सीने में दर्द ही नहीं, ये 9 लक्षण भी हार्ट अटैक के हो सकते हैं, मौत से बचने के लिए पहचाना जरूरी

हृदय रोग भारत में महामारी जैसा हो गया है। आज लोगों की हो रही मौत के अहम वजहों में से यह भी एक है। खतरनाक बात यह है कि दिल की बीमारी अब युवाओं को भी प्रभावित कर रहा है। जिसकी मुख्य वजह ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और स्मोकिंग और तनावपूर्ण लाइफस्टाइल है।

हेल्थ डेस्क. भारत में हार्ट अटैक महामारी जैसा रूप धारण करने लगी है। पहले इस 40 के पार के लोगों के लिए माना जाता था। अब युवा भी इसकी चपेटे में तेजी से आ रहे हैं। बदलते लाइफस्टाइल और तनावपूर्ण जिंदगी इसके पीछे वजह मानी जा रही है। हालांकि हार्ट से जुड़ी बीमारी के लिए ट्रीटमेंट मौजूद है। बावजूद इसके हार्ट अटैक के दौरान मृत्यु दर उच्च बनी हुई है। इसका मुख्य कारण दिल के दौरे से जुड़े लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी है।ज्यादातर हार्ट अटैक ऐसा होता है कि यह पहचनाना मुश्किल हो जाता है कि क्या यह हार्ट अटैक ही है। 

हार्ट अटैक के दौरान सीने में दर्द सबसे आम लक्षण है। हालांकि कुछ अन्य लक्षण हैं जिसपर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता है। जैसे डायबिटीज के रोगी में विशेष रूप से सीन में दर्द की बजाय इन असामान्य लक्षण से पीड़ित देखे जा सकते हैं। डॉक्टर की मानें तो महिला रोगी में भी ये असामान्य लक्षण देखने को मिल सकते हैं। इसके अलावा सीने में दर्द इसके केंद्र में, दाएं, बाएं के साइड में, जबड़े, पीठ या बाएं हाथ में हो सकता है। पेट के ऊपरी हिस्से  (अधिजठर क्षेत्र) में दर्द भी हार्ट अटैक के लक्षणों में से एक है। दर्द बर्नी नेचर का भी हो सकता है जो अक्सर गैस्ट्रिटस का भ्रम पैदा करता है।

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हार्ट अटैक के लक्षण-
सांस लेने में तकलीफ,
बहुत ज्यादा पसीना आना
बेहद कमजोर और थका हुआ महसूस करना
चक्कर आना
दर्द सीने के बीच में, दाएं, बाएं के साइड में होना
जबड़े, पीठ या बाएं हाथ में दर्द का होना
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द का होना
पेट में बहुत ज्यादा जलन होना

दर्द के नेचर से हार्ट अटैक का नहीं चलता पता 

डॉक्टर की मानें तो दर्द का नेचर से इसका निदान करना मुश्किल होता है। इसलिए ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम और ब्लड ट्रोपोनिन लेबल के टेस्ट की जरूरतो होती है। हार्ट अटैक एक आपात स्थिति है और शुरुआती इलाज से मरीज की जान बचाई जा सकती है। सभी हार्ट अटैक का इलाज 12 घंटे के भीतर किया जाना चाहिए। डॉक्टर के मुताबिक लक्षणों की शुरुआत के छह घंटे के भीतर एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) ट्रीटमेंट से मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है। वहीं, अगर 12 घंटे के बाद ट्रीटमेंट कराया जाता है तो उसका असर कम होने लगता है। इसके लिए तुरंत उपचार की जरूरत होती है। हार्ट अटैक वाले मरीज की घर या काम के दौरान मरने का जोखिम 50 प्रतिशत होता है जो जीवित अस्पताल में पहुंचने पर 10 प्रतिशत कम हो जाता है।

हेल्थ चेकअप है जरूरी 

इसलिए, दिल के दौरे से जुड़े सभी लक्षणों को पहचानने और तुरंत ट्रीटमेंट लेने की जरूरत होती है। डॉक्टर का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बड़ी संख्या में ऐसे रोगियों को देखते हैं जो वक्त पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं। ऐसी स्थिति में ट्रीटमेंट अधिक जोखिम भरा होता है। बहुत ही कम इसमें सफलता मिलती है। स्वयं ट्रीटमेंट करने की बजाय सतर्क रहने और खुद की जांच करना बहुत जरूरी होती है। 

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