गणेश जी को मोदक क्यों है प्रिय? जानें इस मिठाई का खास महत्व

Why Modak is Ganesha's favourite: गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाने की परंपरा है। जानें क्या है इस मिठाई का महत्व और यह कैसे बनी गणपति की पसंदीदा।

Shivangi Chauhan | Published : Sep 7, 2024 10:28 AM IST

फूड डेस्क : देशभर में गणेश उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। हर तरफ सुंदर तरीके से तैयार की गई गणेश प्रतिमाएं, खूबसूरत पंडाल और जगमगाती रोशनी के साथ पूरे देश में भगवान गणेश का श्रद्धा और भक्ति के साथ स्वागत किया जा रहा है। लाखों लोगों के दिलों में खास जगह रखने वाला यह त्यौहार महाराष्ट्र में खास तौर पर मनाया जाता है, साथ ही मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। 10 दिवसीय त्यौहार भगवान गणेश की जयंती का प्रतीक है, जिन्हें सभी बाधाओं को दूर करने वाले और ज्ञान, बुद्धि के संरक्षक देवता के रूप में जाना जाता है। स्पेशली भगवान गणपति को खुश करने के लिए लोग उन्हें मोदक का भोग लगाते हैं। जानें क्या है इसमें खास और ये क्यों है गणपति का फेवरेट?

मोदक क्या है? 

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गणेश चतुर्थी का हर कोई फेस्टिवल मोदक के बिना पूरा नहीं होता है। यह एक मीठा फूड है जिसे भगवान गणेश का पसंदीदा कहा जाता है। मोदक एक पारंपरिक महाराष्ट्रीयन मिठाई है, जो चावल के आटे या गेहूं के आटे से बना एक भाप से पका हुआ स्टीम डंपलिंग है। इसमें कसा हुआ नारियल, गुड़ और इलायची का मिक्सचर भरा जाता है। गणेश चतुर्थी के अनुष्ठानों में मोदक का विशेष स्थान है और पूजा के दौरान भगवान गणेश को 21 मोदक चढ़ाने की प्रथा है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। 

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इस संख्या का महत्व इस विश्वास को दर्शाता है कि 21 का नंबर पूर्णता और देवताओं को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद की समग्रता का प्रतिनिधित्व करता है। लड्डू और बर्फी जैसी अन्य मिठाइयां भी बनाई जाती हैं और त्योहार के दौरान परिवार, दोस्तों के बीच शेयर की जाती हैं, हालांकि मोदक सबसे लोकप्रिय प्रसाद है।

मोदक कैसे बना भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई? 

मोदक कैसे भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई बन गया, इसकी कहानी हिंदू पौराणिक कथाओं में मिलती है। ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक भगवान गणेश की नानी, रानी मेनावती के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी के अनुसार, रानी मेनावती अपने पोते से बहुत प्यार करती थीं और अक्सर उसके लिए लड्डू बनाकर कैलाश पर्वत पर भेजती थीं। एक दिन देवी पार्वती को एहसास हुआ कि कैलाश पर्वत पर गणेश को खिलाने के लिए लड्डू नहीं हैं। इसका समाधान खोजने की कोशिश में, पार्वती ने एक नई तरह की मिठाई बनाने का फैसला किया, जो जल्दी तैयार हो जाए और गणेश को संतुष्ट करे। 

तब उन्हें मोदक बनाने का विचार आया, जिसे लड्डू की तुलना में बनाने में कम समय लगता है। उनकी खुशी के लिए भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद आए और वे जल्द ही उनके पसंदीदा बन गए। चाहे कोई भी कहानी क्यों न माने, गणेश और मोदक के बीच का संबंध त्योहार का एक स्थायी प्रतीक बन गया है। 

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