12 घंटे का मैराथन ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने किए 3 लिवर ट्रांसप्लांट, देश में पहली बार हुआ ऐसा 'चमत्कार'

ऐसे ही डॉक्टर को भगवान की उपाधि नहीं दी गई है। मरीज को मौत के मुंह से खींच लाने का काम ये करते हैं। गुरुग्राम के एक हॉस्पिटल में पहली बार ऐसा हुआ जहां पर एक साथ तीन लिवर ट्रांसप्लांट किए गए। 12 घंटे तक चले ऑपरेशन के बारे में जब पूरी बात जानेंगे तो दंग रह जाएंगे।

Nitu Kumari | Published : Dec 23, 2022 4:41 AM IST / Updated: Dec 23 2022, 10:13 AM IST

हेल्थ डेस्क. लिवर ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया जितनी कठिन हैं उससे ज्यादा मुश्किल लिवर डोनर की तलाश करना है। गुरुग्राम के एक हॉस्पिटल में तीन मरीन आए जो लिवर की समस्या से जूझ रहे थे। मध्य प्रदेश के 51 साल के बिजनेसमैन संजीव कपूर और दिल्ली की 59 साल की हाउस वाइफ का लीवर फेल हो गया था। वहीं यूपी के 32 साल के सौरभ गुप्ता को एडवांस लिवर कैंसर था। तीनों का इलाज इसी अस्पताल में चल रहा था। यहां के डॉक्टर्स की टीम ने एक साथ तीनों का लिवर ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन किए और सफल रहे।

एक साथ तीन लोगों का हुआ लिवर ट्रांसप्लांट

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सितंबर 2022 में हुए ऑपरेशन की तस्वीर कुछ ऐसी थी। सुबह 7 बजे 55 डॉक्टर और 6 नर्स की टीम पहुंचे। 6 ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में अलग-अलग छह मरीज थे। 3 जो लिवर डोनर थे और 3 वो जिनका लिवर ट्रांसप्लांट करना था। देश में ऐसा पहली बार हुआ जब एक बार में तीन लिवर को लेकर तीन लोगों में ट्रांसप्लांट किया गया। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने देश का पहला तीन लोगों का लिवर ट्रांसप्लांट करके इतिहास रचा।

तीनों मरीज के डोनर ने बचाई एक दूसरे की जान

ऑपरेशन के बाद तीन महीने से अधिक वक्त तक इन मरीजों को निगरानी में रखा गया। गुरुवार को डॉक्टर ने बताया कि तीनों अब ठीक हो रहे हैं। सवाल यह है कि तीन मरीजों को एक साथ तीन डोनर कैसे मिले। इसके बारे में अस्पताल के मुख्य लिवर प्रत्यारोपण सर्जन डॉ अरविंद सोइन ने बताया कि साल 2009 में दो एक्सेप्टर और डोनर जोड़े के बीच जीवित दाता अंग स्वैप की अवधारणा पेश की। जिनके रिश्तेदार मेडिकली फिट होने के बाद भी ब्लड ग्रुप या लिवर के आकार की असंगति के कारण दान देने में असमर्थ हैं। लेकिन अगर वो दूसरे मरीज में फिट हो जाते हैं तो फिर स्वैप करते हैं। यानि डोनर की अदला बदली।

डॉक्टर ने डोनर स्वैप करने की बनाई योजना

डॉक्टर ने आगे बताया कि संजीव कपूर की पत्नी मनीषा डोनर थीं, लेकिन उनका लीवर उनसे मैच नहीं कर रहा था। वहीं, आदेश कौर के बेटे हरमन कौर और सौरभ गुप्ता की पत्नी चांदनी डोनर थे। लेकिन उनका भी उनसे मैच नहीं कर रहा था। जिसके बाद हमने आदान-प्रदान की योजना बनाई। जिसके बाद डोनर को स्वैप करके तीनों मरीजों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। 

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