Monkey pox: पूरी दुनिया में मंकीपॉक्स तेजी से फैल रहा है अब इसे लेकर डब्ल्यूएचओ ने सतर्क किया है और इसे रोकने के लिए 5 जरूरी टिप्स दिए हैं।
हेल्थ डेस्क : एक तरफ कोरोनावायरस (coronavirus) ने दोबारा रफ्तार पकड़ ली है और इसके हजारों मरीज सामने आने लगे हैं। तो दूसरी ओर मंकीपॉक्स (monkey pox) का खतरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब तक यह वायरस 27 से ज्यादा देशों में फैल चुका है और इसके 800 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने सभी से सतर्क रहने की अपील की है और मंकीपॉक्स को रोकने के लिए 5 जरूरी टिप्स (monkey pox preventive measures) भी बताए हैं। डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक मारिया वैन कारखेव ने कहा कि इसके बारे में जागरूकता बढ़ानी होगी और इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे...
मंकीपॉक्स को रोकने के लिए जरूरी टिप्स
1. मंकीपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जिस तरह से यह संक्रमण बढ़ रहा है। वह खतरे का संकेत है। ऐसे मे सभी देशों को स्वास्थ्य क्लीनिकों को हाईटेक करने की जरूरत है ताकि हम पहचान सके कि मंकीपॉक्स क्या है, किन लोगों को मंकीपॉक्स होने का खतरा है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
2. मंकीपॉक्स भी कोरोनावायरस की तरह एक दूसरे में तेजी से ना फैले। इसे लेकर डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मंकीपॉक्स से पीड़ित लोग स्वास्थ्य लोगों से दूर रहे। खुद को आइसोलेट करें और बाहर निकलने से बचें।
3. डब्ल्यूएचओ की अधिकारी मारिया वैन ने कहा कि मंकी फॉक्स से बचने के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स की सुरक्षा भी बहुत जरूरी है, जो इसके टेस्ट कर रहे हैं और मरीजों की देखभाल कर रहे हैं उन्हें सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।
4. मंकीपॉक्स से बचने के लिए एंटीवायरल और वैक्सीन लगानी चाहिए। लेकिन इसका उचित तरीके से उपयोग करना होगा, क्योंकि बहुत से लोगों को इसकी जानकारी नहीं है और ऐसे में कोई भी टीका लगा देने से बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है।
5. पांचवा और सबसे जरूरी पॉइंट मारिया वैन ने कहा कि लोगों को सही जानकारी होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसे लेकर कई भ्रामक जानकारियां भी फैलाई जा रही है। ऐसे में विशेषज्ञों के एक साथ मिलकर वैश्विक बैठक आयोजित की जा रही है और मंकीपॉक्स को लेकर विस्तार से विचार कर लोगों को सही जानकारी दी जाएगी।
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक तरह का संक्रमण है, जिसमें चेचक के समान चित्ते शरीर पर पड़ जाते है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स है। इसके मुख्य लक्षण बुखार, कमजोरी, पीठ दर्द, मुंह के अंदर सफेद चकत्ते, लिंफ नोड में सूजन, मांसपेशियों में दर्द, शरीर पर दाने और गांठ आदि है।
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