15 अगस्त पर पतंगबाजी के लिए चीनी मांझे का आयात नहीं, चीन को लगा 500 करोड़ का झटका

बिजनेस डेस्क। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर देश भर में जम कर पतंगबाजी होती है। इस मौके पर पूरे देश में पतंग और मांझे का करोड़ों में सालाना करोबार होता है। चीनी मांझे की भारतीय बाजार में मांग बढ़ती जा रही थी। रेडीमेड और सस्ता होने की वजह से यह मांझा लोगों के बीच लोकप्रिय था, लेकिन इससे नुकसान भी होता था। इस बार भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव की वजह से चीनी सामान के बहिष्कार किया जा रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि इस बार चीनी मांझा पूरे देश में कहीं नहीं बिकेगा। जानकारी के मुताबिक, देश में चीन से करीब 500 करोड़ रुपए का मांझा हर साल आता था। इस बार मांझे का इम्पोर्ट नहीं किया गया है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 13, 2020 5:23 AM IST

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15 अगस्त पर पतंगबाजी के लिए चीनी मांझे का आयात नहीं, चीन को लगा 500 करोड़ का झटका

दिल्ली में 2017 से है बैन
चीन निर्मित मांझे से कई तरह की दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें शीशे के बहुत ही बारीक कणों का लेप होता है। अगर यह मांझा किसी के शरीर के अंगों में फंस जाए तो उससे गहरा घाव हो जाता है। दरअसल, किसी पतंग को आसानी से काटने के लिए इस तरह का मांझा चीन में बनाया गया। जब इससे दिल्ली में दुर्घटनाएं होने लगीं तो इसे 2017 में बैन कर दिया गया। बावजूद, इसकी बिक्री जारी रही।

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सस्ता होता है चीनी मांझा
चीनी मांझा भारत में बनाए जाने वाले मांझे के मुकाबले सस्ता पड़ता है। इसलिए लोगों ने इस खरीदना शुरू किया और समय के साथ इसकी बिक्री बढ़ती चली गई। चीनी मांझे की बढ़ती डिमांड को देखते हुए थोक और खुदरा व्यापारियों ने भी इसे बेचना शुरू कर दिया। लेकिन इस बार बाजार में चीनी मांझा नहीं दिखेगा।
 

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क्या कहा कैट के महामंत्री ने
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि इस बार देश के व्यापारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए दिल्ली के व्यापारी भी चीनी मांझा नहीं बेचेंगे। उन्होंने कहा कि चीनी मांझे की जगह भारतीय मांझा बेचा जाएगा। उनका कहना है कि बरेली और मुरादाबाद का मांझा चीन के मांझे से बेहतर होता है और इस साल देश में बना मांझा ही बिकेगा।

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दिल्ली में हर साल 100 करोड़ की बिक्री
एक अनुमान के मुताबिक, रक्षाबंधन और 15 अगस्त के आसपास दिल्ली में हर साल करीब 100 करोड़ रुपए के मांझे की बिक्री होती है। इसमें से करीब 80 करोड़ रुपए का मांझा चीन से दिल्ली आता था। उत्तर भारत के दूसरे राज्यों में भी चीन से आने वाले मांझे की अच्छी-खासी बिक्री होती थी। 

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चीन बना रहा था मांझे के व्यवसाय पर एकाधिकार
पतंगबाजी की परंपरा भारत में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। पहले लोग पतंगबाजी के लिए अपने घरों में ही मांझा तैयार करते थे। पिछले कुछ वर्षों से चीन भारतीय पर्व-त्योहारों पर अपने यहां निर्मित सस्ते सामान बेचने की नीति पर चल रहा था। रक्षाबंधन से लेकर दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और पतंगबाजी के लिए मांझे की बिक्री में उसे काफी मुनाफा होता रहा है। चीन ने मांझे के व्यापार पर अपना एकाधिकार स्थापित करने की कोशिश की थी। 

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चीनी मांझा बेचने वालों पर होगी कार्रवाई
अब चीनी मांझा बेचने वालों पर कार्रवाई होगी। जानकारी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस उन दुकानदारों पर कार्रवाई कर रही है, जो चीनी मांझा बेच रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने चांद मुहल्ला में 10 से ज्यादा दुकानों पर छापा मारा है, जो चीनी और बरेली का बना मांझा बेच रहे थे। 

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दिल्ली सरकार ने लगाया था बैन
बता दें कि साल 2017 में दिल्ली सरकार ने चीनी और बरेली के मांझे से कई हादसे होने के बाद नोटिफिकेशन जारी कर उन पर बैन लगा दिया था। पिछले साल चीनी मांझे की वजह से 6 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें नाबालिग भी शामिल थे। 

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पतंग का कारोबार मुश्किल में
फिलहाल, पतंग का कारोबार करने वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन की वजह से कारोबार में कठिनाई आई है। पतंग के लिए ज्यादातर कच्चा माल उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से माल आ नहीं सका। कोरोनावायरस महामारी की वजह से लोग घरों से कम ही निकल पा रहे हैं। ऐसे में, पतंग का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। कुछ पतंग व्यवसायियों का कहना है कि पहले वे जहां रोज 500 पतंगें बेचते थे, अब मुश्किल से 5 से 10 पतंग बेच पा रहे हैं।  
 

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