रिजर्व बैक ऑफ इंडिया ने नहीं घटाई ब्याज की दरें, इसका लोन की EMI पर जानें क्या पड़ सकता है असर

Published : Feb 05, 2021, 03:58 PM IST

बिजनेस डेस्क। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मोनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की हर दूसरे महीने होने वाली मीटिंग में ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैलला किया है। ऐसा लगतार चौथी बार किया गया है। अब रेपो रेट (Repo Rate) 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) 3.35 फीसदी पर है। हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की इस मीटिंग के पहले ही यह अनुमान जताया जा रहा था कि रेपो रेट में बदलाव नहीं किया जाएगा। बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को लोन देता है। वहीं, बैंक अपना जो पैसा रिजर्व बैंक में जमा कराते हैं, उस पर जिस रेट से आरबीआई बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव नहीं किए जाने से आने वाले समय में लोन की ईएमआई कम होने की कोई संभावना नहीं है। जानें रिजर्व बैंक के इस फैसले का होम लोन पर क्या असर पड़ सकता है। (फाइल फोटो)  

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रिजर्व बैक ऑफ इंडिया ने नहीं घटाई ब्याज की दरें, इसका लोन की EMI पर जानें क्या पड़ सकता है असर
जिन लोगों का होम लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क (External Benchmark) से जुड़ा है, उनकी EMI में कोई बदलाव होने की कोई उम्मीद नहीं है। हालांकि, बैंक मार्जिन कम करने का फैसला ले सकते हैं। वहीं, अगर बैंक कस्टमर के अकाउंट पर रिस्क प्रीमियम बढ़ा देता है, तो होम लोन की रकम पर ईएमआई बढ़ जाएगी। (फाइल फोटो)
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किसी भी बैंक का मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) कॉस्ट ऑफ फंड्स और रेपो रेट से भी प्रभावित होता है। आम तौर पर एमसीएलआर से लिंक किए गए होम लोन की रिसेट अवधि 6 महीने या 1 साल की होती है। ऐसे में, अगर बैंक आगे एमसीएलआर रिवाइज कर इसे कम करता है तो ईएमआई भी कम हो जाएगी। (फाइल फोटो)
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बता दें कि सितंबर 2020 में रिजर्व बैंक ने बताया था कि एमसीएलआर ( MCLR) की रिसेट अवधि को 1 साल से घटाकर 6 महीने कर दिया है। इसका मतलब है कि पॉलिसी में किसी भी बदलाव का असर बैंकों के कस्टमर्स पर जल्द ही पड़ सकता है। (फाइल फोटो)
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जिन लोगों का कर्ज बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट से लिंक है, वे अगर एक्सटर्नल अपने लोन को बेंचमार्क से लिंक करते हैं, तो उन्हें फायदा हो सकता है। रिजर्व बैंक पॉलिसी में किसी भी तरह का बदलाव करता है, तो इसका असर इस पर जल्दी पड़ता है। (फाइल फोटो)
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फाइनेंशियल प्लानर्स और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि 10 दिसंबर 2020 से प्रभावी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का बीपीएलआर 12.05 फीसदी और बेस रेट 7.30 फीसदी है। हालांकि, रेपो रेट लिंक्ड लोन का ब्याज दर 7 फीसदी से शुरू होता है। (फाइल फोटो)
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अगर कोई व्यक्ति आने वाले समय में लोन लेने के बारे में सोच रहा है, तो यह इसके लिए सबसे अच्छा समय है। इसकी वजह यह है कि ब्याज दरें अभी काफी कम हैं। हालांकि, कोरोना महामारी के बीच दूसरे फैक्टर्स पर भी विचार कर लेना जरूरी होगा। साथ ही, सबसे कम दर पर लोन लेने के लिए बैंकों के मार्जिन और उनके रिस्क प्रीमियम के बारे में भी पता कर लेना अच्छा रहता है। (फाइल फोटो)
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इस पर ध्यान देना भी जरूरी है कि सभी बैंकों ने एक्सटर्नल बेंचमार्क के तौर पर रेपो रेट को नहीं चुना है। कुछ बैंकों ने कर्ज की ब्याज दरों को डिपॉजिट रेट सर्टिफिकेट, ट्रेजरी बिल वगैरह से जोड़ रखा है। नया लोन लेने से पहले यह जानना भी जरूरी है कि एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड ब्याज दर में उतार-चढ़ाव की गुंजाइश बनी रहती है। ब्याज दरों में किसी भी बदलाव का असर ईएमआई पर पड़ता है। (फाइल फोटो)

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