अहिंसा जैन (Ahinsa Jain) ने प्राइवेट कम्पनी की नौकरी छोड़कर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तैयारी शुरू की थी। उन्होंने 2015 से लगातार यूपीएससी परीक्षा के छह अटेम्पट दिए। यूपीएससी 2020 परीक्षा में उनकी 53वीं रैंक आई।
करियर डेस्क. कहते हैं जहां चाह वहां राह। मध्यप्रदेश की अहिंसा जैन (Ahinsa Jain) ने 2015 से लगातार यूपीएससी परीक्षा के छह अटेम्पट दिए। 2017 से 2020 तक वह लगातार चार साल तक इंटरव्यू में पहुंचीं लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हुआ। लेकिन उन्होंने तैयारी नहीं छोड़ी और अंत तक अपने लक्ष्य में डटी रहीं। UPSC 2020 में ब वो इंटरव्यू के लिए पहुंची तो उनसे पूछा गया कि आप इतने इंटरव्यू दे रही हैं और आपका IAS में नहीं हो रहा है तो इसमें इंटरव्यू लेने वाले की गलती है या देने वाली की गलती है? बस इस सवाल के बाद उन्होंने ऐसा इंटरव्यू दिया कि उनका सिलेक्शन हो गया। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने अहिंसा जैन से बातचीत की। आइए जानते हैं अहिंसा जैन के IAS बनने की जर्नी के बारे में।
UPSC 2020 में आई 53वीं रैंक
इंटरव्यू में उनसे पूछा गया आप इतने इंटरव्यू दे रही हैं और आपका IAS में नहीं हो रहा है तो इसमें इंटरव्यू लेने वाले की गलती है या देने वाली की गलती है? इस सवाल के जबाव में उन्होंने कहा- जो इंटरव्यू ले रहे हैं वह बहुत ही फेयर प्रोसिजर है। वह सबको समान मानकों पर ही परख रहे हैं तो गलती उनकी नहीं है। कमी कहीं न कहीं मेरी तरफ से ही हो रही है। यूपीएससी 2020 परीक्षा में उनकी 53वीं रैंक आई। यह उनका छठा प्रयास था।
तैयारी के लिए मां की प्रेरणा
अहिंसा जैन कहती हैं कि शुरूआती दिनों में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी को लेकर वह तैयार नहीं थी। उन्होंने लोगों से इस बारे में बात की तो फीडबैक यही मिला कि यह परीक्षा कठिन है। नींद कम करनी पड़ती है। बहुत पढ़ना पड़ता है। बहुत चीजें कम्प्रोमाइज करनी पड़ती हैं। उनकी तैयारी के पीछे उनकी मां का मोटिवेशन था। वह बार बार अहिंसा को यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए प्रेरित करती थीं। स्प्रिचुअल बुक पढ़ना, वीडियो देखती थीं। मेडिटेशन करती थी, इन चीजों ने अहिंसा को मोटिवेटेड रखा। उनका सबसे बड़ा मोटिवेशन यही था कि वह इंटरव्यू तक पहुंच रही हैं तो वह अपने लक्ष्य के नजदीक हैं। यह भी उन्हें मोटिवेट रखता था कि थोड़ा सा प्रयास और चयन हो जाएगा।
इंजीनियरिंग से किया किया ग्रेजुएशन
उनकी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश बोर्ड से हुई। एक दिन प्रिंसिपल ने उनके पैरेंटस से कहा कि आपका बच्चा बेहतर स्कूल डिजर्व करता है। इसके बाद वह आईसीएसई बोर्ड के स्कूल में शिफ्ट हो गईं। जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया और फिर उन्होंने यूके बेस्ड एमएनसी में नौकरी शुरू कर दी।
जॉब छोड़कर शुरू की तैयारी
अहिंसा कहती हैं कि जब वह जॉब के लिए बेंगलुरू जा रही थीं, तब उनकी मां अर्चना जैन ने उनसे कहा था कि एक बार फिर से तय कर लो कि तुम्हें जॉब करनी है कि या परीक्षा की तैयारी शुरू करनी है। उनका कहना है कि वह बेंगलुरू गयी तो उन्होंने अपने सहकर्मियों से इस बारे में चर्चा की। इंटरनेट पर इस संबंध में जानकारी हासिल की। तब उनके अंदर यह मोटिवेशन आया कि कुछ करना है। उन्होंने विचार किया कि वह प्राइवेट सेक्टर में जितना योगदान दे पाती हैं, उससे अच्छा है कि वह ऐसा करें कि सरकारी क्षेत्र में अपना योगदान दे सकें तो यह उनके लिए बेहतर होगा और इसी सोच के सथ उन्होंने जॉब छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी।
खुद से लड़ना पड़ता है
अहिंसा जब मध्य प्रदेश बोर्ड से आईसीएसई बोर्ड के स्कूल में शिफ्ट हुई थी तो उस समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। शुरू के कुछ महीने में वह सामंजस्य नहीं बना पा रही थीं। उनकी मां उनके पढ़ाई के बाबत बहुत स्ट्रगल करती थी। उन्हें इंग्लिश नहीं आती थी लेकिन वह डिक्शनरी की सहायता से ट्रांसलेट करती थीं। उनके पिता मैथ पढ़ाते थे। वह जबलपुर के टॉप स्कूल में पहुंच गईं। उनका कहना है कि यह उनकी मां का स्ट्रगल था कि उनका स्कूल बदला और उन्हें अच्छी शिक्षा मिल पायी। उनके अंदर होम सिकनेस बहुत ज्यादा थी। उन्हें बाहर पढ़ाई व कंपिटीशन की तैयारी के लिए जाने के अवसर भी मिले थे, पर वह नहीं गयी। उनका कहना है कि खुद से फाइट करना स्ट्रगल था कि अपने फियर को मैं कैसे ओवर कम करूं।
इंटरव्यू में नहीं था कोई प्रेसर
अहिंसा कहती हैं कि इस बार बहुत अच्छी सर्विस में थी तो इंटरव्यू का इतना दबाव नहीं था। हर इंटरव्यू एक नया इंटरव्यू होता है तो थोड़ा सा नर्वसनेस होती है। वह यही सोच रहीं थी कि इंटरव्यू में अपना बेस्ट देना है। बोर्ड के समक्ष अपने व्यक्तित्व का प्रेजेंटशन देना है। कुछ भी सवाल आए, कैसा भी सवाल आए। डरना नहीं है। इंटरव्यू के पहले उनके दोस्तों ने कहा था कि इस बार आप इंटरव्यू में कैंडिडेट की तरह नहीं बल्कि एक ऑफिसर के रूप में जा रही हो, क्योंकि आप पहले से एक अफसर हो। उनका कहना है कि वह श्रीमद्भागवत गीता के कर्म करो और फल की चिंता मत करो, की सोच के साथ इंटरव्यू में गयी। उनका इंटरव्यू 30 मिनट तक चला था। अहिंसा कहती हैं कि इंटरव्यू में बोर्ड मेंबर आपकी पर्सनालिटी जानना चाहते हैं। उनके पास डीएफए फॉर्म होता है। उन्हीं के आधार पर सवाल पूछते हैं। यह प्रश्न आपके जनरल अवेयरनेस को टेस्ट करने के लिए होते हैं।
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