पत्नी निहारिका ने बताया कि किशोर ने मेरी गोद में दम तोड़ा है। उनके आखिर शब्द थे कि गरीबों को की जा रही सेवा बंद नहीं होना चाहिए। कोई भी भूखा नहीं सोना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि आपके सपने को मैं पूरा करूंगी। 15 अप्रैल की मौत के एक दिन बाद ही निहारिका ने सेवा भाव की सारी जिम्मेदारियों को कंधे पर ले लिया। वह काशी के अस्पतालों, सड़को, घाटों, रेलवे स्टेशन पर भूखे लोगों को खाना बांटने लगीं। इतना ही नहीं किशोर के नेपाल में रहना वाला एक दोस्त रोशन पटेल नौकरी छोड़कर काशी आ गए और निहारिका का साथ देने लगे। (फाइल फोटो, किशोर कांत तिवारी)