कोरोना से बढ़ा है मानसिक बीमारियों का खतरा, इसकी ये हैं 5 बड़ी वजह

Published : Apr 07, 2020, 04:07 PM IST
कोरोना से बढ़ा है मानसिक बीमारियों का खतरा, इसकी ये हैं 5 बड़ी वजह

सार

कोरोना महामारी फैलने के बाद पूरी दुनिया में लोगों की मानसिक समस्याएं भी बढ़ी हैं। इस बीमारी के कारण लोग तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। कई जगहों से तो लोगों के आत्महत्या करने की खबरें भी सामने आई हैं।

हेल्थ डेस्क। कोरोना महामारी फैलने के बाद पूरी दुनिया में लोगों की मानसिक समस्याएं भी बढ़ी हैं। इस बीमारी के कारण लोग तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। कई जगहों से तो लोगों के आत्महत्या करने की खबरें भी सामने आई हैं। कोरोना को लेकर लोगों के मन में डर बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित एक एडवाइजरी में कहा गया है कि कोरोना से संबंधित ऐसी खबरों को देखने, सुनने और पढ़ने से बचें जिनसे आपको परेशानी होती हो। इनमें कोरोना से जुड़ी जानकारियां भी शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि बेहतर होगा, अगर कोरोना से संबंधित जानकारी के लिए दिन में केवल दो बार किसी भरोसेमंद मीडिया का इस्तेमाल किया जाए। कोरोना से संबंधित खबरें लगातार पढ़ते रहने से तनाव बढ़ता है। लोग लॉकडाउन में रहने के कारण काफी परेशानी झेल रहे हैं। ऐसे में, कोरोना से जुड़ी खबरें उनमें कई तरह की मानसिक समस्याएं पैदा कर सकती हैं।

1. भारत में हैं काफी है मानसिक रोगियों की संख्या
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों में भारतीयों की संख्या बहुत ज्यादा है। भारतीय आबादी के करीब 2 प्रतिशत लोग गंभीर मानसिक बीमारियों के शिकार हैं। करीब 2 लाख लोग हर साल आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं।  महानगरों और बड़े शहरों में रहने वाले युवा और बच्चे भी मानसिक बीमारियों के खतरे का सामना कर रहे हैं। कोरोना से पैदा होने वाली परिस्थितियों के कारण पहले से मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों की परेशानी बढ़ सकती है।

2. सोशल मीडिया पर कोरोना से जुड़ी अफवाहें
भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है। सोशल मीडिया पर कोरोना से जुड़ी तरह-तरह की अप्रामाणिक और फर्जी खबरें फैलाई जा रही हैं। फर्जी वीडियो डाले जा रहे हैं। हर सोशल मीडिया यूजर के वश का यह नहीं है कि वह सही और फर्जी खबरों में अंतर को समझ सके। इससे लोगों के मन में डर पैदा होता है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल जागरूकता फैलाने की जगह कोरोना को लेकर अफवाहें फैलाने के लिए भी किया जा रहा है। 

3. महामारी फैलने पर लोगों में बढ़ती है चिंता 
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययनों में यह पाया है कि जब भी महामारियां फैलती हैं,  लोगों में चिंता और घबराहट जैसी समस्या भी तेजी से बढ़ती है। इसकी वजह यह है कि लोगों को बीमारी के बारे में कुछ पता नहीं होता। वे इसके परिणामों को समझ पाने में भी असमर्थ होते हैं। बीमारी के कारण का पता नहीं चलने और इससे बड़ी दिक्कतें पैदा हो जाने से लोगों में इसे लेकर चिंता हो जाती है और यह मानसिक बीमारियों की वजह बन जाती है।

4. सार्स फैलने के दौरान हुआ था ऐसा
जब साल 2003 में सार्स नाम की संक्रामक बीमारी फैली थी, तब भी लोगों को तरह-तरह की मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि सार्स बीमारी के फैलने के बाद जो लोग स्वस्थ थे, उनमें भी अवसाद, तनाव, चिंता और पैनिक अटैक जैसी समस्याएं पैदा हुईं। सार्स से संक्रमित लोगों को आइसोलेशन में रखा गया था, जिसका मानसिक असर उन पर बहुत खराब पड़ा था। बीमारी ठीक हो जाने के बाद भी उन्हें सामाजिक अलगाव की समस्या का सामना करना पड़ा। 

5. इंटरनेट ने बदल दिया है सूचना तंत्र का ढांचा
आज किसी भी तरह की सूचना हासिल करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ऐसा माध्यम है, जिसका उपयोग कोई भी करने के लिए स्वतंत्र है। वह इसके जरिए न सिर्फ सूचना लेता है, बल्कि सूचनाओं को फैलाने का भी काम करता है। इस पर किसी तरह का कोई नियंत्रण नहीं है। एक अध्ययन में यह पाया गया था कि इबोला और स्वाइन फ्लू फैलने पर ट्विटर यूजर्स ने इन दोनों बीमारियों को लेकर काफी डर जताया था, जिसका कारण सोशल मीडिया पर फैला भ्रामक प्रचार था। दरअसल, सोशल मीडिया पर डाले जा रहे पोस्ट्स में बीमारी को बढ़ा-चढ़ा कर और सनसनीखेज बना कर दिखाने की कोशिश की जाती है। इससे डर और भगदड़ की स्थिति बनती है। दुनि्या के पैमाने पर फैलने वाली किसी महामारी का मनोवैज्ञानिक प्रभाव सामाजिक ताने-बाने पर भी पड़ता है। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि लोग फर्जी जानकारियों से दूर रहें और भरोसेमंद स्रोतों से ही जानकारी हासिल करें। 

 

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