ज़्यादातर न्यूट्रिशनिस्ट, डाइट एक्सपर्ट और जिम ट्रेनर आपको रोजाना ब्रेकफास्ट में ओटमील खाने का सुझाव देंगे, ताकि फाइबर का सेवन बढ़ सकते। यह पूरे हेल्थ के लिए जरूरी चीज होता है। लेकिन इसके कई नुकसान भी है जो हम यहां बताएंगे।
हेल्थ डेस्क. बेहतर पाचन, वजन घटाने, खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और पेट के हेल्थ के लिए ओटमील फायदेमंद होता है। ब्रेकफास्ट में इसे खाने का सुझाव डाइट एक्सपर्ट और न्यूट्रिशनिस्ट द्वारा आपको दी जाती है। पेट के लिए यह एक अच्छा अनाज है और इसे खाना भी फायदेमंद होता है। लेकिन इसके कुछ निगेटिव असर के बारे में भी ध्यान रखना चाहिए।
ओट्स अत्यधिक टॉक्सीक हो सकता है
अध्ययनों के अनुसार, ज़्यादातर ओट्स एक जहरीले कृषि रसायन 'क्लोरमेक्वेट' के संपर्क में आते हैं। साल 2017 और 2023 के बीच हुए टेस्ट में 'क्लोरमेक्वेट' का इस्तेमाल 80 प्रतिशत से ज्यादा अमेरिकियों द्वारा किया जाता देखा गया। इसके अलावा शोध में मई 2023 में खरीदे गए 92 प्रतिशत ओट-बेस्ट प्रोडक्ट में यह हानिकारक रसायन पाया गया जिसमें कुछ बड़े ब्रांड भी शामिल है। डॉक्टरों का कहना है कि जानवरों पर किए गए अध्ययनों में क्लोरमेक्वेट प्रजनन और विकास संबंधी टॉक्सीटी से जुड़ा है। जिससे इसकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही है कि इसका असर मनुष्यों को भी हो सकता है।
वजन बढ़ा सकता है
वैसे तो डाइटिशियन का कहना है कि ओट्स वजन घटाने में मदद रते हैं। लेकिन अगर इसे ज्यादा मात्रा में खाया जाए तो इसका असर उल्टा हो सकता है। हर दिन बहुत ज़्यादा ओट्स खाने से वजन बढ़ सकता है। ओट्स बनाते वक्त कई लोग इसमें फल से लेकर क्रीम, नट्स, चॉकलेट चिप्स और चीनी-लेपित अनाज तक में टॉपिंग डालते हैं, जो चीनी और नमक से भरे होते हैं, जो सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
ग्लूटेन सेंसिटिविटी
भले ही ओट्स स्वाभाविक रूप से ग्लूटेन-फ्री होते हैं, लेकिन उन्हें अक्सर उन सुविधाओं में संसाधित किया जाता है जो गेहूं, जौ या राई को भी संभालती हैं, जिससे क्रॉस-संदूषण हो सकता है।अगर आपको सीलिएक रोग या ग्लूटेन सेंसिटिविटी है और आप नियमित रूप से ओट्स खाते हैं तो यह भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए प्रमाणित ग्लूटेन-मुक्त ओट्स चुनना ज़रूरी है।
पेट में सूजन
ओट्स से कुछ गैस्ट्रिक सूजन भी हो सकती है। इसलिए ओट्स जब भी खाना शुरू करें मात्रा कम से चालू करें। फिर धीरे-धीरे बढ़ाएं। ओट्स में फाइटिक एसिड भरपूर मात्रा में होता है - जो कैल्शियम, आयरन और जिंक जैसे खनिजों के अवशोषण को रोकता है। ओट्स को भिगोने या फर्मेंटेशन करने से उनके फाइटिक एसिड की मात्रा को कम करने में मदद मिल सकती है।
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