहता है तो आपको लगता है कि समय धीरे-धीरे निकल रहा है। अच्छा समय भी आएगा।
कजिन शरद गुप्ता का सफलता में अहम योगदान
राधिका अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार के साथ अपने कजिन शरद गुप्ता को देती हैं। उनका कहना है कि परिवार आपके पीछे हमेशा संबल बन कर खड़ा रहता है। परिवार ने बचपन से ही सपोर्ट किया। पर उनको यूपीएससी परीक्षा के बारे में सबसे पहले शरद ने ही बताया था। उसकी वजह से बहुत सारी चीजें आसान हुई थी। जब कोई चीज समझ में नहीं आती थी तो शरद पढ़कर मुझे समझाता था। चचेरे भाई ने तैयारी में राधिका की बड़ी मदद की। उन्हें सिविल सर्विस में जाने की प्रेरणा भी शरद से ही मिली। उन्होंने ही राधिका को परीक्षा के बारे में कई अच्छी बातें बताईं। जिससे उनका रूझान सिविल सर्विसेज की तरफ बढ़ा। उन्हें लगा कि प्रशासनिक सेवा के जरिए हम काफी बदलाव ला सकते हैं। शरद इंडियन ऑयल कारपोरेशन में ऑफिसर हैं और राजस्थान में पोस्टेड हैं। राधिका के पिता प्रहलाद गुप्ता आलीराजपुर में ही किराना के थोक व्यापारी हैं। मां चंदा गुप्ता गृहिणी हैं।
डीएएफ के इर्द गिर्द घूम रहे थे सवाल
राधिका कहती हैं कि इंटरव्यू से एक दिन पहले थोड़ा सा नर्वसनेस और चिंता थी। साथ ही थोड़ा सा आत्मविश्वास था। पहले इंटरव्यू दे चुकी थी तो मुझे मालूम था कि किस तरह से इंटरव्यू होता है। चिंता तो हमेशा रहती है कि आधे घंटे में आपके नम्बर 150 से 210 तक कुछ भी हो सकते हैं। यदि आपके नम्बर 150 आएंगे तो शायद आप लिस्ट से बाहर हो जाएंगे और यदि आपके नम्बर 210 तक आएंगे तो शायद आपकी रैंक टॉप 50 में भी आ सकती हैं। उनका कहना है कि यूपीएससी का इंटरव्यू बहुत बड़ा गैम्बल होता है। लेकिन कांफिडेंस वाली फीलिंग यह थी कि इस बार कुछ न कुछ बेहतर हो ही जाएगा। अभ्यर्थी द्वारा डीएएफ (डिटेल एप्लीकेशन फार्म) भरा जाता है। इंटरव्यू में सवाल उसी के इर्दगिर्द घूम रहे थे। उनका इंटरव्यू 25 मिनट करीब चला था।
परीक्षा का पैटर्न समझना जरूरी
राधिका कहती हैं कि यूपीएससी ही नहीं आप जो भी परीक्षा दे रहे हैं। उसमें ईमानदारी वाली मेहनत चाहिए। उसका पैटर्न समझना बहुत जरूरी है। चाहे वह राज्य पीसीएस परीक्षा हो या एनडीए या एसएससी परीक्षा। यह समझना बहुत जरूरी है कि परीक्षा की डिमांड क्या है। एस्पिरेंटस यह गलती न करें कि वह तैयारी कर रहे हैं और उन्हें परीक्षा के पैटर्न के बारे में ही नहीं पता है।
खुद को कमतर मत आंकिए
उनका कहना है कि अपने आपको कमतर मत आंकिए। कई बार लोग यह गलती करते हैं कि यह चीज उनसे नहीं होगी। कई चीज हैं, जो बहुत आसान हैं। वाकई देखा जाए तो यूपीएससी की परीक्षा उतनी कठिन नहीं है। जितना इस परीक्षा को लेकर माहौल बना हुआ है कि सिर्फ आइआईटी या आईआईएम वाले बच्चों का ही यूपीएससी क्लियर होता है। ऐसा नहीं है। दूर दराज वाले बच्चे भी परीक्षा देने आते हैं और वह बड़ी सहजता के साथ परीक्षा निकाल ले जाते हैं। कहने की बात यह है कि कमतर वाला एहसास नहीं होना चाहिए। आपको अपने अंदर यह एहसास बनाकर रखना होगा कि आप इस परीक्षा को उतने ही अच्छे तरीके से कर सकते हैं। जितने अच्छे तरीके से आईआईटी या आईआईएम पासआउट कर सकता है। हो सकता है कि आपकी शुरुआत अलग हो लेकिन आपका अंत समान हो सकता है, जैसा आप चाहते हैं।
तैयारी के लिए ये है टिप्स
उनका कहना है कि थोड़ा सा सोशल मीडिया से दूरी बनायी जाए तो अच्छा होगा। सोशल मीडिया पर बहुत सारी डिस्ट्रैक्शन होती हैं। इससे दूरी बनाकर रखिए। दोस्त अच्छे रखिए। इंटीग्रेटेड तैयारी करें क्योंकि परीक्षा के तीनों स्टेज अपने आप में इंटरलिंक्ड हैं। कोई भी चीज अकेले में पढेंगे तो फायदा नहीं होगा। उसका तरीका यही है कि जो टॉपिक आप प्रीलिम्स के लिए पढ़ रहे हैं। देखिए उसी टॉपिक पर किस तरह का मेंस में एनालिसिस के लिए आ सकता है और फिर उस पर एक ओपिनियन बनाइए ताकि वही ओपिनियन आपका इंटरव्यू में काम आए।
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