जानें बजट में किए गए ऐलान का पर्सनल फाइनेंस पर कैसा होगा असर; कितना होगा फायदा, क्या हो सकता है नुकसान
बिजनेस डेस्क। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश कर दिया है। यह मोदी सरकार (Modi Government) के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट है। कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के बाद आए आर्थिक संकट के दौर में इस बजट महत्व काफी बढ़ गया है। इस बजट का हर व्यक्ति के पर्सनल फाइनेंस पर भी असर होगा। इसमें कहीं फायदा मिल सकता है, तो कहीं नुकसान भी हो सकता है। (फाइल फोटो)
बजट में हुई घोषणा के मुताबिक, अब 75 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को जो सिर्फ पेंशन और जमा राशि से मिलने वाले ब्याज की आय पर निर्भर हैं, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की जरूरत नहीं होगी। बैंक ही उनकी आय पर टैक्स की कटौती कर लेंगे। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि पेंशन और ब्याज से होने वाली आय एक ही बैंक में आएं। जिन वरिष्ठ नागरिकों की आय के पेंशन और बैंक में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज आय के अलावा दूसरे भी स्रोत भी हैं, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न भरना होगा। (फाइल फोटो)
इस बजट में यह घोषणा की गई है कि पीएफ (PF) में कर्मचारी के कॉन्ट्रिब्यूशन पर ब्याज से होने वाली आय के मामले में टैक्स छूट को 2.5 लाख रुपए सालाना तक सीमित किया जाए। यह प्रस्ताव 1 अप्रैल 2021 को और उसके बाद किए जाने वाले कर्मचारियों के कॉन्ट्रिब्यूशन पर लागू होगा। (फाइल फोटो)
पीएफ में 2.5 लाख रुपए सालाना तक कर्मचारी के कॉन्ट्रिब्यूशन से होने वाली ब्याज की इनकम ही टैक्स फ्री होगी। इस लिमिट से ज्यादा के कॉन्ट्रिब्यूशन पर ब्याज की इनकम टैक्स के दायरे में आएगी। इससे वे कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे, जिनकी आय ज्यादा है और जो वॉलियन्टरी प्रोविडेंट फंड के जरिए ब्याज से टैक्स फ्री इनकम हासिल करते हैं। (फाइल फोटो)
अगर कोई व्यक्ति यूनिट लिंक्ड इन्श्योरेंस पॉलिसीज (ULIPs) में एक साल में 2.5 लाख रुपए से ज्यादा के प्रीमियम का भुगतान करता है, तो सेक्शन 10 (10डी) के तहत टैक्स एग्जेम्पशन हटा दिया गया है। यह नियम मौजूदा यूलिप पर लागू नहीं होगा। सिर्फ इस साल 1 फरवरी के बाद बेची गई पॉलिसियों पर ही यह प्रभावी होगा। इन पर हुए कैपिटल गेन्स पर उसी तरह से टैक्स लगेगा, जैसे कि इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड पर लगता है। यानी इन पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा। (फाइल फोटो)
सरकार ने बैंक ग्राहकों के लिए डिपॉजिट इन्श्योरेंस कवर को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने की मंजूरी दी थी। बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वे इस सत्र में ही DICGC एक्ट, 1961 में संशोधनों को पेश करेंगी, जिससे अगर कोई बैंक अस्थायी तौर पर दायित्वों को पूरा नहीं कर पा रहा है, तो ऐसे बैंक के जमाकर्ताओं को आसानी से अपनी जमा राशि डिपॉजिट इन्श्योरेंस कवर की सीमा तक मिल सकेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे संकट में फंसे बैंकों के जमाकर्ताओं को मदद मिलेगी। (फाइल फोटो)
सरकार ने बजट से पहले ही इस साल फेसलेस असेसमेंट और अपील की योजना को पेश किया था। बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने कहा कि इनकम टैक्स अपील का अगला स्तर इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल होगा और वे अब इस ट्रिब्यूनल को फेसलेस बनाने का प्रस्ताव करती हैं। अब एक नेशनल फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल सेंटर का गठन किया जाएगा। ट्रिब्यूनल और एप्लिकेंट के बीच इलेक्ट्रॉनिक मीडियम के जरिए बात होगी। (फाइल फोटो)
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने घोषणा की है कि सस्ते मकान खरीदने के लिए होम लोन के ब्याज पेमेंट पर 1.5 लाख रुपए तक के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन को एक साल तक और बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसका मतलब है कि अब टैक्सपेयर्स इस एक्स्ट्रा डिडक्शन का फायदा 31 मार्च 2022 तक लिए गए होम लोन पर ले सकते हैं। (फाइल फोटो)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि यह ज्यादा संख्या में फंड भारत में निवेश करें, इसके लिए वे निजी फंडिंग से जुड़े प्रतिबंधों, कमर्शियल कामों पर प्रतिबंध और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सीधे निवेश से जुड़ी कुछ शर्तों में राहत का प्रस्ताव कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वे जीरो कूपन बॉन्ड को जारी करके इन्फ्रास्ट्रक्चर की फंडिंग की मंजूरी दे रही हैं। इससे नोटिफाइड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड टैक्स एफिशिएंट जीरो कूपन बॉन्ड जारी कर फंड इकट्ठा कर सकते हैं। (फाइल फोटो)