कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति से बनते हैं सर्प और माला योग, एक देता है शुभ फल तो दूसरा अशुभ

वैदिक ज्योतिष के हजारों योगों में से सर्प और माला योग भी अत्यंत चर्चित योग हैं। ये दोनों एक-दूसरे के विपरीत ग्रह स्थितियां होने पर बनते हैं। इनका प्रभाव भी बिलकुल विपरीत होता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 24, 2021 3:21 AM IST

उज्जैन. सर्प योग जहां व्यक्ति का जीवन कष्टमय कर देता है, वहीं माला योग हो तो व्यक्ति अतुलनीय धन संपदा और सुखों का स्वामी बनता है। ये दोनों योग दलयोग कहलाते हैं। आइए जानते हैं ये दोनो योग बनते कैसे हैं और इनका प्रभाव क्या होता है।

केंद्रत्रयगै: पापै: शुभैर्दलाख्यावहिश्च माला च।
सर्पेतिदु:खितानां मालायां जन्म सुखिनां च।।

ऐसे बनता है सर्प योग…
- जन्मकुंडली के केंद्र स्थान अर्थात् 1, 4, 7, 10 में से किसी भी तीन केंद्र स्थानों में तीनों पाप ग्रह सूर्य, मंगल, शनि हो तो सर्प योग का निर्माण होता है।
- जिस व्यक्ति की कुंडली में सर्प योग होता है वह हमेशा दुखी रहता है। वह जो भी कार्य करता है, उसमें सफलता नहीं मिल पाती और परेशानियां बनी रहती हैं।
- ऐसे व्यक्ति को जीवन में अनेक टेढ़े-मेढ़े रास्तों अर्थात् परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। आर्थिक स्थिति भी हमेशा डांवाडोल रहती है।

ऐसे बनता है माला योग…
- सर्प योग के विपरीत यदि जातक की जन्मकुंडली के केंद्र स्थानों 1, 4, 7, 10 में से किन्हीं भी तीन केंद्र स्थानों में तीनों शुभ ग्रह बुध, गुरु, शुक्र हो तो माला योग का निर्माण होता है।
- जिस व्यक्ति की कुंडली में माला योग होता है उसका जीवन सुखमय होता है। साधारण परिस्थितियों में जन्म लेकर भी सभी सुख प्राप्त करता है। उच्च पदों पर पहुंचता है।
- इसे जीवन में सहयोगी अधिक मिलते हैं। जो भी काम हाथ में लेता है उसे पूरा करके ही दम लेता है। इसका पूर्ण जीवन सुखमय रहता है।

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