Ranchi: PM मोदी का ऐलान- 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आदिवासी नेता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की स्मृति में रांची स्थिति बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय (Birsa Munda Memorial Garden cum Museum) का ऑनलाइन उद्घाटन कर दिया है। कार्यक्रम में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, राज्यपाल रमेश बैस, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जी किशन रेड्डी, मंत्री चंपई सोरेन, मेयर आशा लकड़ा, सांसद संजय सेठ आदि उपस्थित रहे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 15, 2021 4:35 AM IST / Updated: Nov 15 2021, 10:47 AM IST

रांची।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आदिवासी नेता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की स्मृति में रांची में बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान (Birsa Munda Memorial Garden cum Museum) का ऑनलाइन उद्घाटन कर दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि 15 नवंबर की ये तारीख कई मायनों में ऐतहासिक है। आज भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती, झारखंड के स्थापना दिवस और देश की आजादी के अमृत महोत्सव का कालखंड है। ये अवसर हमारी राष्ट्रीय आस्था का अवसर है, भारत की पुरातन आदिवासी संस्कृति के गौरवगान का अवसर है। हमारे जीवन में कुछ दिन बड़े सौभाग्य से आते हैं और जब ये दिन आते हैं तब हमारा कर्तव्य होता है कि उनकी आभा, उनके प्रकाश को अगली पीढ़ियों तक और ज्यादा भव्य रूम में पहुंचाए। आज का ये दिन ऐसा ही पुण्य-पुनीत का अवसर है। 

मोदी ने कहा कि आजादी के इस अमृतकाल में देश ने तय किया है कि भारत की जनजातीय परंपराओं को और इसकी शौर्य गाथाओं को देश अब और भी भव्य पहचान देगा। आज से हर साल देश 15 नवंबर यानी भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाएगा। उन्होंने कहा कि आज के ही दिन हमारे श्रद्धेय अटलजी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण झारखण्ड राज्य भी अस्तित्व में आया था। ये अटलजी ही थे जिन्होंने देश की सरकार में सबसे पहले अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन कर आदिवासी हितों को देश की नीतियों से जोड़ा था। उन्होंने कहा कि ये संग्रहालय स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान का और विविधताओं से भरी हमारी आदिवासी संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान और भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए भगवान बिरसा मुंडा ने अपने आखिरी दिन रांची की इसी जेल में बिताए थे।

मेरे लिए आज भावनात्मक दिन: मोदी
मोदी ने कहा कि मैंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी भाइयों और बहनों और बच्चों के साथ बिताया है। मैं उनके सुख-दुख, दैनिक जीवन और उनके जीवन की आवश्यकताओं का साक्षी रहा हूं। इसलिए, आज का दिन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भी एक भावनात्मक दिन है। भगवान बिरसा के नेतृत्व में मुंडा आंदोलन हो, या फिर संथाल संग्राम और खासी संग्राम हो, पूर्वोत्तर में अहोम संग्राम हो या छोटा नागपुर क्षेत्र में कोल संग्राम.. सभी ने भारतीय आंदोलन में अलग जगह बनाई। 

मोदी ने ये भी कहा...

संग्रहालय के ये मायने...
बता दें कि जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अब तक 10 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों के निर्माण को मंजूरी दी है। ये संग्रहालय विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजो कर रखेंगे। भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय झारखंड राज्य सरकार के सहयोग से रांची के पुराने केंद्रीय कारावास में बनाया गया है, जहां भगवान बिरसा मुंडा ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। यह राष्ट्र और जनजातीय समुदायों के लिए उनके बलिदान को श्रद्धांजलि होगी। जनजातीय संस्कृति एवं इतिहास को संरक्षित और बढ़ावा देने में संग्रहालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह भी प्रदर्शित करेगा कि किस तरह आदिवासियों ने अपने जंगलों, भूमि अधिकारों, अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष किया और राष्ट्र निर्माण के लिए उनकी वीरता और बलिदान को भी प्रदर्शित करेगा।

संग्रहालय में ये खास...
यह संग्रहालय भगवान बिरसा मुंडा के साथ, शहीद बुधु भगत, सिद्धू-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, दिवा-किसुन, तेलंगा खड़िया, गया मुंडा, जात्रा भगत, पोटो एच, भगीरथ मांझी और गंगा नारायण सिंह जैसे विभिन्न आंदोलनों से जुड़े अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में भी जानकारी प्रदर्शित करेगा। संग्रहालय में भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट की प्रतिमा और क्षेत्र के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की 9 फीट की प्रतिमा मौजूद होगी। स्मृति उद्यान को 25 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया गया है और इसमें संगीतमय झरना, खान-पान परिसर, बाल उद्यान, इन्फिनिटी पूल, गार्डन और अन्य मनोरंजन सुविधाएं उपलब्ध होंगी। रांची में स्थापित इस संग्रहालय एवं उद्यान के निर्माण में कुल 142 करोड़ की लागत आई है। 

इसका निर्माण जाने-माने मूर्तिकार राम सुतार के निर्देशन में हुआ है। रांची शहर के बिल्कुल बीचोबीच स्थित इस परिसर में पहले सेंट्रल जेल हुआ करती थी, जिसे करीब एक दशक पहले होटवार नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया। अब यह पुरानी और ऐतिहासिक जेल परिसर ऐसे संग्रहालय के रूप में विकसित होकर तैयार है, जहां बिरसा मुंडा के साथ-साथ 13 जनजातीय नायकों की वीरता की गाथाएं प्रदर्शित की जाएंगी।

लेजर लाइटिंग शो के जरिए प्रदर्शित की जाएगी संघर्ष की गाथा 
सिदो-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, दिवा किशुन, गया मुंडा, तेलंगा खड़िया, जतरा टाना भगत, वीर बुधु भगत जैसे जनजातीय सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अद्भुत लड़ाई लड़ी थी। इन सभी की प्रतिमाएं भी संग्रहालय में लगाई गई हैं। इन सभी के जीवन और संघर्ष की गाथा यहां लेजर लाइटिंग शो के जरिए लोगों को प्रदर्शित की जाएगी। जेल के जिस कमरे में बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी, वहां भी उनकी एक प्रतिमा लगाई गई है। जेल के एक बड़े हिस्से को अंडमान-निकोबार की सेल्युलर जेल की तर्ज पर विकसित किया गया है। इसकी दीवारों को मूल रूप में संरक्षित किया गया है, इसमें पुरातत्व विशेषज्ञों की मदद ली गई है। जेल का मुख्य गेट इस तरह बनाया गया है कि वहां 1765 के कालखंड की स्थितियां और उस वक्त आदिवासियों के रहन-सहन और जीवन शैली को जीवंत किया जा सके। जेल का अंडा सेल, अस्पताल और किचन को भी पुराने स्वरूप में संरक्षित किया जा रहा है।

म्यूजिकल फाउंटेन, इनफिनिटी पुल और कैफेटेरिया का कराया गया निर्माण 
संग्रहालय से जुड़े उद्यान में म्यूजिकल फाउंटेन, इनफिनिटी पुल और कैफेटेरिया का भी निर्माण कराया गया है। फाउंटेन के पास जो शो चलेगा, उसमें झारखंड के बाबाधाम देवघर, मां छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा, मां भद्रकाली मंदिर इटखोरी और पार्श्वनाथ के दृश्य दिखेंगे। जेल के महिला सेल में महिला कैदियों के रहन-सहन की झलक मिलेगी। इसके साथ ही जनजातीय महिलाओं के पारंपरिक जेवर, गहने, पहनावा को प्रदर्शित किया जाएगा।

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