भारत की गिरती अर्थव्यवस्था पर बोल चर्चा में आई ये महिला, जानिए कौन हैं गीता गोपीनाथ?
नई दिल्ली. नोटबंदी के फैसले पर मोदी सरकार की कड़ी आलोचना के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार गोपीनाथ ने देश की जीडीपी और लचर अर्थव्यवस्था पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके एक इंटरव्यू के बाद से पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम का नाम भी सुर्खियों में आ गया है। आइए जानते हैं आखिर कौन हैं गीता गोपीनाथ...?
Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2020 6:21 AM IST / Updated: Jan 21 2020, 11:57 AM IST
पिछले साल अक्टूबर में गीता गोपीनाथ को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) का चीफ इकोनॉमिस्ट यानी मुख्य अर्थशास्त्री बनाया गया। उन्होंने 1 जनवरी, 2019 से इस पद को संभाला। वह इस दायित्व को संभालने वाली पहली महिला हैं।
उन्हें ऐसे समय इस वित्तीय संगठन के मुख्य आर्थिक सलाहकार की जिम्मेदारी दी गयी है, जब आर्थिक वैश्वीकरण की गाड़ी उल्टी दिशा में मुड़ रही है और उससे बहुपक्षीय संस्थाओं के सामने भी चुनौतियां खड़ी हो रही हैं।
47 साल की गीता गोपीनाथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाती रही हैं। उन्होंने आईएएमफ में मौरिस आब्स्टफेल्ड की जगह ली जो 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हुए थे। वह मुद्राकोष की चीफ इकोनॉमिस्ट और इसके अनुसंधान विभाग की निदेशक बनाई गई हैं।
1 अक्टूबर 2018 को उनकी नियुक्ति की घोषणा करते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की तत्कालीन प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड ने गीता गोपीनाथ को दुनिया का एक विलक्षण और अनुभवी अर्थशास्त्री बताया था। उन्होंने कहा था कि गीता विश्व में महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं। वह IMF की 11वीं मुख्य अर्थशास्त्री हैं। गीता गोपीनाथ जानी-मानी शिक्षाविद और केरल सरकार की आर्थिक सलाहकार भी रही हैं।
उन्होंने हाल में हार्वर्ड गजट के साथ बातचीत में अपनी इस नियुक्ति को एक बड़ा सम्मान बताया था। इसी बातचीत में उन्होंने कहा कि वह जिन मुद्दों पर अनुसंधान करना चाहेंगी उनमें एक मुद्दा यह भी है कि अंतराष्ट्रीय व्यापार और वित्त में अमेरिकी डॉलर जैसी वर्चस्व वाली मुद्राओं की भूमिका असल में क्या है।
भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ का जन्म 8 दिसंबर, 1971 को कोलकाता में हुआ था, लेकिन उनकी प्रारंभिक शिक्षा मैसूर (कर्नाटक) के निर्मला कॉन्वेंट स्कूल से हुई। उनके माता-पिता मूलत: केरल के कन्नूर में रहते थे।
गोपीनाथ ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन से एमए की डिग्री हासिल की है। वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रही हैं। उससे पहले वह यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं। उन्होंने अपनी बैचलर की डिग्री लेडी श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली से हासिल की है। वह भारत के वित्त मंत्रालय के जी-20 सलाहकार समिति में प्रतिष्ठित सदस्य के रूप में भी शामिल रही हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय व्यापक अर्थशास्त्र और व्यापार पर किए गए शोध से साल 2001 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि हासिल की है। वह पीएम मोदी से मुलाकात भी कर चुकी हैं।
गीता के पति का नाम इकबाल धालीवाल है जो इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं और 1995 बैच के आईएएस टॉपर हैं। इकबाल आईएएस की नौकरी छोड़ प्रिंसटन पढ़ने चले गए थे। गीता के पति और एक बेटे का परिवार फिलहाल कैम्ब्रिज (यूके) में रहता है।
आईएमएफ के सर्वोच्च इकोनॉमिस्ट पद पर चुने जाने के बाद गोपीनाथ का एक बयान काफी सुर्खियों में था। कभी उन्होंने भारत में नोटबंदी की कड़े शब्दों में आलोचना की थी। उनकी वे बातें अब वायरल हो रही हैं। एक इंटरव्यू में गोपीनाथ ने कहा था कि कोई भी बड़ा अर्थशास्त्री नोटबंदी को जायज नहीं ठहरा सकता। गोपीनाथ ने यह भी कहा था कि सभी नकदी न तो कालाधन होता है और न तो भ्रष्टाचार। गोपीनाथ ने यह भी कहा था कि किसी विकासशील देश के लिए नोटबंदी काफी कड़ा फैसला है। यह खतरनाक होने के साथ-साथ हानिकारक भी है।
गोपीनाथ की टिप्पणी पर कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि अब हमें गीता गोपीनाथ पर मंत्रियों के हमले के लिए तैयार हो जाना चाहिए। अपने ट्वीट में चिदंबरम ने गोपीनाथ ने नोटबंदी के फैसले की आलोचना को भी याद फरमाया।