UPSC 2020 : IPS बनने वाले अभिषेक सिंह ने क्यों कहा- मोटिवेशन से कुछ नहीं होगा, स्टूडेंट्स को दिया खास मंत्र

करियर डेस्क. उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के एसडीएम अभिषेक सिंह (Abhishek Singh) की संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में 240वीं रैंक आई है। वर्ष 2019 के पहले अटेम्पट में प्रीलिम्स व मेंस परीक्षा क्लियर की थी और इंटरव्यू में भी शामिल हुए थे लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हो सका। वर्ष 2019 में ही यूपीपीसीएस परीक्षा में उन्हें छठीं रैंक प्राप्त हुई थी। इस बार उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) कैटगरी मिलने की उम्मीद है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने अभिषेक सिंह (Abhishek Singh) से बातचीत की।  उन्होंने UPSC की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को कई तरह के टिप्स दिए। आइए जानते हैं उन्होंने UPSC की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को क्या खास मंत्र दिए। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 25, 2021 9:44 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:20 PM IST

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UPSC 2020 : IPS बनने वाले अभिषेक सिंह ने क्यों कहा- मोटिवेशन से कुछ नहीं होगा, स्टूडेंट्स को दिया खास मंत्र

तैयारी के लिए आत्मविश्वास जरूरी
अभिषेक का बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना था। उनके इस सपने को तब ज्यादा बल मिला, जब सैनिक स्कूल लखनऊ में पढ़ाई के दौरान उनके एक सीनियर छात्र का यूपीएससी में चयन हुआ, वह आईएएस बनें। उनके चयन के बाद अभिषेक का आत्मविश्वास बढ़ा, क्योंकि अब तक उन्होंने सिर्फ सुना था कि उनके स्कूल के कई पूर्व छात्र आईएएस व आईपीएस हैं लेकिन पहली बार उन्होंने अपने सीनियर छात्र को आईएएस बनते देखा। जिन्हें वह व्यक्तिगत तौर पर जानते थे, तो उनमें यह विश्वास जगा कि यदि वह प्रयास करें तो उनका भी चयन हो सकता है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनके मन में सिविल सर्विस की परीक्षा की तैयारी को लेकर, जो अनिश्चितता थी, सीनियर के आईएएस बनने की खबर के बाद उसकी जगह यूपीएससी में तैयारी के संकल्प ने ले ली और यहीं से अभिषेक की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का सफर शुरू हुआ।

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SBI में हुआ था सिलेक्शन
यूपी के मऊ जिले के सदर तहसील क्षेत्र के रतनपुरा निवासी अभिषेक सिंह की प्रारंभिक पढ़ाई रतनपुरा स्थित एवरग्रीन पब्लिक स्कूल से हुई। यहां पांचवीं तक पढ़ाई के बाद सैनिक स्कूल, लखनऊ में उनका दाखिला हुआ। वहां से इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उन्होंने बीबीडी इंजीनियरिंग कॉलेज, लखनऊ से 2015 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और फिर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर सिलेक्ट हुए। 2017 में उनकी नियुक्ति मुंबई में डिप्टी मैनेजर के पद पर हुई थी। उनके पिता बालमुकुंद सिंह और मां ऊषा सिंह गवर्नमेंट स्कूल में टीचर हैं। बड़ी बहन अर्चना सिंह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बेंगलुरु में ब्रांच मैनेजर हैं।  
 

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पॉजिटिव रहना जरूरी
उन्होंने कहा जब आप मध्यमवर्गीय परिवार से हो, जहां परिस्थितियों के साथ आर्थिक स्थिति हमेशा चुनौतीपूर्ण होती है और जल्द से जल्द सेटल होने की भावना बलवती रहती है। ऐसे में अभिषेक के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की नौकरी छोड़कर तैयारी करने का निर्णय आसान नहीं था। जब वह नौकरी कर रहे थे, तब वह आर्थिक तौर पर सुरक्षित महसूस करते थे। उनका कहना है कि नौकरी छोड़कर तैयारी करने का निर्णय आसान नहीं था। खासकर खुद को यह विश्वास दिलाना कि यह हो जाएगा और लक्ष्य प्राप्ति तक खुद पर यह विश्वास बनाए रखना भी आसान नहीं था लेकिन उन्होंने अपने इस संघर्ष के नकारात्मक पहलू की तरफ कभी नहीं देखा। हमेशा सकारात्मक बने रहें। यही उनका मोटिवेशन रहा और उनकी यूपीएससी परीक्षा की यात्रा में एक उत्प्रेरक की तरह काम करता रहा।

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अनुशासन सबसे ज्यादा जरूरी, मोटिवेशन से कुछ नहीं होता
हमेशा अपने प्रयासों को लेकर ईमानदार रहिए। आप सेल्फ असेसमेंट करते रहिए। हमेशा माइक्रो लेवल पर टारगेट बनाइए। जो भी काम करना चाहते हैं, उसे छोटे भागों में विभाजित कर लीजिए। इससे टारगेट छोटा दिखने लगता है। किसी भी मोटिवेशन से ज्यादा जरूरी इस तैयारी में अनुशासन है। कोई मोटिवेटेड होगा तो हो सकता है कि वह एक महीने 10 की जगह 16 घंटे पढ़ लेगा पर जो अनुशासित होगा वह नियमित 10 से 12 घंटे पढ़ाई करेगा। अपनी क्षमता को कभी कम करके नहीं आंकना चाहिए। टारगेट हमेशा बड़े रखने चाहिए। लक्ष्य कभी कमतर नहीं रखने चाहिए।

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निराश होकर नहीं करें पढ़ाई
अपनी पढ़ाई के शुरुआती दिनों से ही अभिषेक सोशल एक्टिविटी में शामिल रहते थे। सैनिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें इसके काफी अवसर भी मिले। स्कूल की मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन रहे। स्पोर्ट्स कमेटी के कैप्टन भी बनें। कॉलेज में कल्चरल कमेटी के मुखिया थे। उन्होंने कभी नीरस तरीके से पढ़ाई नहीं की। सामाजिक तौर पर उन्होंने देखा कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काफी काम किया जा सकता है। इन्हीं वजहों से उनका रूझान सिविल सर्विसेज की तरफ ज्यादा रहा। 

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तैयारी के दौरान खुद के लिए समय निकालें
किसी को कॉपी मत करिए। अपनी ताकत और कमजोरी को देखते हुए अपनी रणनीति बनाइए। अपनी बुकलिस्ट कम करके रखिए।  ताकि उसको बार बार रिवाइज कर पाएं। योगा, मेडिटेशन या व्यायाम के लिए आधे घंटे का समय जरूर निकालें। समयबद्ध लक्ष्य बनाइए और उसी के अनुसार आगे बढ़िए। यह मत सोचिए की आपका चयन होगा या नहीं। बल्कि आप परीक्षा की तैयारी में जुटे रहिए। छोटी-छोटी चीजों को अमल में लाते जाएंगे तो लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाएंगे। 

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