पंजाब से राज्यसभा के लिए सात सदस्य चुने जाते हैं। मौजूदा राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल और जुलाई 2022 में समाप्त हो रहा है। अगर मौजूदा सदस्यों की बात करें तो कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल से तीन-तीन और भाजपा से एक राज्यसभा सदस्य है।
मनोज ठाकुर, चंडीगढ़। सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि पंजाब में कौन-सी पार्टी सरकार बनाएगी। इस बात की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा कि इसका असर राज्यसभा सीटों पर भी पड़ेगा। क्योंकि जिस पार्टी के पास जितने विधायक होंगे, राज्यसभा के लिए वह उतने ही ज्यादा सदस्य भेजने में सक्षम होगी। इसलिए पंजाब विधानसभा का सीधा असर राज्यसभा पर पड़ेगा। यह किसी ने किसी तरह से केंद्र की राजनीति को प्रभावित करने वाला भी साबित होगा।
पंजाब से राज्यसभा के लिए सात सदस्य चुने जाते हैं। मौजूदा राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल और जुलाई 2022 में समाप्त हो रहा है। अगर मौजूदा सदस्यों की बात करें तो कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल से तीन-तीन और भाजपा से एक राज्यसभा सदस्य है। जिन राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है, उनमें कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा, शमशेर सिंह दुल्लो, अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींडसा और भाजपा की श्वेता मलिक शामिल हैं।
अंबिका सोनी और बलविंदर का कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा
इसी तरह कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य अंबिका सोनी और अकाली दल के नरेश गुजराल और बलविंदर सिंह भुंदर का कार्यकाल जुलाई में खत्म हो जाएगा। ये सभी सदस्य 2016 के चुनाव के दौरान राज्य में शिअद-भाजपा सरकार के दौरान चुने गए थे। उस समय शिअद-भाजपा गठबंधन के पास 70 सीटें थीं। कांग्रेस के पास 44 सीटें थीं और तीन निर्दलीय विधायक थे। राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल 6 साल का होता है। 2016 में कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष थी।
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पंजाब से राज्यसभा में आप का खाता खुल सकता है
आम आदमी पार्टी 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में 20 सीटें जीतकर विपक्ष बन गई है। हालांकि, इस दौरान राज्यसभा का चुनाव नहीं हुआ था। आम आदमी पार्टी के नेताओं और राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्यसभा चुनाव में आप इस बार पंजाब में खाता खोल सकती है। हालांकि, राज्यसभा की जीत विधानसभा में पार्टियों के विधायकों (वोट) की संख्या पर निर्भर करती है। यदि सात सदस्य एक साथ चुने जाते हैं तो एक राज्यसभा सदस्य को चुनने के लिए 17 मतों की आवश्यकता होगी।
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भाजपा किंग मेकर बन सकती है
यदि पहले की तरह अप्रैल और जुलाई में दो बार चुनाव होते हैं तो विधानसभा में मजबूत विपक्ष के तीन सदस्यों के चुनाव का रास्ता साफ हो जाता है। भाजपा की कोशिश रहेगी कि वह पंजाब से राज्यसभा के लिए ज्यादा से ज्यादा अपने सदस्य चुने। जिस तरह से पंजाब के बारे में यह बोला जा रहा है कि वहां किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने वाला है। इस स्थिति में यदि भाजपा किंग मेकर की भूमिका में आती है तो अपने लिए ज्यादा राज्यसभा सदस्य चाहेगी।
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कांग्रेस और अकाली दल भी राज्यसभा में बढ़ाना चाहते दबदबा
कांग्रेस की नजर इस बात पर टिकी है कि वह अपने सीनियर नेताओं को पंजाब के रास्ते राज्यसभा में लेकर जाए। कमोबेस अकाली दल भी इस कोशिश में है कि उनके ज्यादा सदस्य राज्यसभा में हो। इसके पीछे इन दलों की सोच है कि वह केंद्र की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। पंजाब के मामलों में केंद्र का ध्यान ज्यादा प्रभावी तरीके से खींच सकते हैं। इसलिए इस को लेकर भी अब चर्चा हो रही है कि विधानसभा के बाद राज्यसभा के लिए कौन कौन सी पार्टी किस किस प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है।