अचला सचदेव ने 120 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था, जिनमें 'कल हो ना हो', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे', 'छैला बाबू', 'गीता मेरा नाम', 'अलबेला' और 'कन्यादान' जैसे टाइटल शामिल हैं। पति पीटर के निधन के बाद वे अकेली रहने लगी थीं और 30 अप्रैल 2012 को जब पुणे में उनका निधन हुआ, तब वे गरीबी और अकेलेपन से जूझ रही थीं। उनके पास इलाज के पैसे तक नहीं थे।