
चंडीगढ़। मतदान के बाद दोपहर तक डेरा सच्चा सौदा सिरसा की तरफ से किसे समर्थन दिया जाना है, इस बारे में जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है। फिर भी कुछ समर्थकों ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर एशियानेट न्यूज हिंदी को बताया कि इस बार किसी एक पार्टी को समर्थन नहीं दिया जाएगा। कोशिश यह है कि हर सीट पर उम्मीदवार को समर्थन दिया जाए।
इस निर्णय के पक्ष में यह तर्क दिए जा रहे हैं
1. किसी एक पार्टी को समर्थन देने से बाकी की सभी पार्टी डेरा विरोधी हो जाती हैं।
2. डेरा की कोशिश है कि हर पार्टी में उनके समर्थक होने चाहिए, ताकि किसी मुश्किल वक्त में उनकी मदद ली जाए।
3. डेरा अपनी छवि को अब इस तरह से बनाना चाहता है कि उसके लिए सभी राजनीति दल बराबर हैं।
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लेकिन कांग्रेस से दूरी बनाएगा डेरा
भले ही डेरा अलग-अलग सीट पर समर्थन देने की तैयारी कर रहा है। लेकिन यह तय है कि कांग्रेस को समर्थन देने से बचने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बीते बुधवार को डेरा सिरसा प्रमुख के नजदीकी रिश्तेदार तलवंडी साबो और निर्दलीय उम्मीदवार हरमिंदर सिंह जस्सी के साथ बैठक की। लेकिन दोनों के बीच कोई बात नहीं बनी। हरमिंदर सिंह कांग्रेस से टिकट चाह रहे थे, लेकिन टिकट नहीं मिला। इस वजह से वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा डेरा की आलोचना की है। खासतौर पर कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू बेअदबी कांड को लेकर डेरा पर आक्रामक रहे हैं। इस वजह से डेरा समर्थकों ने कांग्रेस का समर्थन न करने का मन बनाया है।
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भाजपा के प्रति नरम रुख है
डेरा समर्थकों का भाजपा के प्रति नरम रुख है। दिक्कत यह है कि भाजपा कुछ सीटों पर ही मजबूत है। इसलिए डेरा की राजनीतिक विंग सोच रही है कि क्यों ना समर्थन देने में इस बार उम्मीदवारों का ध्यान रखा जाए। इस कम में कुछ सीट पर डेरा आम आदमी पार्टी को भी समर्थन दे सकता है। इस बात को लेकर भी चर्चा चल रही है। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में अकाली दल और कुछ जगह भाजपा को राजनीतिक समर्थन देने का फैसला किया है, जबकि कई निर्वाचन क्षेत्रों में अपने अनुयायियों को झाड़ू को भी समर्थन देने का निर्णय लिया गया है।
मालवा की 40 से लेकर 43 सीटों पर डेरा का प्रभाव है
मालवा क्षेत्र के 69 विधानसभा क्षेत्रों में से, जिन्होंने पंजाब की सत्ता में निर्णायक भूमिका निभाई है, 40 से 43 निर्वाचन क्षेत्र डेरा सच्चा सौदा से प्रभावित हैं। बाकी विधानसभा क्षेत्र भी डेरा का प्रभाव है। कुछ जगह एशियानेट न्यूज हिंदी ने जब डेरा के प्रमुख समर्थकों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हालांकि अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं आया है। इसके बाद भी ऐसा माना जा रहा है कि इस बार किसी एक पार्टी को पूरी तरह से समर्थन नहीं दिया जाएगा।
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