Tax बचाने के लिए बेहतर है इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम, निवेश के पहले इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी
बिजनेस डेस्क। मार्च का महीना वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना है। इस महीने में इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए लोग कई तरह की स्कीम्स में निवेश करते हैं। पोस्ट ऑफिस की योजनाओं से लेकर बैंकों की जमा योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। 31 मार्च तक किए गए निवेश पर ही टैक्स में छूट हासिल हो सकती है। ऐसे टैक्सपेयर्स की भी कमी नहीं है, जो निवेश के लिए कई तरह के विकल्प अपनाते हैं। आजकल टैक्स बेनिफिट्स हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम में भी लोग निवेश कर रहे हैं। इनमें इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) को पसंद किया जा रहा है। जानें इसके बारे में।
(फाइल फोटो)
बता दें कि इसमें निवेश करने से सिर्फ निवेशकों की टैक्स लायबिलिटी को कम करता है, बल्कि इसमें लॉन्ग टर्म में उनकी सेविंग्स भी भी बढ़ती है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) में निवेश की जाने वाली राशि को इक्विटी मार्केट में लगाया जाता है। इससे ज्यादा मुनाफा हासिल होता है। (फाइल फोटो)
एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाजार में उतार-चढ़ाव की आशंका की वजह से म्यूचुअल फंड में निवेश करने से नहीं हिचकना चाहिए। ऐसे निवेशक जो मार्केट में शॉर्ट टर्म बदलाव होने पर कमाई करना चाहते हैं, तो उन्हें इसमें निवेश पर बेहतर लाभ मिलता है। (फाइल फोटो)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) में 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। हालांकि, यह लॉक-इन पीरियड खत्म होने के बाद निवेशक इसे जारी रख सकते हैं। अगर मार्केट में ज्यादा गिरावट है और रिटर्न कम मिल रहा हो, तो फाइनेंशियल प्लानर्स के मुताबिक जब बाजार में मजबूती आए और नेट एसेट वैल्यू (NAV) बढ़े, तो निवेशक एग्जिट के बारे में सोच सकता है। (फाइल फोटो)
इस स्कीम में ज्यादा रिटर्न के साथ टैक्स सेविंग्स के रूप में निवेशकों को काफी फायदा मिलता है। यह फायदा लंबे समय के लिए निवेश करने पर मिलता है। किसी भी फंड हाउस या म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) में निवेश किया जा सकता है। (फाइल फोटो)
इस स्कीम में निवेश करने से पहले खुद फैसला लेने की जगह किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए। आमतौर पर निवेशक म्यूचुअल फंड्स चुनने में सभी बिंदुओं को ठीक से नहीं समझ पाते हैं। इसलिए एक्सपर्ट्स की सलाह कारगर साबित होती है। (फाइल फोटो)
हिस्टोरिकल डेटा यानी पहले किस तरह से म्यूचुअल फंड्स ने रिटर्न दिया है और स्टार रेटिंग्स के जरिए किसी म्यूचुअल फंड्स को नहीं चुनना चाहिए। पिछले वर्षों में सफल रिटर्न का मतलब यह नहीं है कि भविष्य में भी इसमें बेहतर रिटर्न मिलेगा। इसलिए इसके सभी पहलुओं पर ठीक से विचार कर लेना चाहिए। (फाइल फोटो)