खुद को पैगंबर के कबीले का बताता था बगदादी, मौलवी से ऐसे बना दुनिया का खूंखार आतंकी
नई दिल्ली. इस्लामिक स्टेट का सरगना अबू बक्र अल बगदादी शनिवार को उत्तर-पश्चिमी सीरिया में अमेरिका के विशेष बलों के हमले में मारा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को यह ऐलान किया। ट्रंप ने कहा कि "क्रूर" संगठन इस्लामिक स्टेट का सरगना और दुनिया का नंबर एक आतंकवादी बगदादी "कुत्ते और कायर की" मौत मारा गया। उन्होंने व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन के दौरान बगदादी की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि आईएस का सरगना अपने जीवन के अंतिम क्षणों में रोया, चीखा-चिल्लाया और फिर अपने तीन बच्चों की हत्या कर खुद को बम से उड़ा लिया। आइए जानते हैं कौन था बगदादी और कैसे बना ISIS सरगना.......
Asianet News Hindi | Published : Oct 28, 2019 11:13 AM IST / Updated: Oct 28 2019, 04:50 PM IST
बगदादी का असली नाम इब्राहिम अल-ऊद अल-बदरी था। अल बगदादी का जन्म 1971 में इराक के सामरा में निम्न-मध्य वर्गीय सुन्नी परिवार में हुआ था। यह परिवार अपनी धर्मनिष्ठता के लिए जाना जाता था। बगदादी के परिवार ने दावा किया है कि जिस कबीले से पैगंबर मोहम्मद थे, उसी कबीले से वो भी हैं। यह परिवार पैगंबर मोहम्मद का वंशज होने का दावा करता है।
अल बगदादी युवा अवस्था से ही क़ुरान की आयतों को कंठस्थ करने के लिए जाना जाता था। इसके साथ ही बगदादी का इस्लामिक कानून से भी खासा लगाव था। बगदादी की पहचान परिवार में घोर इस्लामिक व्यक्ति की थी। वह अपने रिश्तेदारों पर बहुत ध्यान रखते थे कि इस्लामिक कानून का पालन हो रहा है या नहीं।
बगदादी ने 1996 में यूनिवर्सिटी ऑफ बगदाद से इस्लामिक स्टडीज में ग्रैजुएशन किया। इसके बाद 1999 से 2007 से के बीच क़ुरान पर इराक की सद्दाम यूनिवर्सिटी फॉर इस्लामिक स्टडीज से मास्टर्स और पीएचडी हासिल की।
बगदादी 2004 तक बगदाद के पास तोबची में अपनी दो पत्नियों और छह बच्चों के साथ रहा। इसी दौरान वो स्थानीय मस्जिद में पड़ोस के बच्चों को क़ुरान की आयतें पढ़ाता था। बगदादी फ़ुटबॉल क्लब के भी स्टार था। इसी दौरान उसके चाचा ने उसे मुस्लिम ब्रदरहुड जॉइन करने के लिए प्रेरित किया। बगदादी अचानक ही रूढ़िवादी और हिंसक इस्लामिक मूवमेंट की तरफ आकर्षित हो गया।
2003 में इराक पर अमरीका के हमले के कुछ ही महीने बाद बगदादी ने विद्रोही गुट जैश अह्ल अल-सुन्नाह वा अल-जमाह के गठन में मदद की। फरवरी 2004 में अमरीकी बलों ने फलुजा में बगदादी को गिरफ्तार कर लिया और बक्का डिटेंशन कैंप में 10 महीने तक रखा। कैद के दौरान भी बगदादी ने खुद को मजहब पर ही केंद्रित रखा। वो कैदियों को इस्लाम की शिक्षा देता था।
ISIS सर्गना अन्तर्मुखी स्वभाव का था उसे प्रतिद्वंद्वियों की पूरी खबर रहती थी। दिसंबर 2004 में कैद से बाहर होने के बाद बगदादी ने उन सभी से गठजोड़ किया जिनसे वो संपर्क में था। बाहर निकलने के बाद बगदादी ने इराक में अल-कायदा के प्रवक्ता से संपर्क किया। उसी प्रवक्ता ने बगदादी को दमिश्क जाने के लिए राजी किया। बगदादी को यहां अल-कायदा के प्रॉपेगैंडा को फैलाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
इस्लामिक स्टेट से बगदादी ने लोगों को जोड़ना शुरू किया। बगदादी को शरीया समिति का पर्यवेक्षक बनाया। इसके साथ ही उसे शुरा काउंसिल के 11 सदस्यों में भी शामिल किया। बाद में बगदादी को आईएस की समन्वय समिति में रखा जिसका काम इराक में कमांडरों के बीच संवाद कायम करना था।
आईएस के संस्थापक की मौत अप्रैल 2010 में हो गई जिसके बाद शुरा काउंसिल ने बगदादी को आईएस का प्रमुख बना दिया। बगदादी एक कथित इस्लामिक स्टेट का मुखिया था और वो पिछले पांच सालों से अंडरग्राउंड था।
अप्रैल में ISIS के मीडिया विंग अल-फुरकान की तरफ से एक वीडियो जारी किया गया था। इस वीडियो में अल-फुरकान ने कहा था बगदादी जिंदा हैं। जुलाई 2014 में मूसल की मस्जिद से भाषण देने के बाद बगदादी पहली बार दिखा था।
फरवरी 2018 में कई अमरीकी अधिकारियों ने कहा था कि मई 2017 के एक हवाई हमले में बगदादी जख्मी हो गया था। बगदादी 2010 में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) का नेता बना था।