जब उन्होंने एग्जाम के बाद आईएएस का रिजल्ट देखने के लिए यूपीएससी की वेबसाइट देखी तो टॉपर्स की लिस्ट में वंदना का आठवें नंबर पर नाम था। वंदना ने आईएएस अफसर बन न सिर्फ माता-पिता बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन किया था। उनका इंटरव्यू भी सफल रहा था। आज गांव के वही सारे लोग, जो कभी लड़की को पढ़ता देख ताने मारते थे। वंदना की सफलता पर गर्व करते हैं। कहते हैं ‘‘लड़कियों को जरूर पढ़ाना चाहिए, बिटिया पढ़ेगी तो नाम रौशन करेगी।’’
महिला-पुरुष दोनों समान हैं, संविधान में दोनों को समान अधिकार दिए गए हैं। भारतीय समाज अगर रूढ़िवादी सोच को त्याग दे तो समझ जाएगा महिलाएं रसोई में मिर्च-मसालाों डालने भर के लिए पैदा नहीं होती हैं। वंदना जैसी सैकड़ों महिला अफसरों की कहानी इसका सच्चा सबूत हैं।
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