न्यूयॉर्क में शवों से भरे अस्पताल, अब लाशों को ट्रकों में भरकर रखा जा रहा; Photos से हुआ खुलासा
न्यूयॉर्क. कोरोना वायरस का कहर दुनिया के 200 से ज्यादा देशों में है। अब तक 69,522 लोगों की मौत हो चुकी है। चीन, इटली और स्पेन के बाद अब अमेरिका में कोरोना वायरस कहर बनकर टूटा है। यहां संक्रमण के 3.3 लाख केस सामने आ चुके हैं। वहीं, 9620 लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में सबसे जयादा प्रभावित न्यूयॉर्क है। यहां 4159 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 1 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं।
न्यूयॉर्क में कोरोना से हाहाकार मचा है। यहां हाल ही में एक अस्पताल से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो मौत के खौफ की कहानी बता रही हैं।
न्यूयॉर्क के ब्रूकलिन हॉस्पिटल जहां कोरोना वायरस के मरीजों को भर्ती कराया जा रहा है, वहां हर तरफ सिर्फ ऑरेंज कलर के बॉडी बैग नजर आ रहे हैं।
ब्रूकलिन के इस अस्पताल में शव स्ट्रेचर पर रखे दिख रहे हैं। न्यूयॉर्क में अकेले 4159 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां 1 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।
ब्रूकलिन का यह हॉस्पिटल शहर के अन्य अस्पतालों की तरह ही है, जहां बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं।
यहां मेडिकल कर्मी भी प्रोटेक्टिव सूट में नजर आ रहे हैं। अस्पताल में शवों को रेफ्रिजरेटिड ट्रकों में रखा जा रहा है, क्योंकि शवों का अंतिम संस्कार सही समय पर नहीं हो पा रहा है। न्यूयॉर्क में शव गृह भी भरे हुए हैं।
अंतिम संस्कार के लिए लोगों को 1-2 हफ्ते के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। इसलिए हर अस्पताल के बाहर रेफ्रिजरेटिड ट्रकों को देखा जा सकता है। यह ट्रक इस बात का संकेत हैं कि अस्पताल में शव रखने की जगह भर चुकी है।
ट्रकों में दर्जनों शवों का रखा जा रहा है। इसके बाद इन्हें शव गृह लाया जाता है।
न्यूयॉर्क में रविवार को 594 लोगों की मौत हुई। शनिवार को सबसे ज्यादा 630 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, रविवार को मौत के आंकड़ों में कमी देखने को मिली।
यहां शुक्रवार को 1427 मरीज भर्ती किए गए थे। उसके बाद शनिवार को 1095 और रविवार 574 मरीज। मरीजों की संख्या में कमी को अच्छा माना जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीएनएन ने ब्रूकलिन के द यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल का दौरा किया तो हालात युद्ध से भी बदतर पाया। यह अस्पताल अब सिर्फ कोरोना के मरीजों का ही इलाज कर रहा है। यहां आए मरीजों में से 25 फीसदी की मौत हो चुकी है।
ब्रूकलिन के द यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल की बात करें तो स्टाफ ने एक शव को लपेटा और 30 मिनट के अंदर शव को रवाना किया। फिर उस जगह को सैनिटाइज किया, लेकिन फिर से वहां पर गंभीर हालत में दूसरे मरीज को रख दिया।
कोरोना से बचाव के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने सभी देशवासियों को जन स्वास्थ्य उपाय के तौर पर स्कार्फ या घर पर बने मास्क से चेहरा ढकने का सुझाव दिया है।
पूरे अमेरिका में जगह-जगह अस्थायी अस्पताल बनाए जा रहे हैं जिस काम में आर्मी को लगा दिया गया है।
अमेरिका में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके ऑफिस का अनुमान है कि अमेरिका में करीब 1 लाख से 2 लाख लोगों की मौत होगी।
अमेरिका में कोरोना के फैलने की एक बड़ी वजह है कि इसे गंभीरता से नहीं लेना। माना जा रहा है कि अमेरिका के लिए उसका अति आत्मविश्वास ही बड़ी वजह बना। अमेरिका ने कोरोना वायरस को भांपने में चूक कर दी। अमेरिका ने कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं लिया।
अमेरिका का मानना था कि यह बीमारी चीन से निकली है, ऐसे में इसका ज्यादा असर सिर्फ एशिया के बाकी देशों तक ही होगा।
जब इटली और स्पेन में हर रोज मौत का आंकड़ा बढ़ रहा था, उस वक्त अमेरिका ने समय रहते इन सबसे से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यहां ना तो अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद की गईं ना ही लॉकडाउन जैसा कोई कदम उठाया गया।